आप भी सोचते होंगे कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नार्थ कोरिया को लेकर इतने परेशान क्यों हैं, क्यों डोनाल्ड ट्रम्प रोजाना नार्थ कोरिया को लेकर ट्वीट करते रहते हैं, राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प नार्थ कोरिया को लेकर 17 ट्वीट कर चुके हैं जो कि किसी भी 1 देश के लिए सबसे अधिक हैं.
आपको बता दें कि नार्थ कोरिया ना ही अमेरिका का पड़ोसी है और ना ही दोनों देशों में किसी तरह की प्रतिस्पर्धा है इसके बावजूद भी अमेरिका और नार्थ कोरिया जानी दुश्मन की तरह बर्ताव कर रहे हैं. आज हम आपको बताते हैं कि अमेरिका की नार्थ कोरिया और चीन को लेकर क्या विदेश नीति है और डोनाल्ड ट्रम्प की परेशानी की वजह क्या है.
आपको बता दें कि अमेरिका का सबसे बड़ा विरोधी नार्थ कोरिया नहीं बल्कि चीन है, चीन हर मुद्दे पर अमेरिका का विरोध करता रहता है, चीन की बढती ताकत से अमेरिका परेशान है, अगर चीन की ताकत ऐसे ही बढती रही तो वह अमेरिका को पछाड़कर दुनिया का सबसे बड़ा सुपर पॉवर देश बन सकता है.
अमेरिका को नार्थ कोरिया से कोई परेशानी नहीं है, नार्थ कोरिया तो बस बहाना है, असल में चीन को फंसाना है. आपको बता दें कि चीन की तरह ही नार्थ कोरिया की भी ताकत दिनों दिन बढती जा रही है, नार्थ कोरिया रोजाना मिसाइलों का परीक्षण करके अपनी बढ़ती ताकत का सबूत दे रहा है, कल ही नार्थ कोरिया ने इंटरकांटीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का सफलपूर्वक परीक्षण किया था.
आपको बता दें कि नार्थ कोरिया के पड़ोसी देश चीन, साउथ कोरिया और रूस हैं, इसके अलावा जापान भी नार्थ कोरिया का थोड़ा दूर का पडोसी है क्योंकि दोनों देश जमीन से नहीं बल्कि समुद्र से आपस में जुड़े हैं.
आप देखेंगे तो पाएंगे कि नार्थ कोरिया से चीन और रूस को इतनी परेशानी नहीं है जितनी अमेरिका को है, जबकि चीन और रूस नार्थ कोरिया के पड़ोसी हैं, अगर नार्थ कोरिया की मिसाइलों से सबसे अधिक खतरा है तो वह चीन, रूस और साउथ कोरिया को है, अमेरिका और नार्थ कोरिया के बीच बहुत दूरी है, अगर यूँ कहें कि नार्थ कोरिया अमेरिका का कुछ नहीं बिगाड़ सकता तो गलत नहीं होगा.
दरअसल डोनाल्ड ट्रम्प बहुत चालाकी से काम ले रहे हैं, वे चाहते हैं कि चीन नार्थ कोरिया पर एक्शन ले और उसे डिफेंस और न्यूक्लियर प्रोजेक्ट रद्द करने को कहे, अगर चीन ऐसा करता है और नार्थ कोरिया की राह में अडंगा लगाता है तो दोनों देशों में दुश्मनी हो जाएगी, चीन और नार्थ कोरिया लड़ाई में उलझ जाएंगे, अगर दोनों देशों के बीच एक बार लड़ाई शुरू हो गयी तो भारत पाकिस्तान की तरह कभी ख़त्म नहीं होगी, जब चीन लड़ाई में उलझ जाएगा तो उसका विकास रुक जाएगा, ऐसा ही नार्थ कोरिया के साथ होगा, दोनों देशों का विकास रुक जाएगा और अमेरिका के रास्ते का रोड़ा ख़त्म हो जाएगा.
इसीलिए जब भी नार्थ कोरिया मिसाइलों का परीक्षण करता है तो डोनाल्ड ट्रम्प चीन से कहते हैं कि आप एक्शन लोग, जब चीन एक्शन नहीं लेता तो डोनाल्ड ट्रम्प चीन पर नाराज हो जाते हैं, और कहते हैं कि चीन नार्थ कोरिया पर कोई एक्शन नहीं ले रहा है. आप खुद डोनाल्ड ट्रम्प का ये ट्वीट देखिये -
आप देखेंगे तो पाएंगे कि नार्थ कोरिया से चीन और रूस को इतनी परेशानी नहीं है जितनी अमेरिका को है, जबकि चीन और रूस नार्थ कोरिया के पड़ोसी हैं, अगर नार्थ कोरिया की मिसाइलों से सबसे अधिक खतरा है तो वह चीन, रूस और साउथ कोरिया को है, अमेरिका और नार्थ कोरिया के बीच बहुत दूरी है, अगर यूँ कहें कि नार्थ कोरिया अमेरिका का कुछ नहीं बिगाड़ सकता तो गलत नहीं होगा.
