दिल्ली का खजाना बहुत चालाकी से लूटते हैं केजरीवाल, तभी तो लोग इन्हें कह रहे हैं 'सबसे बड़ा ठग'

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New Delhi: सरकारी खजाने की लूट तो कई राजनीतिक पार्टियाँ करती हैं लेकिन केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी की सरकार ने जिस चालाकी से सरकारी खजाने की लूट की वह वाकई में काबिलेतारीफ है, लूटने और चूना लगाने में बहुत चालाक हैं केजरीवाल इसीलिए विपक्षी पार्टियाँ उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा ठग बता रहे हैं क्योंकि ठग भी पहले लोगों पर जाहिर नहीं होने देते हैं कि वे ठग हैं, पहले जनता के बीच बहुत इमानदार दिखने की कोशिश करते हैं लेकिन जैसे ही मौका मिलता है वे जनता को ठगकर भाग लेते हैं, आज केजरीवाल को भी मौका मिल गया है, उन्होंने दिल्ली को ठग लिया है और सरकारी खजाने के खुलेआम लूट मचा दी है लेकिन सत्ता में होने के कारण वे बचे हुए हैं.

केजरीवाल बड़े चालाक हैं, अपने ख़ास आदमियों को एक रुपये की सैलरी पर रखते हैं, जनता से बोलते हैं कि इसे तो मैं सिर्फ एक रुपये में नौकरी पर रख रहा हूँ, जनता सोचती हैं कि केजरीवाल तो बहुत अच्छा आदमी है, जिस पद के लिए लाखों रुपये देना चाहिए केजरीवाल 1 रुपये में ही काम चला रहा है, लेकिन केजरीवाल एक दो महीने बाद ही चुपचाप उस आदमी को लाखों की सैलरी देने लगते हैं और जनता को पता नहीं चलता, ये तो भला हो शुंगलू कमेटी का जिसने केजरीवाल की लूट का पर्दाफाश कर दिया.

केजरीवाल की लूट के कुछ उदाहरण सामने आये हैं और यह बातें बीजेपी सांसद मिनाक्षी लेखी ने आज प्रेस कांफ्रेंस में कहीं.

पहला उदाहरण:  एक डॉ निकुंज अग्रवाल हैं जिन्हें हेल्थ मिनिस्टर का OSD नियुक्त किया गया, कमेटी ने जांच में पाया है कि निकुंज अग्रवाल अरविन्द केजरीवाल के ख़ास रिश्तेदार हैं और दिल्ली सरकार में हॉस्पिटल में ये सीनियर रेजिडेंट थे, इन्हें OSD बनाने के लिए ना कोई विज्ञापन दिया गया, ना कोई इंटरव्यू लिया गया, ना कोई नियम फॉलो किया गया, एक हाथ से लिखी हुई चिट्ठी के आधार पर इन्हें स्वास्थय मंत्री सत्येन्द्र जैन का OSD नियुक्त कर दिया गया. नियम के अनुसार से सीनियर रेजिडेंट कहीं बाहर नौकरी नहीं कर सकता लेकिन इन्हें नियम कानून ताक पर रखकर OSD बना दिया गया, इसके अलावा इन्हें अपना बायोडाटा मजबूत करने के लिए IIM अहमदाबाद में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया, चाइना भी भेजा गया और यह सब दिल्ली सरकार का पैसे से किया गया.

दूसरा उदाहरण: सौम्या जैन जो स्वास्थय मंत्री सत्येन्द्र जैन की बेटी हैं, उनका भी अपॉइंटमेंट मोहल्ला क्लिनिक प्रोजेक्ट में होता है, इनके लिए भी कहा गया था कि ये केवल एक रुपये सैलरी पर काम करेंगी लेकिन बाद में पता चलता है कि इन्हें 1 लाख 15 हजार रुपये की सैलरी दी जाती है. इससे भी बड़ी हैरानी वाली बात है कि सौम्या जैन की क्वालिफिकेशन एक आर्किटेक्ट की है, लेकिन इन्हें मोहल्ला क्लिनिक के मैनेजमेंट के लिए नियुक्त किया जाता है.

