प्रतापगढ़: किसी राज्य को बर्बाद करने का सबसे बढ़िया तरीका है वहां की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर दो और शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने का सबसे बढ़िया उपाय है उस राज्य के युवाओं को नक़ल करना सिखा दो, यूपी को बर्बाद करने के लिए यहाँ की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर दिया गया और यहाँ के छात्रों को नक़ल करना सिखा दिया गया और देखते ही देखते यहाँ के नौजवानों का भविष्य बर्बाद हो गया क्योंकि जब इन्हें नक़ल करने की लत लग गयी तो इन्होने पढना छोड़ दिया और जब बिना पढ़े पास होकर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट बन गए तो इन्हें किसी ने नौकरी नहीं दी, अब ये लोग ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट होकर भी सिर्फ मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं क्योंकि प्राइमरी शिक्षा में इन्हें नक़ल करना सिखाकर इनकी जड़ को कमजोर कर दिया गया। अब यूपी के युवा बड़े बड़े शहरों में 5-10 हजार रुपये की मजदूरी करने जाते हैं लेकिन जब इन्होने नक़ल करके परीक्षा पास की होगी तो इन्होने सोचा भी नहीं होगा कि ने नक़ल इनके भविष्य को बर्बाद कर देगी।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2000 से पहले तो सब कुछ ठीक ठाक था, प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाई होती थी और उस समय के पढ़े लिखे नौजवान आज कहीं ना कहीं अच्छी नौकरी कर रहे हैं लेकिन उसके बाद मायावती और समाजवादी पार्टी का ऐसा खेल चला कि देखते ही देखते उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था बर्बाद हो गयी।
मायावती की इस बात के लिए तारीफ करनी पड़ेगी कि पहले जब उनकी सरकार आती थी तो यह चर्चा होती थी कि अब नक़ल नहीं हो पाएगी लेकिन जब मुलायम सिंह की सरकार आती थी तो छात्र खुशियाँ मनाते थे कि अब तो खुलेआम नक़ल होगी, सरकार की तरफ से आदेश आता था कि नक़ल करने से किसी को रोका ना जाय, परीक्षा के समय किसी को जांच के लिए ना भेजा जाय और किसी छात्र को रेस्टिकेट ना किया जाय, इसका नतीजा यह होता था कि मुलायम सिंह के समय 70-80 फ़ीसदी रिजल्ट आता था जबकि मायावती के समय केवल 30-35 फ़ीसदी रिजल्ट आता था। जब पांच साल के लिए मुलायम की सरकार आयी तो छात्रों ने खुशियाँ मनाई कि अब तो पांच साल खुलेआम नक़ल करने को मिलेगी लेकिन उन्होंने ये नहीं सोचा होगा कि ये नक़ल उनके भविष्य को बर्बाद कर देगी और उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेगी।
मुलायम सिंह के राज में नक़ल के अलावा ऐसी गुंडागर्दी बढ़ी कि लोगों ने मन में ठान लिया कि अब मुलायम सिंह को हटाना ही पड़ेगा, इसके बाद लोगों ने मुलायम सिंह को पूरी तरह से साफ़ कर दिया और फिर से मायावती की सरकार बना दी, लेकिन मायावती के राज में भी ऐसी गुंडागर्दी बढ़ी कि लोगों ने उन्हें भी हटाने का मन बना लिया और अगले चुनाव में मायावती को साफ़ करके फिर से समाजवादी पार्टी की सरकार बना दी और मुलायम सिंह ने प्रधानमंत्री बनने के लालच में कुर्सी छोड़ दी और अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बना दिया, लेकिन अखिलेश भी शिक्षा में कोई बदलाव नहीं ला पाए क्योंकि नक़ल करने वाले छात्र और ऐसे छात्रों के माता पिता उनके वोट बैंक थे, इस वोटबैंक को बनाए रखने के लिए सरकार ने नक़ल को बढ़ावा देना जारी रखा और छात्रों ने बिना पढ़े नक़ल करना जारी रखा और देखते ही देखते अपना भविष्य बर्बाद कर लिया।
सत्ता के इस खेल में उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यावस्था पूरी तरह से बर्बाद हो गयी क्योंकि 10 साल में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में लोगों ने जमकर नक़ल की, बिना पढ़े पास हुए, ग्रेजुएट हो गए लेकिन नक़ल करके पास होने वालों की जड़ तो पहले ही कमजोर हो चुकी होती है, जिन लोगों ने बड़े शहरों में जाकर अपनी जड़ें मजबूत कीं उन लोगों को कुछ कामयाबी मिल गयी लेकिन गाँवों के 90 फ़ीसदी युवा आज भी नकारा हैं क्योंकि इन लोगों ने नक़ल करके अपना भविष्य बर्बाद कर लिया है।
जब तक शिक्षा व्यवस्था मजबूत नहीं होती तब तक किसी राज्य या देश का भविष्य उज्जवल नहीं हो सकता, जिस स्कूल में हम पढ़े थे आज उस स्कूल में हमारे बच्चे नहीं पढ़ते क्योंकि वहां पर ना तो टीचर पढ़ाना चाहते हैं और ना ही बच्चे पढना चाहते हैं, जब अच्छा टीचर नहीं होगा तो ना तो अभिभावक अपने बच्चों को उस स्कूल में भेजेंगे और ना ही सरकार के पैसों का उपयोग होगा।
सच्चाई कड़वी होती है लेकिन आज जिस स्कूल में हम पढ़े थे उस स्कूल में केवल अति-गरीब परिवार के बच्चे ही पढने आते हैं, केवल ऐसे बच्चे पढने आते हैं जिनके माँ बाप अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ा सकते, आपको जानकार आश्चर्य होगा की ऐसे बच्चे भी स्कूलों में नहीं पढना चाहते जिनके घर के एकदम पास स्कूल है, आज माँ-बाप अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने के लिए ऑटो का पैसा देते हैं, खुद उन्हें स्कूल छोड़ने जाते हैं, अपने मेंहनत मजदूरी से कुछ पैसे बचाकर मंहगी फीस चुकाते हैं। यह एक असलियत है और इसे कोई नकार नहीं कर सकता।
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