8 जुलाई को राहुल गाँधी चुपचाप चीनी राजदूत Luo Zhaohui से मिले लेकिन यह खबर 10 जुलाई को लीक हो गयी तो राहुल गाँधी के साथ साथ कांग्रेस पार्टी भी सवालों के घेरे में आ गयी है, भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमनियम स्वामी को कांग्रेस और राहुल गाँधी की देशभक्ति पर शक पैदा हो गया है.
सुब्रमनियम स्वामी ने कहा कि राहुल गाँधी किसी से भी मिल सकते हैं लेकिन दुश्मन देश के राजदूत से चुपचाप मिलने पर शक पैदा होता है, इसके अलावा जब उनकी मुलाक़ात के बारे में देश को पता चलता है तो भी वह झूठ बोलते हैं और देश को गुमराह करते हैं जो और शक पैदा करता है, अब देश के लोगों को कांग्रेस की देशभक्ति पर शक पैदा हो गया है इसलिए उन्हें सामने आकर सफाई देनी चाहिए कि राहुल गाँधी चीनी राजदूत से क्यों मिलने गए थे और दोनों के बीच क्या बात हुई.
सुब्रमनियम स्वामी ने कहा कि मुलाक़ात की बात छुपाई गयी जो साबित करती है कि कोई ना कोई खतरनाक साजिश चल रही है और कांग्रेस इस साजिश में रंगे हाथों पकड़ी गयी है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें की 8 जुलाई को राहुल गाँधी चुपचाप चीनी राजदूत से मिले थे, उन्होंने देश से यह जानकारी छुपाई थी, जब यह सूचना लीक हो गयी तो कांग्रेस पार्टी ने इसे गलत बताया, उसके बाद चीनी दूतावास ने खुद राहुल गाँधी से मुलाकात के बारे में जिक्र करते हुए ट्वीट किया लेकिन कुछ ही देर बाद उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया लेकिन इससे यह बात तो साबित हो गयी कि राहुल गाँधी चीनी दूत से मिले थे. जब कांग्रेस का झूठ पकड़ लिया गया तो राहुल गाँधी ने भी कबूल कर लिया कि उन्होंने चीनी राजदूत से मुलाक़ात की है.
राहुल गाँधी की इस सीक्रेट मुलाकात से कई सवाल उठे
- राहुल गाँधी ने चीनी राजदूत से चुपचाप मुलाक़ात क्यों की
- कांग्रेस ने मुलाकात की खबर को गलत क्यों बताया
- चीनी दूतावाश ने राहुल गाँधी से मीटिंग वाला ट्वीट क्यों और किसके कहने पर डिलीट किया
- अगर राहुल गाँधी को चीनी दूत से मिलना था तो उन्होंने देश को बताया क्यों नहीं
- क्या कोई गुप्त प्लानिंग चल रही है
- क्या देश के खिलाफ कोई साजिश चल रही है
- क्या भारत और चीन के बीच युद्ध भड़काने का प्रयास चल रहा है
आपको बता दें कि राहुल गाँधी ने चीनी राजदूत से मुलाक़ात के एक दिन पहले एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा था कि वह चीन मामले पर शांत क्यों हैं? एक तरफ तो राहुल गाँधी चीन को कड़ा जवाब देने की मांग करते हैं और उसके दूसरे ही दिन चुपचाप चीनी दूत से मिलने चले जाते हैं, यह अपने आपमें में कई सवाल खड़े करता है, आप राहुल गाँधी का ट्वीट देखिये.
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