कड़वा सच: अगर उत्तर प्रदेश में इमानदारों की संख्या 50% से अधिक होगी तभी होगी BJP की जीत

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सभी पार्टियों ने चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी है, एक तरफ भारतीय जनता पार्टी है जिसे चुनाव जीतने के लिए सिर्फ ईमानदार मतदाताओं पर भरोसा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस और अन्य पार्टियाँ हैं जिन्हें बेईमान वोटरों और जातिवादी वोटरों पर भरोसा है, उत्तर प्रदेश के दुर्भाग्य से यह एक कड़वा सच है और इसे कोई मीडिया नहीं बताएगा। 

अगर आप सभी नेताओं के भाषण देखें तो साफ़ पता चल जाएगा कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के सभी नेता सिर्फ मोदी पर हमले करते हैं, चाहे राहुल गाँधी हों, चाहे अखिलेश यादव हों और चाहे मायावती हों, इनके मुंह से ना तो जमीन कब्जाने का मुद्दा निकलता है, ना गुंडागर्दी का मुद्दा निकलता है, ना बलात्कार का मुद्दा निकलता है और ना ही कालेधन और भ्रष्टाचार का मुद्दा निकलता है। 

दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं जो अपने सभी भाषणों में कानून और प्रशासन का मुद्दा उठाते हैं, भू माफियाओं का मुद्दा उठाते हैं, महिलाओं के बलात्कार का मुद्दा उठाते हैं और कालेधन-भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हैं और विकास का मुद्दा उठाते हैं। 

आपने राहुल, अखिलेश और मायावती के मुंह से यह कभी नहीं सुना होगा कि हम भ्रष्टाचारियों को जेल में पहुंचा देंगे, हम भू माफियाओं को उल्टा लटका देंगे, हम महिलाओं का बलात्कार करने वालों को कड़ी सजा देंगे, ये लोग सिर्फ मोदी पर हमला करते हैं। ऐसा लगता है कि अपराध, महिलाओं का बलात्कार, कालाधन और भ्रष्टाचार इनके लिए कोई मुद्दा नहीं है। 

ये सभी नेता नोटबंदी का मुद्दा उठाते हैं और कहते हैं कि नोटबंदी से लोगों को परेशानी हुई है, यह बात सच है कि लोगों को परेशानी हुई है लेकिन अधिक परेशानी सिर्फ उन लोगों को हुई है जिन्होंने नोटों की बोरियां तहखानों में और बिस्तर के नीचे छुपा रखी थीं, यह 100 फ़ीसदी सच है कि ऐसे लोग बीजेपी को कभी वोट नहीं देंगे क्योंकि इन्हें परेशानी हुई है। 

दूसरी तरफ इमानदार लोग हैं, जिनके पास कालाधन नहीं था, उनके पास 100, 2000, 50000 या 100000 रुपये रहें होंगे, उन्होंने एक दिन लाईन में लगकर अपने पैसे बदलवा लिए और थोडा कष्ट सहकर अपना काम चला लिया। उदाहरण के लिए समझिये, मान लो एक गाँव में किसी के पास कालाधन था, वह उस समय बहुत परेशान हुआ था तो उसकी परेशानी देखकर उसी गाँव के सभी इमानदार और गरीब हंस रहे थे और कह रहे थे कि मोदी ने सही काम किया है, लूटने वालों को बढ़िया सबक सिखाया है। ये सभी लोग मोदी से प्रभावित हुए और चुनाव में मोदी को ही वोट देंगे लेकिन जो व्यक्ति परेशान हुआ होगा वो मोदी को वोट क्यों देगा। 

लेकिन जिन लोगों ने नोटों की बोरियां छुपा रखी थी उनका तो बुरा हाल हो गया, उनकी जान पर आफत आ गयी, उन्होंने सोचा कि अब क्या करें यार, इन नोटों को बैंक में कैसे जमा करें, वहां क्या जवाब देंगे कि ये नोट हमारे पास कैसे आये, सरकार को क्या जवाब देंगे, हमारी इज्जात तो जाएगी ही जेल भी हो जाएगी, इन लोगों ने इतनी दौड़ भाग मचाई, इतने जतन किये, तरह तरह के रास्ते खोजे लेकिन कुछ कर नहीं पाए। इसके बाद इन लोगों ने गरीबों को ढूंढना शुरू किया और उन्हें कमीशन लेकर उनके जनधन खातों में ढाई ढाई लाख डलवाए उसके बाद भी ये लोग बच नहीं पाएंगे। 

