मेरे पास एक भी गाडी नहीं लेकिन समाजवादी पार्टी के कुनबे में 200 से अधिक गाड़ियाँ हैं: PM MODI

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Kannauj, 15 Feb: प्रधानमंत्री मोदी ने आज कन्नौज रैली में समाजवादी पार्टी के समाजवाद की धज्जियाँ उड़ाकर रख दीं, उन्होंने कहा कि मैं देश का प्रधानमंत्री हूँ लेकिन मेरे घर में एक भी गाड़ी नहीं है लेकिन आप समाजवादी पार्टी के एक कुनबे को देखेंगे तो उनके घर में 200 से अधिक गाड़ियाँ दिखेंगी, क्या यही इनका समाजवाद है, ये कौन सा समाजवाद है, ये जनता के साथ धोखाधड़ी करने वाले लोग हैं। 

मोदी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी चुनाव आते ही गरीब गरीब करते रहते थे लकिन उन्होंने कभी भी गरीबों के लिए ना कुछ सोचा और ना किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार उत्तर प्रदेश के हर गरीब की थाली में 27 रूपया लगाती है तो उसका पेट भरता है लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार गरीब विरोधी है। भारत सरकार ने अन्न सुरक्षा के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के गरीबों की लिस्ट बनाने का आग्रह किया था ताकि लिस्ट में जितने भी लोग हों उन्हें खाने के पैसे दे सकें लेकिन वे गरीबों की सूची भी नहीं दे पाए, 50 हजार गरीबों के खाने के लिए हमने 750 करोड़ रूपए दिल्ली में हमें निकालकर रखा हुआ है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार उसे लेने के रूचि नहीं ले रही है, उन्हें गरीबों की चिंता ही नहीं है। 

मोदी ने कहा कि सपा सरकार ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि ये सभी फायदे केवल अपने कुनबे से जुड़े लोगों को देते हैं और एक ही जाती को गरीब समझते हैं। अगर उनकी पसंद की जाति का नहीं  होगा तो वे उसे रूपया नहीं देंगे, उसका नाम भी नहीं लिखेंगे, ये गरीबों के साथ अन्याय है कि नहीं है।

मोदी ने कहा कि आप सुनकर हैरान रह जाएंगे ये उत्तर प्रदेश की सरकार ऐसी सोयी हुई है कि एक सामाजिक संस्थान के अनाथ आश्रम में आये हुए गरीबों के लिए भारत सरकार पैसे देना चाहती है लेकिन सपा सरकार इसलिए पैसे नहीं ले रही है क्योंकि वो विचौलिया ढूंढ रही है ताकि पैसे खा सकें।

मोदी ने कहा कि सरकार अमीरों के लिए नहीं होती बल्कि सरकार गरीबों के लिए होती है क्योंकि अमीर तो बड़े बड़े अस्पतालों में अपना इलाज करा सकते हैं, बड़े बड़े स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा सकते हैं लेकिन गरीबों के लिए सरकारी अस्पताल और सरकारी स्कूल ही सहारा होता है लेकिन उत्तर प्रदेश में ना तो सरकारी अस्पताल अच्छे हैं और ना ही सरकारी स्कूल सही चलते हैं, आधे से अधिक स्कूलों में आधे से कम अध्यापक हैं, क्या ऐसे गरीबों की सेवा करते हैं ये लोग, क्या यही काम बोलता है। 
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