नागपुर, 13 दिसम्बर: पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने मंगलवार को इस बात की जांच कराने के लिए एक विशेष जांच दल के गठन की मांग की कि कैसे कुछ लोग 2000 मूल्य के नए नोटों के बंडल पाने में कामयाब हो गए, जबकि आम लोग अपने पैसे निकालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। चिदम्बरम ने कहा, "मैं दो हजार रुपये का एक नोट नहीं पा सकता हूं जबकि देश भर में छापेमारी के दौरान 2000 रुपये के नए नोटों में अब तक करोड़ों रुपये लोगों के कब्जे से मिले हैं। सरकार ने आय कर विभाग को जांच करने का आदेश दिया है। यह बहुत बड़ा अपराध है और इस मामले में आपराधिक जांच होनी चाहिए।"
यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नोटबंदी को इस साल का सबसे बड़ा घोटाला बताया और इसकी एक मुकम्मल जांच कराने की मांग की।
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों को 24000 रुपये निकालने की अनुमति देने के सरकारी निर्णय के पीछे क्या तर्क है, जबकि बैंकों के पास पर्याप्त नकदी नहीं है और देश भर में लोग लंबी कतारों में खड़े होने को मजबूर हैं।
कांग्रेस नेता ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की राय का भी समर्थन किया और कहा कि यह 'ऐतिहासिक कुप्रबंधन' है।
सिंह ने गत 24 नवंबर को राज्यसभा में नोटबंदी को 'ऐतिहासिक कुप्रबंधन' की संज्ञा दी थी।
सरकार पर प्रहार करते हुए चिदम्बरम ने कहा, "प्रत्येक बैंक कह रहा है कि नकदी नहीं है। फिर सरकार कैसे कह रही है कि नकदी है? इसी वजह से मनमोहन सिंह ने इसे ऐतिहासिक कुप्रबंधन कहा है।"
जिला सहकारी बैंकों को पर्याप्त नकदी नहीं देने के लिए सरकार पर निशाना साधते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, "जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को योजना से बाहर रखना किसानों को सजा देने के समान है। खाद, बीज, आवश्यक वस्तुओं को खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं।"
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि गत 8 नवम्बर को 500 और 1000 रुपये मूल्य के नोटों को अमान्य घोषित किए जाने के बाद से दैनिक मजदूरी पर निर्भर करीब 45 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं।
चिदम्बरम ने पूछा, "उन्हें कौन मुआवजा देने जा रहा है?"
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