अमीरों की इस परेशानी को गरीबों ने अपनी आँखों से देखा है, इमानदारों ने बेईमानों की परेशानी को अपनी आँखों से देखा है इसलिए उनकी नजर में मोदी ने सही काम किया है और वे हर कीमत पर मोदी को ही वोट देंगे लेकिन बेईमान लोग कभी भी मोदी को वोट नहीं देंगे, भ्रष्टाचारी लोग कभी भी मोदी को वोट नहीं देंगे, जमीन कब्जाने वाले कभी भी मोदी को वोट नहीं देंगे, जातिवादी मानसिकता वाले कभी भी मोदी को वोट नहीं देंगे, कालाधन रखने वाले कभी भी मोदी को वोट नहीं देंगे, नंबर दो का काम करने वाले कभी भी मोदी को वोट नहीं देंगे, महिलाओं को बुरी नजर से देखने वाले कभी भी मोदी को वोट नहीं देंगे, गुंडागर्दी करने वाले कभी भी मोदी को वोट नहीं देंगे। 

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी नोटबंदी पर सिर्फ उनका पक्ष ले रही है जिन्हें बहुत परेशानी हुई है यानी बेईमानों का पक्ष ले रही है। वहीँ बीजेपी इमानदारों को टार्गेट कर रही है क्योंकि ईमानदार लोग कभी भी कालाधन नहीं रखते, अपने पैसे बैंकों में रखते हैं, इमानदारी से जीते हैं और इमानदार सरकार बनाना चाहते हैं इन लोगों ने बेईमानों को परेशान होते हुए देखा है इसलिए इनकी नजर में मोदी-बीजेपी की इज्जत बढ़ गयी है। 

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत इस बात पर निर्भर करेगी कि वहां पर कितने परसेंट लगो इमानदार और गैर-जातिवादी हैं। अगर इन लोगों की संख्या 50 फ़ीसदी से अधिक होगी तभी बीजेपी की जीत होगी। वर्ना 90 फ़ीसदी यादव सपा को ही वोट देंगे, जातिवादी ब्राह्मण कांग्रेस को ही वोट देंगे क्यों कांग्रेस ने इंदिरा-राजीव के जमाने में केवल ब्राह्मणों का भला किया था, केवल उन्हें नौकरी दी थी और कांग्रेस का यह अहसान जातिवादी ब्राह्मण कभी नहीं भूलेंगे, दलित मायावती को ही वोट देंगे और मुस्लिम केवल उसे वोट देंगे जिसके अन्दर बीजेपी को हराने का दम होगा।

वैसे 2014 के लोकसभा चुनावों पर यकीन करें तो ऐसा लगता है कि उत्तर इमानदार मतदाता 50 फ़ीसदी से अधिक हैं लेकिन यह भी सच है कि 2014 में लोगों ने अपनी जाति नहीं देखी थी, लेकिन इस चुनाव में लोग अपनी जाति देख रहे हैं। अपनी जाति का नेता देखकर वोट करते हैं भले ही वह बेईमान हो।

अगर आपको हमारी बात पर यकीन ना हो तो पिछले तीन महीनों में जगह जगह हुए चुनाव देखिये, चंडीगढ़ में बीजेपी की जीत हुए जहाँ पर पढ़े लिखे मतदाता थे, उसके बाद फरीदाबाद में भी बीजेपी की जीत हुई, महाराष्ट्र निकाय चुनावों में बीजेपी की जीत हुई, ओडिशा में बीजेपी का कोई नामोनिशान नहीं था उसके बाद भी बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गयी, गुजरात निकाय चुनावों में कांग्रेस का सफाया हो गया, हर जगह से कांग्रेस का सफाया हो गया और बीजेपी की जीत हुए। ईमानदार मतदाताओं ने सिर्फ बीजेपी को वोट दिया।

उत्तर प्रदेश में दूसरी बड़ी समस्या ये है कि बहुत बड़ी आबादी गरीब और अनपढ़ है, ऐसे लोगों को राजनीतिक पार्टियाँ झूठ बोलकर, भड़काकर, और पट्टी पढ़कर भ्रमित कर देती हैं। ऐसे लोगों का वोट भी बीजेपी को जाएगा तभी जीत होगी। अगर ये लोग भ्रमित हो गए तो बीजेपी को नुकसान होगा। वैसे इस बार बीजेपी की जीत के पूरे चांस हैं ऐसा हमें लगता है क्योंकि मेरी नजर में उत्तर प्रदेश में इमानदारों की संख्या 50 फ़ीसदी से अधिक है लेकिन 40 फ़ीसदी बेईमान हैं इसमें भी मुझे कोई शक नहीं है। 
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