लखनऊ, 19 फ़रवरी: प्रियंका गाँधी ने मोदी को बाहरी बताकर उनपर सब से बड़ा हमला करने की कोशिश की है लेकिन मोदी ऐसे ही लोगों को ढूंढते हैं जो उनके खिलाफ ऐसे ही बयान दें, जब भी मोदी के ऊपर ऐसे हमले किये जाते हैं, मोदी उसे भुना लेते हैं और विरोधियों की ऐसी तैसी कर देते हैं।
अगर आपको याद तो 2014 का लोकसभा चुनाव याद कीजिये, प्रियंका वाड्रा ने अमेठी में मोदी के बारे में नीच शब्द का प्रयोग किया था। इसके बाद मोदी ने नीच शब्द को भुना लिया और सभी रैलियों में कहा कि कांग्रेस वाले उन्हें नीच समझते हैं तो कोई बात नहीं, मैं गरीब परिवार में जन्म दिया, नीच जाति में जन्म लिया इसलिए तुम मुझे नीच बोलते हो। इसके बाद पिछड़ी जातियों और दलितों ने जिन्हें यूपी बिहार में नीच समझा जाता है, उन्होंने मोदी को अपना मानकर केवल बीजेपी को वोट दिया और विरोधियों का पत्ता साफ़ हो गया।
अब प्रियंका वाड्रा ने मोदी को बाहरी बताकर दूसरी गलती कर दी है, मोदी वाराणसी के सांसद हैं और उन्होंने बम्पर वोटों से जीत दर्ज की थी, इसके अलावा मोदी देश के प्रधानमंत्री भी हैं, ऐसे में प्रियंका वाड्रा जो पार्टी टाइम नेता हैं, उन्होंने मोदी को बाहरी बता दिया, अब मोदी जरूर सभी रैलियों में खुद को बाहरी बताने की चर्चा करेंगे और सहानुभूति हासिल करके फिर से विरोधियों पर टूट पड़ेंगे।
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस नेताओं ने मोदी के बारे में पहली बार ऐसे शब्दों का प्रयोग किया है, इससे पहले सोनिया गाँधी ने गुजरात चुनावों में उन्हें मौत का सौदागर कहा था, इसके बाद गुजरात वालों ने कांग्रेस को जवाब देते हुए गुजरात से कांग्रेस का पत्ता साफ़ कर दिया।
इसके अलावा कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी को चाय वाला बता दिया था, इसके बाद मोदी ने चाय वाले शब्द को ऐसा भुनाया कि चाय बनाने वाले और चाय पीने वाले मोदी के मुरीद बन गए और सभी ने मिलकर 2014 में कांग्रेस का पत्ता साफ़ कर दिया।
प्रियंका वाड्रा को मोदी को बाहरी बताने से पहले अपने परिवार के बारे में सोच लेना चाहिए था, उनकी माँ सोनिया गाँधी इटली की हैं लेकिन आज कांग्रेस की अध्यक्ष हैं, कांग्रेस पार्टी पर उनका राज है, जब उनकी माँ बाहरी होकर देश पर राज कर सकती हैं तो क्या मोदी उत्तर प्रदेश में वोट नहीं मांग सकते। प्रियंका वाड्रा ने शायद बोलने से पहले परिणाम के बारे में सोचा ही नहीं।
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