नई दिल्ली, 17 मार्च: इस वक्त देशवासियों के मन में सिर्फ एक सवाल है - आखिर कौन होगा उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री मोदी किसके हाथों में सौंपेंगे उत्तर प्रदेश का भाग्य बदलने की जिम्मेदारी, पूरे देश की नजरें उत्तर प्रदेश पर लगी हुई हैं, मीडिया बेचैन है, पत्रकर बेचैन हैं, सभी पार्टियाँ बेचैन हैं।
प्रधानमंत्री मोदी उसे ही मुख्यमंत्री बनायेंगे जो उनसे मेल खाता होगा, जिसकी जिन्दगी उनकी जिन्दगी से मैच करती होगी, जो तपस्वी होगा, जो योगी होगा, मजबूत होगा, देश के लिए पूरी तरह से समर्पित होकर कठोर परिश्रम करने वाला होगा।
मोदी की इस च्वाइस में दो ही चेहरे टिक रहे हैं, पहले ऐसा लगता था कि स्मृति इरानी को ये जिम्मेदारी दी सकती है लेकिन वे शायद उतनी मेहनत ना कर पाएं जिसने उत्तर प्रदेश को जरूरत है।
अब मोदी के सामने दो ही चेहरे हैं, पहले राजनाथ सिंह और दूसरे योगी आदित्यनाथ। राजनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता था लेकिन मनोहर पर्रिकर के गोवा वापस जाने के बाद सारा खेल बिगड़ गया, अब अगर राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश भेजा जाएगा तो मोदी सरकार कमजोर पड़ जाएगी इसलिए अब राजनाथ सिंह का मुख्यमंत्री बनना नामुमकिन है।
मोदी की दूसरी पसंद हैं योगी आदित्यनाथ, वैसे योगी आदित्यनाथ को यूपी का बड़ा नेता बनाने की कोशिश मोदी ने बहुत पहले शुरू कर दी थी और एक साल पहले यूपी के बाई-इलेक्शन में योगी आदित्यनाथ से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार भी कराया गया लेकिन लेकिन उस वक्त राज्य में सपा सरकार होने की वजह से बीजेपी को बाई-इलेक्शन में उतनी सफलता नहीं मिली, उस वक्त मीडिया ने बीजेपी की हार की जिम्मेदारी योगी पर डाल दी जिसकी वजह से उनका कद घट गया।
मोदी ने योगी को उत्तर प्रदेश के लिए इसीलिए रिज़र्व करके रखा है वरना वे योगी को कोई भी बड़ा मंत्रालय पहले ही दे सकते थे लेकिन मोदी ने ऐसा नहीं किया क्योंकि मोदी की नजर में योगी पहले ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे।
मोदी की तरह ही योगी भी तपस्वी हैं, कठोर परिश्रम कर सकते हैं, उनके आगे पीछे कोई नहीं है, वे यूपी के लिए 100 परसेंट समय दे सकते हैं, इमानदार हैं, भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है, पैसों का कोई लालच नहीं है, अपने आप को उन्होंने पूरी तरह से देश को समर्पित कर दिया है, मोदी को यूपी के लिए ऐसे ही लोगों की जरूरत है जो तन मन से यूपी के लिए काम कर सकें, उनकी तरह लगातार 18-20 घंटे तक काम कर सकें, अगर सब कुछ ठीक रहा तो 18 तारीख को योगी के नाम पर मुहर लग जाएगी और मुहर लगने में देरी इसी वजह से हो रही है वर्ना अब तक उनके नाम का ऐलान कर दिया गया होता।
योगी के लिए पहला बड़ा फैक्टर है उनकी उम्र, वे इस वक्त केवल 44 वर्ष के हैं, मतलब उम्र के मामले में यूपी के लड़कों यानी अखिलेश यादव और राहुल गाँधी को मात दे सकते हैं, इसके अलावा अगर उन्हें CM बनाया गया तो उनके पास काम करने के लिए कम से कम 20 साल रहेंगे और इन 20 वर्षों में अगर उन्होने वैसा ही काम किया जैसा मोदी ने गुजरात में किया था तो यूपी की तस्वीर बदल जाएगी।
योगी के लिए दूसरा बड़ा फैक्टर है लम्बा राजनीतिक अनुभव, योगी इस देश के सबसे युवा सांसद थे, 26 वर्ष की उम्र में ही वे सांसद बन गए थे और अब तक वे लगातार पांच बार से गोरखपुर से सांसद हैं, अब आप बताओ मुख्यमंत्री बनने के लिए और क्या चाहिए।
योगी के लिए पहला बड़ा फैक्टर है उनकी उम्र, वे इस वक्त केवल 44 वर्ष के हैं, मतलब उम्र के मामले में यूपी के लड़कों यानी अखिलेश यादव और राहुल गाँधी को मात दे सकते हैं, इसके अलावा अगर उन्हें CM बनाया गया तो उनके पास काम करने के लिए कम से कम 20 साल रहेंगे और इन 20 वर्षों में अगर उन्होने वैसा ही काम किया जैसा मोदी ने गुजरात में किया था तो यूपी की तस्वीर बदल जाएगी।
योगी के लिए दूसरा बड़ा फैक्टर है लम्बा राजनीतिक अनुभव, योगी इस देश के सबसे युवा सांसद थे, 26 वर्ष की उम्र में ही वे सांसद बन गए थे और अब तक वे लगातार पांच बार से गोरखपुर से सांसद हैं, अब आप बताओ मुख्यमंत्री बनने के लिए और क्या चाहिए।
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