दरअसल डोनाल्ड ट्रम्प बहुत चालाकी से काम ले रहे हैं, वे चाहते हैं कि चीन नार्थ कोरिया पर एक्शन ले और उसे डिफेंस और न्यूक्लियर प्रोजेक्ट रद्द करने को कहे, अगर चीन ऐसा करता है और नार्थ कोरिया की राह में अडंगा लगाता है तो दोनों देशों में दुश्मनी हो जाएगी, चीन और नार्थ कोरिया लड़ाई में उलझ जाएंगे, अगर दोनों देशों के बीच एक बार लड़ाई शुरू हो गयी तो भारत पाकिस्तान की तरह कभी ख़त्म नहीं होगी, जब चीन लड़ाई में उलझ जाएगा तो उसका विकास रुक जाएगा, ऐसा ही नार्थ कोरिया के साथ होगा, दोनों देशों का विकास रुक जाएगा और अमेरिका के रास्ते का रोड़ा ख़त्म हो जाएगा.
इसीलिए जब भी नार्थ कोरिया मिसाइलों का परीक्षण करता है तो डोनाल्ड ट्रम्प चीन से कहते हैं कि आप एक्शन लोग, जब चीन एक्शन नहीं लेता तो डोनाल्ड ट्रम्प चीन पर नाराज हो जाते हैं, और कहते हैं कि चीन नार्थ कोरिया पर कोई एक्शन नहीं ले रहा है. आप खुद डोनाल्ड ट्रम्प का ये ट्वीट देखिये -
इन ट्वीट में डोनाल्ड ट्रम्प कह रहे हैं कि मुझे चीन से उम्मीद थी कि नार्थ कोरिया पर को ठीक करेगा लेकिन कुछ नहीं हो रहा है, मुझे नहीं लगता कि चीन थोडा सा भी प्रयास कर रहा है. मतलब चीन और नार्थ कोरिया डोनाल्ड ट्रम्प की चाल में नहीं फंस रहे हैं.
अमेरिका की यही पॉलिसी है कि जब भी कोई देश तरक्की करने लगता है तो अमेरिका उसके पडोसी देशों में लड़ाई करवा देता है जैसा कि उसनें भारत और पाकिस्तान के साथ किया है, अमेरिका ने एक तरफ भारत को हथियार बेचे, दूसरी तरफ पाकिस्तान को भी हथियार बेचे, यही नहीं अमेरिका ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद भी की और वही पैसे पाकिस्तान ने आतंकवाद फैलाने पर खर्च किया. भारत और पाकिस्तान आपस में लड़ते रहे तो दोनों देशों का विकास रुक गया. अब अमेरिका यही फार्मूला चीन और नार्थ कोरिया के खिलाफ अपना रहा है, अगर दोनों देशों में लड़ाई हो गयी तो चीन अपने आप बर्बाद हो जाएगा क्योंकि नार्थ कोरिया का सनकी तानाशाह किम-जोंग-उन चीन को चैन से नहीं बैठने देगा.
नार्थ कोरिया और चीन की लड़ाई से भारत को भी फायदा होगा क्योंकि चीन पाकिस्तान को भारत के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, चीन चाहता है कि भारत और पाकिस्तान युद्ध में उलझे रहें ताकि विकास की रफ़्तार में भारत उसका मुकाबला ना कर पाए, चीन पाकिस्तान की आर्थिक, व्यापारिक और सुरक्षा में मदद करता है, पाकिस्तान को हथियार देता है जिसके दम पर पाकिस्तान भारत को ऑंखें दिखाता है. अगर चीन और नार्थ कोरिया की जंग शुरू हो जाएगी तो भारत को फायदा होगा.
आप देख रहे हैं कि आपकी बढती ताकत पर इतराकर चीन भारत के सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश पर कब्ज़ा करना चाहता है, इसके लिए वह भारत को युद्ध की भी धमकी दे रहा है, तिब्बत पर चीन पहले ही कब्जा कर चुक है, यही नहीं उसनें कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी रुकवा दी है. चीन को सबक सिखाने के लिए उसका नार्थ कोरिया के साथ झगडा होगा जरूरी है इसलिए अमेरिका अपने और भारत की भलाई के लिए चीन को नार्थ कोरिया के खिलाफ उकसा रहा है लेकिन चीन धयान अमेरिका और भारत की चाल समझ रहा है.
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