नई दिल्ली, 31 अक्टूबर: कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और आम आदमी पार्टी (आप) ने सोमवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में केंद्रीय कारागार से भागे सिमी के विचाराधीन आठ सदस्यों की कथित पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत की न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की है। जैसे बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना होता है वैसे ही 8 आतंकियों के एनकाउंटर पर सबसे अधिक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल बौखलाई हुए हैं, ऐसा लगता है कि उनका कोई अपना मारा गया है।
केजरीवाल ने इस एनकाउंटर को सीधा सीधा फेक बताते हुए मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है, वे लगातार इस घटना पर ट्वीट और रि-ट्वीट कर रहे हैं, उन्होंने अपने ट्वीट में आतंकियों को आतंकी मानने से भी इनकार कर दिया है। उन्होंने लिखा 'यह मोजी राज है, फेक एनकाउंटर, फेक मामले, रोहित वेमुला, केजी बंसल, मिसिंग नजीब, दलित हमला, ABVP, RSS और गौ रक्षक की गुंडागर्दी।
This is Modi Raj. Fake encountrs, fake cases, Rohith Vemula, KGBansal, missing Najeeb, dalit atrocties, goondaism of ABVP, RSS, gau rakshks— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 31, 2016
अरविंद केजरीवाल ने भी घटना की जांच सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में कराए जाने की मांग की है।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तेवारी ने आईएएनएस से कहा, "कथित तौर पर जेल से भागने को लेकर सामने आए तथ्यों और परिस्थितियों से कई सवाल उठते हैं। जेल से भागे आठों सदस्यों का पुलिस मुठभेड़ में मारा जाना कई प्रासंगिक सवाल खड़े करता है कि उन्हें गोलीबारी में मारा गया या उनके पास भी हथियार थे।"
मनीष तिवारी ने सामने आए कथित तौर पर इसी एनकाउंटर के वीडियो की ओर भी इशारा किया।
कई समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर छाए इस वीडियो में एक पुलिसकर्मी सिमी के कथित सदस्य पर गोली चला रहा है। वहीं एक अन्य पुलिसकर्मी मरे पड़े एक सिमी सदस्य की जेब से चाकू निकाल रहा है। वीडियो में दिखाए गए घटनास्थल पर सिमी के ये संदिग्ध सदस्य मृत अवस्था में जमीन पर पड़े दिखाई दे रहे हैं।
तिवारी ने कहा, "तथाकथित वीडियो में दिखाई दे रहा है कि पुलिस ने जैसा दावा किया है एनकाउंटर उस तरह का नहीं है। यह फर्जी एनकाउंटर प्रतीत हो रहा है। इसलिए इस पूरे मामले की जांच केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से स्वतंत्र सर्वोच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश के अधीन कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।"
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी पूरे घटनाक्रम में साजिश होने की ओर इशारा किया है।
द्विग्विजय सिंह ने मामले की स्वतंत्र जांच कराए जाने की मांग करते हुए कहा, "यह एक गंभीर मामला है। पहली बार सिमी के कार्यकर्ता खंडवा की जेल से 2013 में फरार हुए थे। अब वे भोपाल की जेल से फरार हुए हैं। क्या वास्तव में वे जेल से भागे या किसी विशेष साजिश के तहत उन्हें जेल से भगाया गया।"
ज्ञात हो कि रविवार देर रात भोपाल की केंद्रीय जेल से सिमी के आठ आतंकवादी एक प्रहरी की गला रेतकर हत्या करके और एक अन्य को बंधक बनाने के बाद फरार हो गए थे, जिन्हें कुछ ही घंटों बाद पुलिस ने राजधानी से 25 किलोमीटर दूर गुनगा थाना क्षेत्र के अचारपुरा के जंगल में मार गिराया।
माकपा की पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने कहा, "सरकार की ओर से दिया गया बयान संदिग्ध है और अपने ही पूर्व बयानों से विरोधाभासी है।"
उन्होंने आगे कहा, "इसलिए सच्चाई का पता लगाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के अधीन इसकी स्वतंत्र जांच करवाई जाए। सरकार के इस मनगढ़ंत बयान पर कोई भी विश्वास नहीं कर सकता।"
बृंदा ने कहा, "मारे गए सभी आतंकवादियों के खिलाफ अभी अदालत में मामला चल ही रहा था और उन्हें सिमी का आतंकवादी कहना और इस तरह मार देना कानून का उल्लंघन है।"
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