18 साल में लड़की जब वोट दे सकती है तो अपना पार्टनर क्यों नहीं चुन सकती: ओवैसी

Rahul Singh Author:

केंद्र सरकार लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने की तैयारी में है. सरकार अगले हफ्ते संसद के दोनों सदनों में इससे जुड़ा बिल पेश कर सकती है. बिल पेश होने से पहले इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है. AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले पर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि 18 साल में लड़की जब वोट दे सकती है तो अपना पार्टनर क्यों नहीं चुन सकती. ओवैसी का कहना है कि आप सरकार हैं, मोहल्ले के चाचा या अंकल नहीं हैं कि आप फैसला करेंगे कि कौन कब शादी करेगा या क्या खाना खाएगा।

ओवैसी ने आगे कहा कि मेरा विचार है कि लड़कों के लिए 21 आयु सीमा घटाकर 18 कर दी जानी चाहिए। ओवैसी ने कहा कि मोदी सरकार ने महिलाओं के उत्थान के लिए क्या किया? मोदी सरकार हर चीज़ को क्रिमिनल कानून से देखती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के अनुरूप केंद्र सरकार ने लड़कियों के लिए शादी की वैध न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का फैसला किया है। 

लड़कियों के शादी की उम्र 21 साल किए जाने वाले प्रस्ताव का कई और नेताओं ने विरोध किया है। सरकार के प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी (सपा) के कई नेता आपत्ति जाहिर कर चुके हैं। अबु आजमी, शफीकुर्रहमान बर्क के बाद अब सपा सांसद एसटी हसन ने शुक्रवार को केंद्र के प्रस्ताव का विरोध करते हुए अजीबोगरीब दलीलें दीं। हसन ने कहा कि जब लड़कियां बच्चे पैदा करने लायक हो जाएं तो उनकी शादी कर देनी चाहिए।

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