राष्ट्रपति उम्मीदवार की घोषणा करने में बीजेपी वालों ने बाजी मारी थी तो उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार की घोषणा में आज विपक्ष ने बाजी मारते हुए प्रधानमंत्री मोदी के कट्टर विरोधी गोपाल कृष्ण गाँधी को उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया है. गोपाल कृष्ण गाँधी ने हाल के मोदी के इजरायल दौरे का खुलकर विरोध किया था, उन्होने बाकायदा कई अख़बारों में लेख लिखकर मोदी के इजरायल दौरे का विरोध किया था.
गोपाल कृष्ण गाँधी पूर्व में पश्चिम बंगाल के गवर्नर रह चुके हैं, इसके अलावा वे दक्षिण अफ्रीका में भारत के दूत के रूप में काम कर चुके हैं. यही नहीं उन्हें IAS के रूप में काम करने का 22 वर्षों का (1968-1992) प्रशासनिक अनुभव भी है. आज विपक्ष की मीटिंग में सोनिया गाँधी ने उनके नाम का प्रस्ताव किया जिसका सभी ने समर्थन किया, वह कांग्रेस पार्टी के काफी ख़ास मानें जाते हैं.
पेश है उनके बारे में पूरी जानकारी
- 1968-1992 तक IAS के रूप के कई पदों पर काम किया
- 1985-1987 तक उप-राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमण के सेक्रेटरी रहे
- 1987-1992 तक राष्ट्रपति वेंकटरमण के सेक्रेटरी रहे
- 1996 में दक्षिण अफ्रीका में भारत के राजदूत रहे
- 1997 में राष्ट्रपति वेंकटरमण के सेक्रेटरी रहे
- 2000 में श्रीलंका में भारत के राजदूत रहे
- 2002 में नार्वे में भारत के राजदूत रहे
- 2004-2009 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे
- महात्मा गाँधी के पोते हैं
गोपाल कृष्ण गाँधी के लिए एक पॉजिटिव बात ये भी है कि वे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के पोते हैं. वे कांग्रेस के काफी ख़ास हैं और उन्हें 18 राजनीतिक पार्टियों ने समर्थन दिया है, यही नहीं राष्ट्रपति पद के लिए NDA उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देनी वाली JDU ने भी गोपाल कृष्ण गाँधी को समर्थन दिया है.
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