सहारा डायरी मामले में बुरी तरह से फंसी कांग्रेस, मोदी के लिए खोदा था गड्ढा, खुद उसी में गिरी?

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नई दिल्ली, 26 दिसम्बर: सहारा डायरी मामले में कांग्रेस बुरी तरह से घिर गयी है, आपने सुना होगा कि जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है एक दिन वह खुद उसी गड्ढे में गिरता है। कांग्रेस के साथ भी रही हो रहा है। कांग्रेस ने मोदी के लिए गड्ढा खोदा था लेकिन खुद उसी गड्ढे में गिर गयी है क्योंकि जिस सहारा डायरी के आधार पर राहुल गाँधी ने मोदी पर 25 करोड़ की रिश्वत का आरोप लगाया था उसमें उनके नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का भी नाम सामने आया है। डायरी में लिखा गया है कि उन्हें भी एक करोड़ रुपये दिए गए हैं। 

अब आप सोचिये, इनकम टैक्स की रेड 2013 में हुई थी, उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार थी, ऐसे में अगर वह रेड सही थी और दस्तावेज सही थे तो कांग्रेस तुरंत ही मोदी को पकड़ लेती लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया इसका मतलब है कि या तो वह डायरी फर्जी है या किसी ने अपने आप से नेताओं का नाम लिखकर उन्हें फंसाने की कोशिश की है। 

अब राहुल गाँधी कह रहे हैं कि 2013 में इनकम टैक्स रेड में एक डायरी मिली है जिसमें लिखा गया है कि मोदी को करोड़ों रुपये की रिश्वत दी गयी है। छापा मारे जाने के डेढ़ साल बाद तक केंद्र और दिल्ली में उनकी ही सरकार थी उसके बावजूद भी उन्होंने उस समय कुछ नहीं कहा और आज कह रहे है कि मोदी ने रिश्वत ली थी। 

कांग्रेस से यह भी पूछा जा सकता है कि अगर सहारा डायरी में शीला दीक्षित का नाम था तो उन्हें राज्यपाल क्यों बनाया गया, उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री उम्मीदवार क्यों बनाया गया। 

इससे भी बड़ी बात है कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला जब ले जाया गया तो सुप्रीम कोर्ट के जजों ने इसे झूठा बताते हुए वकील प्रशांत भूषण को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि केवल कंप्यूटर में एंट्री के आधार पर क्या आप किसी पर भी आरोप लगा सकते हैं, अगर आपको आरोप लगाना है तो ठोस सबूत लाइए। 

कांग्रेस ने की जांच की मांग

सहारा समूह से रिश्वत लेने वालों की सूची में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की कांग्रेस की उम्मीदवार शीला दीक्षित का नाम होने के बावजूद कांग्रेस ने मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सहारा डायरी रिश्वत मामले की जांच करानी चाहिए। डायरी में सहारा समूह से रिश्वत लेने वालों की सूची में कथित तौर पर मोदी का नाम भी है। उस वक्त मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

शीला दीक्षित ने इस तरह की किसी डायरी के बारे में जानकारी होने से इनकार किया, जबकि कांग्रेस ने जोर दिया कि उनके इनकार करने से गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेंद्र मोदी द्वारा सहारा समूह से रिश्वत लेने के राहुल गांधी के आरोपों की गंभीरता कम नहीं हो जाती। पार्टी ने कहा है कि डायरी में जिनके भी नाम हैं, सभी की जांच हो, चाहे कोई कांग्रेस का ही क्यों न हो। 

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें डायरी के बारे में कुछ याद नहीं है और जोर दिया कि उनका किसी डायरी से 'कोई लेना-देना नहीं' है।

सूची के मुताबिक, शीला दीक्षित को 23 सितम्बर, 2013 को दिल्ली में एक करोड़ रुपये की रकम दी गई। वह दिसम्बर 2013 तक वह दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं। इस सूची में नरेंद्र मोदी का भी नाम है।

कांग्रेस ने जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को इस मामले की जांच करानी चाहिए, भले ही उसमें शीला दीक्षित का नाम है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

शीला दीक्षित द्वारा डायरी के वजूद के बारे में जानकारी न होने की बात का हवाला देते हुए भाजपा ने कांग्रेस और राहुल गांधी को आड़े हाथ लिया। लेकिन, कांग्रेस नेता पी.सी.चाको ने कहा कि अन्य नामों की मौजूदगी से मोदी के खिलाफ आरोप कम नहीं हो जाते। 

चाको ने कहा, "शीला दीक्षित ने कहा है कि उन्हें डायरी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा मोदी पर लगाए गए आरोपों के बारे में कुछ नहीं कहा है।"

उन्होंने कहा, "इससे किसी भी तरह से मोदी के खिलाफ लगे आरोपों की गंभीरता कम नहीं हो जाती, खासकर तब जब उन आरोपों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। यही कारण है कि हम निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।"

कांग्रेस का मजाक उड़ाते हुए भाजपा नेता रीता बहुगुणा ने कहा कि इन सबका उद्देश्य लोगों का ध्यान अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले से भटकाने के लिए है।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं रीता बहुगुणा ने स्वराज अभियान के नेता प्रशांत भूषण द्वारा मामले को उठाने के हवाले से कहा, "सर्वोच्च न्यायालय पहले ही कह चुका है कि आरोपों के पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं है, ऐसे में जांच की गुंजाइश कहां है।"

उन्होंने कहा, "क्या कांग्रेस सोचती है कि वह सर्वोच्च न्यायालय से भी ऊपर है? यह और कुछ नहीं, बल्कि उनका उद्देश्य लोगों का ध्यान अपने घोटाले से भटकाने पर है।"

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने भी आरोपों की आलोचना करते हुए कहा है कि यह कदम 'मरे हुए घोड़े को चाबुक मारने' के समान है।
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Delhi

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