अब दुनिया करेगी PM MODI पर रिसर्च, कितना बड़ा कलेजा था जो नोटबंदी का इतना बड़ा निर्णय ले लिया?

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New Delhi, 31 December: नोटबंदी की समय सीमा ख़त्म हो गयी है औत अब हालात भी धीरे धीरे सामान्य हो गए हैं, शहरों के हालात अब 90 फ़ीसदी सामान्य हो गए हैं जबकि गाँवों में भी करीब करीब 80 फ़ीसदी हालत सामान्य हो गए हैं क्योंकि बैंकों में जहाँ पहले 100-200 लोगों की भीड़ होती थी वहीं अब केवल 8-10 लोगों की भीड़ होती हैं, मलतब अब कोई भी बैंकों में जाकर आधे घंटे में अपनी जरूरत के पैसे निकाल सकता है, पहले अगर 10 मिनट लगते थे तो अभी 20-30 मिनट लगते हैं और आने वाले एक दो हप्ते में यह भीड़ भी ख़त्म हो जाएगी और अगर लोगों ने डिजिटल पेमेंट का रास्ता अपना लिया तो बैंकों में पैसा निकालने के लिए लोग जाएंगे ही नहीं। 

अगर सीधे तौर पर कहें तो लम्बी लाइनें ख़त्म हो गयी हैं, कुछ प्राइवेट बैंकों की धांधली की वजह से सभी ATM में पैसे नहीं डाले जा रहे हैं और ऐसे लोगों को दूसरे ATM में पैसों के लिए लगना पड़ रहा है, शायद इसीलिए ATM के बाहर थोडा भीड़ दिखाई पड़ रही है लेकिन अगले एक हप्ते में यह भीड़ भी ख़त्म हो जाएगी। जब से 500 सौ रुपये बैंकों में आ गए हैं तब से लोगों को आसानी से कैश मिल रहा है। 

कुल मिलाकर नोटबंदी पूरी तरह से सफल रही है और सरकार ने जैसा चाहा था वैसा ही उन्हें परिणाम मिला है, कालाधन तिजोरियों से निकलकर बैंकों में आ चुका है और अब सरकार को ऐसे लोगों को पकड़ना है जिन्होंने टैक्स ना देकर बैंकों में करोड़ों रुपये जमा किये हैं, सरकार ऐसे लोगों से जुर्माना वसूलकर करीब पांच लाख करोड़ की कमाई करेगी और यही सरकार का लाभ भी होगा। 

सबसे ख़ास बात यह है कि नोटबंदी करके प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत बड़ा रिश्क लिया था, उन्होंने अपना पूरा राजनीतिक जीवन और अब तक की उपलब्धियों को दांव पर लगा दिया था, अगर नोटबंदी विफल हो जाती और उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ता तो उनकी बहुत ही बड़ी जगहंसाई होती और उनका पूरा राजनीतिक जीवन तबाह हो जाता, हो सकता है कि उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा भी देता पड़ता लेकिन ऐसा नहीं हुआ और विपक्ष भी मान रहा है कि नोटबंदी सफल हो रही है क्योंकि अब विपक्ष ने मोदी के सामने कई अन्य मांगें रख दी हैं। ऐसा बड़ा फैसला दुनिया में कोई भी नेता नहीं ले सकता है। 

मोदी के इस साहसिक फैसले पर पूरी दुनिया की नजरें लगी हुई थीं, 85 फ़ीसदी कैश को एकाएक रद्दी बना देना और पूरे देश की जनता को लाइन में लगाकर उनके पुराने नोटों को बैंकों में जमा करके उन्हें नए नोट देना अपने आप में इस दुनिया का सबसे बड़ा फैसला था। अब दुनिया के बड़े बड़े वैज्ञानिक मोदी के इस फैसले पर रिसर्च करेंगे। लोग रिसर्च करेंगे कि आखिर मोदी का कितना बड़ा कलेजा रहा होगा जिसके दम पर उन्होनें ऐसा बड़ा फैसला ले लिया।

बड़े बड़े वैज्ञानिक इस बात की भी रिसर्च करेंगे कि भारत की जनता को मोदी पर इतना भरोसा कैसे हो गया कि उन्होंने 50 दिन तक अग्निपथ पर चलना स्वीकार कर लिया और उफ़ तक नहीं किया। यह भी रिसर्च किया जाएगा कि मोदी को अपने देश की जनता पर इतना भरोसा कैसे था, वे कैसे जानते थे कि जनता उनकी बात पर भरोसा करेगी और 50 दिन तक उफ़ भी नहीं करेगी।

आने वाले दिनों में दुनिया के PHD छात्र इस नोटबंदी के फैसले पर रिसर्च करेंगे, भारतीयों पर रिसर्च करेंगे, उनके विश्वास पर रिसर्च करेंगे, उनके हौसले पर रिसर्च करेंगे, प्रधानमंत्री मोदी पर रिसर्च करेंगे, मोदी सरकार पर रिसर्च करेंगे, RBI पर रिसर्च करेंगे। 

इस रिसर्च पर सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस, राहुल गाँधी, मनमोहन सिंह, केजरीवाल, ममता बनर्जी और लालू यादव जैसे नेताओं का होगा क्योंकि दुनिया इन्हें इसलिए याद करेगी क्योंकि इन लोगों ने नोटबंदी का विरोध किया था, कैशलेस व्यापार का विरोध किया था। 
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