Lucknow, 23 March: उत्तर प्रदेश में बूचडखानों पर कार्यवाही के बाद बूचड़खानों से अधिक परेशानी आजतक न्यूज़ वालों को हो रही है क्योंकि कोई पत्रकार दिखा रहा है कि बूचडखाने वाले बेरोजगार हो गए हैं तो कोई दिखा रहा है कि टुंडे कवाब की दुकान एक दिन बंद हो गयी और दुकानदार का बहुत नुकसान हो गया।
अगर आज तक की मानें तो लखनऊ में सभी केवल भैंसे के गोस्त वाले टुंडे कवाब खाते हैं, इनका कहना है कि लखनऊ नवाबों का शहर है लेकिन यहाँ के लोग टुंडे कवाब की जगह अब मटन और चिकेन के कवाब बेचने के लिए मजबूर हैं, आज तक वालों की नजर में लखनऊ वाले केवल भैंसे के गोस्त वाले कवाब ही खाते हैं, लेकिन अब भैंसे के गोस्त की जगह मटन और चिकेन के गोस्त वाले कवाब बेचने को मजबूर कर दिया गया है।
आज तक वालों का कहना है कि सभी मांसाहारी लोगों ने टुंडे कवाब का नाम जरूर सुना होगा 'मैंने तो नहीं सुना', आज तक वालों का कहना है कि किसी दूसरे शहर से लखनऊ आने वाले व्यक्ति भैंसे के गोस्त वाले टुंडे कवाब की दुकान पर जाकर पराठे कवाब का जायका जरूर लेता है, क्या आज तक वालों ने भी भैंसे के गोस्त वाले पराठे-कवाब का जायका लिया है, वीडियो में क्यों नहीं दिखाया।
आज तक वालों का कहना है कि पिछले 100 वर्षों में केवल कल ही टुंडे कवाब की दूकान पर ताला लगा है और आज बेचारे दुकानदार को चिकेन और मटन के कवाब बेचने पड़ रहे हैं।
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