'मी लार्ड' के मुंह से निकली दंगे की बात तो लोग हुए हैरान 'ऐसा कैसे हो सकता है.. घोर आश्चर्य’

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New Delhi, 20 November: देश की सबसे बड़ी न्यायिक व्यवस्था यानी सुप्रीम कोर्ट अगर कहे कि 'नोटबंदी से दंगे हो जाएंगे' तो सुनने वालों को आश्चर्य होगा, उन्हें तो लोगों को धीरज बंधाना चाहिए, लोगों से सबर करने की अपील करनी चाहिए, अगर वे दंगे की बात बोलेंगे तो लोगों में डर फैलेगा और अधिक अफरा तफरी मचेगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने दंगे की बात बोलकर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कहीं कालेधन की चोट उन्हें या उनके साथियों पर तो नहीं हुई है।

इस वक्त जितने भी पढ़े लिखे आदमी हैं, मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की तारीफ कर रहे हैं और लाइन में खड़े होते हुए भी यही कह रहे हैं कि एक हफ्ते में हालात सामान्य हो जाएंगे, हालात सामान्य हो भी रहे हैं और लाईनें छोटी भी हो रही हैं, यही नहीं ATM से नए नोट भी निकलने लगे हैं और लोगों का काम चलने लगा है, केंद्र सरकार जानता है कि इस फैसले का विरोध करने वाले बेईमान लोग कोर्ट में याचिका डालेंगे, यही सोचकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया था कि ऐसी सभी याचिकाओं को रोक दें क्योंकि ये राजनीति से प्रेरित हो सकती हैं और ऐसा हो भी रहा है क्योंकि सभी याचिकाओं की पैरवी कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल कर रहे हैं। 

वैसे कानाफूसी में कहा जाता है कि चीफ जस्टिस पक्के मोदी विरोधी हैं क्योंकि चीफ जस्टिस कॉलेजियम या परिवारवाद को बढ़ावा देने पर यकीन करते हैं और वे खुद परिवारवाद से ही इतने ऊपर तक पहुंचे हैं क्योंकि उनके पिताजी भी जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट में जज थे और बाद में कांग्रेस सांसद, मंत्री और राज्यपाल बने, उनका भाई भी जज है और वे खुद सुप्रीम कोर्ट के जज हैं, अगर कॉलेजियम व्यवस्था जारी रही तो हो सकता है कि उनका बेटा या बेटी भी जज बन जाए। मोदी कॉलेजियम यानी परिवारवाद का विरोध कर रहे हैं क्योंकि इससे भ्रष्टाचारी लोग भी घूस देकर जज बाद जाते हैं और बाद में अदालतों में घूस लेकर फैसले किये जाते हैं। मोदी की इसी जिद की वजह से चीफ जस्टिस उनसे नाराज हैं। 

शायद इसी नाराजगी की वजह से चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार का याचिकाओं पर रोक लगाने का आवेदन ठुकरा दिया और साथ ही यह भी कह दिया कि लोगों को पैसे नहीं मिल रहे हैं अगर लोगों को कोर्ट में आने से मना किया गया तो दंगे हो जाएंगे, अब चीफ जस्टिस इतने बेवकूफ तो हैं नहीं कि विरोधियों की साजिश को ना समझ सकें। उन्हें पता होना चाहिए कि जब सुप्रीम कोर्ट में ऐसी याचिकाओं की पैरवी कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल कर रहे हैं तो याचिका भी कांग्रेस के ही किसी नेता या समर्थक ने डाली होगी। इसके बावजूद भी चीफ जस्टिस ने मोदी सरकार की याचिकाओं पर रोक लगाने की अपील ठुकराते हुए दंगे होने जैसा बयान दिया। 

चीफ जस्टिस की ऐसी भाषा सुनकर लोग हैरान हैं, लोगों का कहना है कि कहीं सबसे अधिक भ्रष्टाचार सुप्रीम कोर्ट में ही तो नहीं है और कहीं सबसे अधिक भ्रष्टाचारी सुप्रीम कोर्ट के जज ही तो नहीं हैं। आपको शायद मालूम ना हो, सुप्रीम कोर्ट के वकील एक एक केस के लिए करोड़ों रुपये लेते हैं और बड़े से बड़े अपराधी को सजा होने से बचा लेते हैं। भ्रष्टाचार का सबसे अधिक पैसा सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को मिलता है और अगर साफ़ शब्दों में कहा जाए तो सुप्रीम कोर्ट भ्रष्टाचार का गढ़ है क्योंकि भ्रष्टाचारी घोटाले करते हैं, पुलिस उन्हें पकडती है, उन्हें छोटी अदालतें सजा सुनाती हैं लेकिन वे सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकीलों को करोड़ों रुपये फीस देकर सजा से बच जाते हैं उदाहरण के लिए लालू यादव जिन्होंने राम जेठमलानी को करोड़ों रुपये फीस देकर चारा घोटाले में सजा पाने से बच गए और बाद में उन्हें राज्य सभा सांसद भी बना दिया, अगर नोटबंदी पर लगाम लग गयी तो वकीलों को बेईमान लोग मोटी फीस नहीं दे पाएंगे और लालू यादव जैसे घोटालेबाज जेल के अन्दर होंगे। 

इस फैसले से वकीलों को नाराजगी हो तो बात समझ में भी आती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जज जिनके सामने घोटालों की पार्टी कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल पैरवी करते हैं और प्रधान न्यायाधीश उनकी हाँ में हाँ मिलाते हुए दंगे की बात बोलते हैं। यह बात लोगों को हजम नहीं हो रही है। 
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