मोदी की आर्थिक नीतियों से दिल्ली बनी देश की आर्थिक राजधानी लेकिन केजरीवल बोले 'देखा मेरा कमाल’

modi-sarkar-economic-policies-made-delhi-economic-capital-india
modi-sarkar-economic-policies-made-delhi-economic-capital-india

New Delhi, 29 November: आपने केजरीवाल को यह कहते सुना होगा कि दिल्ली में उनकी एक पेन खरीदने की भी औकात नहीं है और दिल्ली के असली बॉस उप-राज्यपाल नजीब जंग हैं, लेकिन आज जब दिल्ली के बारे में खबर आयी कि दिल्ली ने मुंबई को पीछे धकेलकर देश की आर्थिक राजधानी होने का गौरव हासिल कर लिया है तो केजरीवाल ने इसका क्रेडिट खुद को देते हुए कहा कि 'यह कमाल उन्होंने किया है'।

आपको बता दें कि ऑक्सफर्ड इकनॉमिक्स की ओर से कराए गए एक सर्वे में दुनिया के 50 मेट्रोपोलिन इकॉनमिक शहरों में दिल्ली को 30वां स्थान हासिल हुआ है, जबकि मुंबई एक पायदान नीचे यानी 31वें नंबर पर है। इस हिसाब से दिल्ली देश की आर्थिक राजधानी बन गयी है लेकिन इसमें केजरीवाल सरकार का कोई रोल नहीं है, यह सब हुआ है केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से, बिजनेस को आसान बनाने के लिए उठाये गए क़दमों की वजह से और बिजनेस को आसानी से क्लीयरेंस देने की वजह से। 

इसके अलावा दिल्ली को यह मुकाम NCR के अंतर्गत आने वाले शहरों - फरीदाबाद, गुरुग्राम, नॉएडा, गाजियाबाद की वजह से हासिल हुआ है, गुड़गांव, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद जैसे शहरों को मिलाकर दिल्ली-एनसीआर की जीडीपी 370 अरब डॉलर यानी करीब 25,164 अरब रुपये है। जबकि देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर में मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, वसाई-विरार, भिवंडी और पनवेल को शामिल किया गया है। इन शहरों की संयुक्त जीडीपी 368 अरब डॉलर रही है। मतलब अगर गुरुग्राम, नॉएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद NCR में शामिल ना होते तो दिल्ली को यह मुकाम ना मिलता। 

यह भी ध्यान देने लायक है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में मुंबई अभी भी दिल्ली-एनसीआर से आगे है। मुंबई की प्रति व्यक्ति जीडीपी 16,881 डॉलर है, जबकि दिल्ली की 15,745 डॉलर है।

केजरीवाल का कमाल नहीं केंद्र की आर्थिक नीतियों का कमाल

दिल्ली को देश की आर्थिक राजधानी बनाने में केजरीवाल का कोई हाथ नहीं है, उन्हें तो दिल्ली के बारे में कुछ पता नहीं है क्योंकि वे ट्विटर पर ही रहते हैं। टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से जुड़े प्रफेसर बिनो पॉल ने कहा कि केंद्र के उदारीकरण के बाद एनसीआर ने फिजिकल और सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में मुंबई को पीछे छोड़ दिया है।

दिल्ली के मुकाबले मुंबई के पिछड़ने को लेकर पॉल कहते हैं कि एनसीआर को केंद्र सरकार और बिजनस के साथ होने का लाभ मिला है। दिल्ली में रहने से किसी भी बिजनस को केंद्र सरकार से मंजूरी के लिए आसानी रहती है। इकॉनमिक्स की प्रफेसर संगीता कामदार भी मानती हैं कि दिल्ली ने मुंबई को पीछे छोड़ दिया है। वह कहती हैं कि किसी भी बिजनस को क्लियरेंस लेने के लिए मुंबई की बजाय दिल्ली आसान पड़ता है, जो कि केंद्र सरकार के नजदीक है।
फेसबुक, WhatsApp, ट्विटर पर शेयर करें

Delhi

Post A Comment:

0 comments: