मालेगांव कांड में सेना के अधिकारी कर्नल पुरोहित को जमानत मिलने से कांग्रेस दुखी है. कल कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि NIA की जांच अधूरी है क्योंकि अब वह बीजेपी के इशारे पर कार्य कर रही है. कांग्रेसी नेताओं का बयान आने आप में अजीब है क्योंकि मालेगांव कांड 2008 में हुआ था और उसके बाद करीब 6 साल तक केंद्र और राज्य में भी कांग्रेस की ही सरकार थी. सवाल उठता है कि 6 वर्षों में NIA ने जांच पूरी क्यों नहीं की. उस वक्त तो NIA कांग्रेस के इशारे पर चलती रही होगी.
कल कांग्रेसी नेता मीम अफजल ने कहा कि NIA बीजेपी के इशारे पर काम कर रही है और उसनें जो रिपोर्ट तैयार की है वह विरोधाभाषी है. जब इस रिपोर्ट के आधार पर कर्नल पुरोहित को बेल मिल गयी तो मुझे शॉक लग गया. बीजेपी ने जिस तरह से गुजरात में अपने लोगों को बचाया था, अब मालेगांव कांड में भी अपने लोगों को बचा रही है.
कांग्रेस के एक अन्य नेता राजू बाघमारे ने कहा कि जब से मोदी सरकार केंद्र में आयी तब से NIA ने जांच का तरीका बदल दिया. इन लोगों पर से चार्ज हटा लिए गए और गवाहों को बयान बदलने के लिए मजबूर किया गया. यह सब मौजूदा सरकार के इशारे पर हो रहा है.
यहाँ पर कांग्रेसी अपने ही बयानों से अपनी पार्टी की पोल खोल रहे हैं, इन्हें बताना चाहिए कि 6 साल सरकार में रहने के बावजूद भी इन लोगों के खिलाफ कोई सबूत क्यों नहीं मिल सके, इनके खिलाफ आरोप पत्र क्यों नहीं दाखिल किये गए, मोदी सरकार को तीन वर्षों से सत्ता में आयी है. NIA ने पहले ही जांच पूरी क्यों नहीं की. मतलब साफ़ है, इन लोगों के खिलाफ कोई सबूत था ही नहीं, इन्हें हिन्दू आतंकवाद की साजिश रचने के लिए फंसाया गया होगा.
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