चौंकाने वाला खुलासा, प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने वाले केजरीवाल अब पार्षद के भी काबिल नहीं

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नई दिल्ली, 27 अप्रैल: यह दिल्ली के लिए दुर्भाग्य की बात है कि उन्होंने जिस आदमी को दो साल पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया था वो आज पार्षद पद के भी काबिल नहीं है, अगर MCD चुनावों में केजरीवाल पार्षद का चुनाव लड़ते तो वे हार जाते और हो सकता है कि उनकी जमानत भी जब्त हो जाती क्योंकि दिल्ली वाले केजरीवाल से बेहद नाराज हैं और इस नाराजगी की वजह केजरीवाल सरकार का भ्रष्टाचार और मोदी के खिलाफ उनकी अघोषित जंग है जो दिल्ली वालों को रास नहीं आ रहा है.

दिल्ली वालों ने दो साल पहले बहुत उम्मीद से केजरीवाल को 70 में से 67 सीटें दी थीं, उन्होने सोचा था कि ये बंदा जरूर हमारे सपनों को पूरा करेगा, दिल्ली में टिककर काम करेगा लेकिन हुआ उसका उल्टा, केजरीवाल और उनके विधायक तो अपने ही सपने पूरे करने लगे, कोई राशन कार्ड बनाने लगा, कोई राशन चुराने लगा, कोई लाइसेंस बनाने में कमीशन खाने लगा और कोई हवाला कारोबार करने लगा. केजरीवाल सरकार ने जितनी तेजी से भ्रष्टाचार का फार्मूला अपनाया, भारत में शायद ही किसी सरकार ने ऐसा भ्रष्टाचार किया होगा.

यह तो कुछ भी नहीं था, केजरीवाल ने दिल्ली को अधर में छोड़कर अपना ध्यान पंजाब, गोवा और गुजरात में लगा दिया, दिल्ली वाले तड़प तड़प कर मरते रहे लेकिन केजरीवाल गोवा, पंजाब और गुजरात घूमते रहे और दलित राजनीति करते रहे.

हद तो तब हो गयी जब केजरीवाल अपनी गलती की सजा दिल्ली वालों को देने लगे, गालियाँ उन्होंने अपने मुंह से दी थी लेकिन वकील का खर्चा दिल्ली वालों पर लाद दिया, दिल्ली वालों को केजरीवाल की यह मक्कारी रास नहीं आयी और MCD चुनावों में उन्होंने केजरीवाल को सबक सिखा दिया.

कई सर्वे बता रहे हैं कि अगर इस वक्त दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराये जाँय तो केजरीवाल को बमुश्किल 5-7 सीटें आएँगी और वो भी मुस्लिम बहुल इलाके में, वहीं BJP को कम से कम 55-57 सीटें मिलेंगी, यही नहीं अगर केजरीवाल दोबारा चनाव लड़ें तो उनकी जमानत जब्त हो जाएगी और अगर वो पार्षद के लिए भी लड़ें तो भी वे हार जाएंगे क्योंकि दिल्ली वाले अब किसी को भी वोट देंगे लेकिन केजरीवाल को नहीं देंगे.
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Delhi

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