एक ही झटके में ख़त्म हो गयी मंहगाई, अब क्या करें विपक्षी दल, क्या बोलें मोदी-बीजेपी के खिलाफ

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New Delhi, 22 January: पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, उत्तर प्रदेश का चुनाव सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, इससे पहले जब बिहार चुनाव हुए थे विपक्षी दलों के पास कई मुद्दे थे, सबसे बड़ा मुद्दा था, दालों के दाम, आलू और प्याज के दाम। कांग्रेस, JDU और RJD ने इस मुद्दे को बहुत भुनाया था, हर रैलियों में राहुल गाँधी दालों के दाम का मुद्दा उठाते थे, आलू और प्याज के दाम का मुद्दा उठाते थे लेकिन नोटबंदी के बाद एक ही झटके में मंहगाई ख़त्म हो गयी। 

बिहार चुनावों के समय अरहर के दाम 180 रुपये किलो थे तो कांग्रेस ने 200 रुपये किलो बताकर खूब फायदा उठाया, इसी तरह आलू और प्याज के दामों को 80 रुपये बताकर खूब राजनीतिक फायदा उठाया और उन्हें वोट भी मिले, बिहार से बीजेपी का सफाया हो गया लेकिन उत्तर प्रदेश चुनावों में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल दाल, आलू, टमाटर और प्याज का नाम लेने से बच रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अब इन चीजों के दाम विल्कुल कम हो गए हैं। 

अरहर 100 रुपये में मिल रही है लेकिन जब से सरकार ने सरकारी दुकानों में 70 रुपये में अरहर का दाम बेचने का निर्णय किया है, जमाखोरों में खलबली मच रही है, अब दिनों दिन अरहर की दाल के दाम गिर रहे हैं, इमानदार राशन की दुकान वाले 80-90 रुपये में अरहर की दाल बेच रहे हैं लेकिन बेईमान दुकान वाले अभी भी 110-120 रुपये में अरहर की दाल बेचकर ग्राहकों को लूट रहे हैं लेकिन जल्द ही इनका दिमाग ठिकाने आ जाएगा। 

इसी तरह मंडियों में आलू पांच रूपए प्रति किलो बिक रहा है, बढ़िया प्याज 15-20 रुपये प्रति किलो में बिक रही है, टमाटर 8-10 रुपये प्रति कलो बिक रहा है और मटर 10-20 रूपया प्रति किलो बिक रहा है, इसी तरह से अन्य सब्जियां भी सस्ती बिक रही हैं। 

देश में मंहगाई कम होने से कांग्रेस और विपक्षी दल सदमें में हैं, UP में तो विपक्षी पार्टियाँ अकेले दम पर चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं, उत्तर प्रदश में सपा और कांग्रेस इस कदर डर गयी हैं कि गठबंधन करके चुनाव लड़ना चाहती हैं, मायावती इतना डर गयी हैं कि कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहती थीं लेकिन बात नहीं बनी और कांग्रेस सपा के साथ चली गयी। ये पार्टियाँ सोच ही नहीं पा रही हैं कि बीजेपी और मोदी सरकार से कैसे निपटें। अगर ये नोटबंदी के खिलाफ बोलते हैं तो जनता इनसे और नाराज हो जाती है क्योंकि जनता देख रही है कि नोटबंदी के बाद घोटालेबाज और भ्रष्टाचारी कितने परेशान हैं। ऐसे के विपक्षी दल करें तो क्या करें। 
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