तीसरा उदाहरण: आम आदमी पार्टी के कार्यकर्त्ता रोशन शंकर की नियुक्ति, इन्हें टूरिज्म मिनिस्टर का सलाहकार नियुक्त किया जाता है, इन पद पर केवल एक अपर डिवीज़न क्लर्क की सैलरी दी जा सकती है लेकिन इनको 60 हजार रुपये महीना दिया जाता है. इन्हें ना तो टूरिज्म में अनुभव है और ना ही कोई क्वालिफिकेशन है, ना इनकी कोई जांच होती है और उन्हें पद पर बिठा दिया जाता है.

चौथा उदाहरण: अभिनव राय को भी UDC पद पर रखा गया था लेकिन इनकी सैलरी 87 हजार रुपये है , राहुल बसीन जो 12वीं पास व्यक्ति है, जिसके पास अपना डिप्लोमा तक नहीं है, इन्हें टूरिज्म मंत्रालय में चीफ मिनिस्टर का एडवाइजर बना दिया जाता है और केजरीवाल चिट्ठी में सिफारिश करते हैं कि इन्हें 1 लाख 50 हजार की सैलरी दी जानी चाहिए. मतलब ये एक 12वीं पास व्यक्ति को डेढ़ लाख की सैलरी देते हैं. इससे भी हैरानी वाली बात ये है कि बसीन टूरिज्म मंत्री के साथ बर्लिन जाते हैं, ऑस्ट्रेलिया जाते हैं, और 50 अन्य जगह घूम कर आते हैं. जनता के पैसे की खुलेआम लूट और बर्बादी हो रही है.

पांचवां उदाहरण: गोपाल मोहन की नियुक्ति 1 रुपये की सैलरी पर होती है, ये भी मुख्यमंत्री के एडवाइजर थे लेकिन अचानक से इनका विभाग बदलकर ग्रीवांसेज रिड्रेसल में भेज दिया जाता है और चार महीन में इनकी सैलरी 1 लाख 15 हजार 881 रुपये कर दी जाती है.

छठां उदाहरण: गजेन्द्र हल्दिया की नियुक्ति दिल्ली डायलाग कमीशन में की जाती है, इसकी पालिसी के मुताबिक किसी भी मेंबर को घर नहीं दिया जाएगा, इसके बावजूद भी हल्दिया को टाइप 6A का एक बंगला बाबा नगर में दिया जाता है और ये निर्णय भी केजरीवाल ने 24 फ़रवरी 2016 को खुद लिया.

मतलब केजरीवाल ने अपने खास लोगों को बिना क्वालिफिकेशन के, बिना नियम कानून के मालदार पदों पर नियुक्त किये और दिल्ली का खजाना उनके ऊपर लुटा दिया.

इसके अलवा विदेशी दौरे बिना उप-राज्यपाल की परमिशन के नहीं हो सकते है लेकिन आप के विधायकों ने खूब विदेश दौरे किये, सभी किस्म के विदेश दौरे किये और जनता के पैसे का दुरूपयोग किया, आशीष खेतान विदेश दौरे पर लन्दन गए, वहां से मलेशिया गए, किसी को पता नहीं है कि आशीष खेतान किस काम से गए थे लेकिन उनका खर्चा दिल्ली सरकार ने दिया.

मनीष सिसोदिया भी 2015 में न्यूजीलैंड गए, उसके बाद 2016 में कई लोगों के साथ बर्लिन गए और 2016 में ही वे लन्दन गए, इसके अलावा वे ब्राजील भी गए.

सत्येन्द्र जैन एजुकेशन टूर पर 2015 में स्वीडन गए, वे दोबारा BRT की स्टडी करने के लिए मलेशिया गए, इसके अलावा वे मेनचेस्टर भेजे गए, इसके बाद डेंगू के कण्ट्रोल को सीखने के लिए उनके साथ कई आप नेता चाइना गए.

मीनाक्षी लेखी ने कहा कि इनका विदेश दौरा देखकर एक गाने की याद आती है - जाना था जापान, पहुँच गए चीन, समझ गए ना.

अगर इनके विदेश दौरों को ध्यान से देखा जाए तो फर्ज कीजिये, अगर किसी को मुंबई जाना है तो वो पहले जापान जाएगा, जापान से केरला जाएगा, केरला से टैक्सी लेगा और लाखों रुपये टैक्सी का खर्च करके मुंबई जाएगी, AAP नेता यही तरीका अपनाकर मौज मस्ती कर रहे हैं और दिल्ली का खजाना उड़ा रहे हैं.
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