मीडिया चैनल क्यों नहीं दिखा रहे हैं बजट गरीबों, किसानों, महिलाओं के लिए कितना बढ़िया है: पढ़ें

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New Delhi, 2 February: आपने देखा होगा एक दो मीडिया चैनलों को छोड़कर किसी भी मीडिया चैनल ने यह नहीं दिखाया कि ये बजट गरीबों, किसानों, महिलाओं, मजदूरों और नौकरीपेशा लोगों के लिए कितना फायदेमंद है। बजट की अच्छी बातें दिखाने के बजाय ये लोग राहुल गाँधी, कांग्रेस और विपक्षी दलों के बयान दिखाते रहे जिसमें उन्होंने कहा कि बजट में किसानों को कुछ नहीं दिया गया है, गरीबों, महिलाओं को कुछ नहीं दिया गया है। सभी ने बजट को खारीद कर दिया और मीडिया चैनल बार बार उन्हीं की बातें दिखाकर देश में नकारात्मकता फैलाते रहे। 

यह सब मीडिया चैनलों ने इसलिए किया क्योंकि मोदी सरकार ने उन्हें करोड़ों रुपये नहीं खिलाये, अगर उनके मुंह में करोड़ों रुपये ठूंस दिए जाते तो यही लोग बजट को निचोड़ निचोड़कर दिखाते और इसे किसानों, गरीबों, महिलाओं, मजदूरों और नौकरीपेशा लोगों के लिए बढ़िया बताते और आज पूरे देश में मोदी सरकार की तारीफ़ हो रही होती। 

बजट किसानों के लिए कितना फायदेमंद

विरोधी कह रहे हैं कि बजट में किसानों को कुछ नहीं दिया गया जबकि बजट में बताया गया है कि किसानों को 10 लाख करोड़ का कर्ज मिलेगा और कर्ज पर 60 दिनों तक कोई व्याज नहीं लगेगा, अब आप खुद सोचिये 10 लाख करोड़ रुपये कितने होते हैं, अगर किसान 2 लाख रुपये लोन लेता है और उसे 2 महीने के भीतर वापस कर देता है तो उसे कोई व्याज नहीं देना पड़ेगा। 

इसके अलावा 40 फ़ीसदी किसानों यानी 10 करोड़ किसानों को कोऑपरेटिव सोसायटीज से क्रेडिट कार्ड मिलेगा जिससे वे अपने खर्च के हिसाब से पैसे निकाल सकते हैं और वापस जमा कर सकते हैं। 

इसके अलावा अगले मंच साल में टेक्नोलॉजी, डेरी प्रोसेसिंग, फ़ूड प्रोसेसिंग, ड्रिप इरीगेशन, सॉयल हेल्थ कार्ड जैसी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देकर किसानों की आय पांच साल में डबल करने का ऐलान है। 

बजट में ऐसी और भी बातें हैं जो किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है। 

बुनियादी ढांचे के लिए 3,96,135 करोड़ रुपये

बजट में बुनियादी ढाँचे के लिए कुल मिलाकर 3,96,135 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। सड़क क्षेत्र में राजमार्गों के लिए बजट आवंटन को 2016-17 के बजट अनुमान के 57,976 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2017-18 में 64,900 करोड़ रुपये कर दिया गया। इसके अलावा बंदरगाहों और दूरदराज के गांवों से बेहतर कनेक्टिविटी के लिए 2,000 किलोमीटर लंबी तटीय कनेक्टिविटी सड़कों की पहचान की गई है।

अब आप बताइये, जब देश में सड़कें बनेंगी, इंफ्रास्ट्रक्चर बनेंगे तो उससे क्या मजदूरों को रोजगार नहीं मिलेगा, लाखों नहीं बल्कि करोड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा लेकिन विरोधी कह रहे हैं कि बेरोजगारी दूर करने के लिए मोदी सरकार ने कुछ नहीं किया। इसके अलावा अच्छी सड़कें बनने से देश का विकास होने के साथ ट्रांसपोर्ट और परिवहन सेक्टर का विकास होगा और लोगों को सफर करने में भी मजा आएगा, पेट्रोल-डीजल कम खर्च होगा। देश को बहुत लाभ मिलेगा, किसान कहीं भी अपनी फसल बेच पाएंगे।

अफॉर्डबल हाउसिंग - सस्ते मकान

वर्ष 2019 तक एक करोड़ करीबों को सस्ते मकान दिए जाएंगे, अब आप बताइये ये 1 करोड़ मकान जिसे मिलेंगे उसे लाभ नहीं मिलेगा, क्या इससे गरीबों, महिलाओं को लाभ नहीं मिलेगा, क्या ये घर चन्द्रमा पर बनेंगे। 1 करोड़ घर बनेंगे तो 10 करोड़ लोगों को रोजगार भी मिलेगा। लेकिन लोग कह रहे हैं कि रोजगार के लिए कुछ किया ही नहीं गया है।

इसके अलावा - 

रेलवे के विकास पर 1.31 हजार करोड़ रुपये
रक्षा क्षेत्र पर 2.74 लाख करोड रुपये होंगे खर्च
आधार कार्ड से पेमेंट के लिए 20 लाख नई मशीनें आएंगी
महिला कल्याण के लिए 1.86 लाख करोड़ का फंड
रेल सुरक्षा के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का फंड
मनरेगा में अब तक का सबसे ज्यादा 48 हजार करोड़ का फंड दिया जाएगा
1 लाख 50 हजार ग्राम पंचायतों को हाईस्पीड ब्रॉड बैंड सर्विस प्रोवाइड की जाएगी।
भारत नेट प्रोजेक्ट के लिए 10 हजार करोड़ रुपए अलॉट किए गए हैं।
स्टार्ट-अप सेक्टर तीन साल के लिए टैक्स छूट समय सीमा को बढ़ाकर सात साल करने का एलान किया गया।
IRCTC से टिकट बुक कराने पर सर्विस चार्ज नहीं लगेगा।
झारखंड और गुजरात में 2 नए एम्स बनाए जाएंगे।
3.5 करोड़ नौजवानों को मार्केट बेस्ड ट्रेनिंग दी जाएगी। इस काम के लिए सरकार ने 4000 करोड़ रुपए अलॉट किए हैं।

पीएम स्किल सेंटर को 600 जिलों में शुरू किया जाएगा।

ऐसी बहुत सी बाते हैं जो हर तबके के लिए फायदेमंद हैं, सबसे बड़ी बात ये है कि इस बजट में अब तक की सबसे बड़ी रकम 21.47 लाख करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे, अब तक इतना बड़ा बजट कभी नहीं बना, ये रुपये खर्च होंगे तो देश को बहुत फायदा होगा, नोटबंदी के बाद सुस्त हुई अर्थव्यवस्था दौड़ पड़ेगी। 

लेकिन ये सब मीडिया चैनल नहीं दिखाते, हाँ अगर 10 लोगों को पैसे से खरीदकर लाओ और उन्हें किसान बनाकर जंतर मंतर पर बिठाओ, किसान संसद बुलाओ और मोदी सरकार को गरियाओ तो मीडिया चैनल वहां जरूर पहुँच जाते हैं। अब आप खुद बताइये, जिस बजट को एक-दो घंटे में अच्छे अच्छे अर्थशास्त्री नहीं समझ पाते उस बजट को देश के गरीब किसान इतनी जल्दी कैसे समझ। 
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