राज्य सभा से GST BILL पास, मनमोहन सिंह के मुंह से भी निकली तारीफ, बताया गेम चेंजर

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नई दिल्ली, 7 अप्रैल: राज्यसभा में गुरुवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित चार विधेयकों को पारित कर दिया गया। इसके साथ ही देश में एक जुलाई से एकीकृत कर प्रणाली लागू करने का रास्ता खुल गया। जीएसटी से संबंधित चारों विधेयकों - केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, समेकित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक और केंद्र प्रशासित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक - पर राज्यसभा में दो दिन नौ घंटे तक बहस चली, जिसके बाद इसे पारित कर लोकसभा को लौटा दिया गया।

GST बिल पास होने के बाद मनमोहन सिंह ने भी तारीफ की, उन्होंने कहा कि यह बिल गेम चेंजर साबित हो सकता है. हालाँकि मनमोहन सिंह को यह भी पता होना चाहिए कि उनकी पार्टी कांग्रेस ने दो साल तक इस बिल को लटकाए रखा, मोदी ने सोनिया और मनमोहन सिंह के सामने हाथ-पैर तक जोड़े, दोनों को अपने घर पर बुलाकर चाय भी पिलाई लेकिन इन्होने बिल पास नहीं होने दिया.

विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि करों से छूट प्राप्त वस्तुएं जीएसटी लागू होने तक कर प्रणाली से बाहर ही रहेंगी।

जेटली ने कहा, "मौजूदा समय में जिन वस्तुओं पर कर नहीं लगता, उन्हें आगे भी कर से छूट प्राप्त होगा। मौजूदा स्थिति आगे भी बहाल रहेगी।"

जेटली ने कहा कि जीएसटी के तहत टैक्स फाइल करना आसान होगा और नए अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में तिमाही आधार पर टैक्स रिटर्न फाइल करने का प्रावधान रखा गया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि इस नई कर प्रणाली में केंद्र और राज्यों की संप्रभुता को एकीकृत किया गया है और इससे पहले एक राजनीतिक इकाई होने के बावजूद देश अलग-अलग राज्यों द्वारा अलग-अलग कर लगाने के कारण भिन्न-भिन्न अर्थव्यवस्थाओं वाला था।

जेटली ने कहा, "जीएसटी के तहत केंद्र और राज्य दोनों को कर लगाने का अधिकार होगा। जीएसटी एकमात्र ऐसा कर होगा, जिसे केंद्र और राज्य एकसाथ लगाएंगे।"

पेट्रोलियम उत्पादों पर कर दर को स्पष्ट करते हुए जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद ने जीएसटी प्रणाली में शामिल होने के बावजूद पेट्रोलियम उत्पादों को शून्य कर दर के अंतर्गत रखा जाएगा।

उन्होंने कहा, "जीएसटी परिषद ने फैसला किया है कि जीएसटी लागू होने के एक साल बाद हम पेट्रोलियम उत्पादों पर विचार करेंगे। मौजूदा समय में सांविधानिक तौर पर पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के अधीन आते हैं, लेकिन उन पर कोई कर नहीं लगेगा। परिषद एक बार इस पर कोई फैसला कर ले, उसके बाद पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी के तहत कर लगाया जाएगा और इसके लिए हमें संविधान में संशोधन नहीं करना होगा।"

सूचना एवं प्रौद्योगिकी को आधार बनाने वाले जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) में बदलाव करने की मांग पर जेटली ने कहा कि कंपनी को लचीला बनाए रखने के लिए विस्तृत विचार-विमर्श के बाद हितधारकों की हिस्सेदारी सुनिश्चित कर ली गई है।

उन्होंने कहा, "सरकार जीएसटीएन में 1-2 फीसदी अधिक हिस्सेदारी अपने पास रख सकती है, लेकिन अभी यह निश्चित नहीं है कि इससे लचीलापन बना रहेगा या नहीं। हमें इसमें बदलाव करने की जरूरत महसूस नहीं हुई। अगर कोई सूचना लीक होती है तो प्रबंधन को दंडनीय परिणाम भुगतने होंगे।"

जीएसटीएन में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 24.5 फीसदी होगी, जबकि राज्य सरकारों की हिस्सेदारी भी 24.5 फीसदी होगी। इसके बाद एचडीएफसी, एनएसई स्ट्रैटजिक इनवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में से प्रत्येक के पास 10-10 फीसदी की हिस्सेदारी होगी।

कारोबार रिसर्च एजेंसी 'टोफ्लर' से आईएएनएस ने कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) में दाखिल फाइलें हासिल कीं, जिनके अनुसार एलआईसी फाइनेंस के पास जीएसटीएन में 11 फीसदी हिस्सेदारी होगी।
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