दिल्ली के 80% सरकारी स्कूल में नहीं हैं प्रिंसिपल, NCPCR के खुलासे से खुली केजरीवाल की पोल

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आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की नजर में दिल्ली के अलावा देश के किसी भी राज्य के सरकारी स्कूल में कोई सुविधा नहीं है, अगर सुविधा है तो सिर्फ दिल्ली के सरकारी स्कूलों में, करोड़ों रूपये के विज्ञापन के जरिये केजरीवाल अन्य राज्यों में दिल्ली के शिक्षा मॉडल को दिखा रहे हैं, हाल ही में दिल्ली के भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने दिखाया था कि केजरीवाल की शिक्षा क्रांति की असलियत, धरातल पर विकास के नाम पर सिर्फ झूठ और ठगी दिखती है। अब NCPCR ने केजरीवाल के शिक्षा मॉडल की पोल खोलकर रख दी है.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के मुताबिक़, दिल्ली के 1,027 सरकारी स्कूलों में से केवल 203 में ही हेडमास्टर/प्रिंसिपल हैं, एनसीपीसीआर ने मंगलवार को कहा कि महत्वपूर्ण पदों पर उच्च रिक्ति के लिए दिल्ली सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया है. दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव को लिखे पत्र में, एनसीपीसीआर ने कहा कि उनके अध्यक्ष के नेतृत्व में उनकी टीम ने दिल्ली के कई स्कूलों का दौरा किया और बुनियादी ढांचे और अन्य पहलुओं के संबंध में विसंगतियां पाईं। आयोग के संज्ञान में यह भी आया कि टीम ने जिन स्कूलों का दौरा किया उनमें से ज्यादातर स्कूलों में स्कूल के प्रधानाध्यापक का पद खाली पाया गया। इस पद को भरने की दिशा में दिल्ली सरकार की तरफ से कोई भी प्रयास नहीं किए गए। एनसीपीसीआर ने कहा कि शिक्षा विभाग के अंडर में कुल 1,027 स्कूल हैं, जिनमें से केवल 203 स्कूलों में हेडमास्टर / प्रिंसिपल हैं। 

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने अपने पत्र में रेखांकित किया कि 'किसी भी विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने की दिशा में प्रधानाचार्य की अहम भूमिका होती है। किसी स्कूल में प्रधानाचार्य की अनुपस्थिति उस स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की सुरक्षा की दिशा में नकारात्मक असर डालती है। 

इससे पहले भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने दावा किया था कि 'करोड़ों रुपए के विज्ञापन ही हैं, केजरीवाल की शिक्षा क्रांति की असलियत, धरातल पर विकास के नाम पर सिर्फ झूठ और ठगी दिखती है। आज भी टीन शेड में स्कूल चल रहा है, केजरीवाल सरकार के 7 साल के कुशासन ने दिल्ली को बर्बाद कर दिया।

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