RBI की अपर्याप्त तैयारी के कारण ग्रामीण इलाकों में करोड़ों लोगों की जिन्दगी खतरे में: AIBEA

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चेन्नई, 11 नवंबर: ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के एक नेता ने शुक्रवार को कहा कि विमुद्रीकरण के लिए समुचित तैयारी न कर आरबीआई ने करोड़ों भारतीयों की जिंदगी के लिए मुश्किल पैदा कर दी है। एआईबीईए के महासचिव सी.एच. वेंकटाचलम ने आईएएनएस से कहा, "ग्रामीण और छोटे कस्बों में लगभग 46,000 बैंक शाखाएं और 36,000 एटीएम हैं। वहां छोटे मूल्य वाले नोटों की अत्यंत आवश्यकता है, क्योंकि उन इलाकों के निवासियों को अपनी आजीविका के लिए नकदी की आवश्यकता होती है।"

उन्होंने कहा कि आरबीआई को लगातार छोटे मूल्य के नोट बड़ी मात्रा में प्रचलन में लाना चाहिए था, ताकि आम आदमी के पास 500 या 1000 रुपये के नोटों के बदले वे छोटे नोट होते।

वेंकटचलम ने कहा, "आरबीआई छोटे नोटों की आपूर्ति की अपनी योजना में विफल हो गई। इसके अतिरिक्त एटीएम फिर से नए नोटों के अनुकूल बनाए जाने हैं, ताकि वे नए नोटों को जारी कर सकें।"

उन्होंने कहा कि अभी तक एटीएम से निकलने वाले फर्जी नोटों को रोकने की समस्या दुरुस्त करने का कोई तंत्र नहीं है। 

वेंकटचलम ने कहा, "जो लोग शहरों में हैं, उन्हें नोटों को लेकर उतनी समस्या नहीं होगी, लेकिन ग्रामीण इलाकों की स्थिति अलग है। आरबीआई को चाहिए कि इस समस्या को तेजी के साथ सुलझाए।"

आरबीआई ने एक बयान में कहा है कि बैंकों के पास पर्याप्त मात्रा में नए नोट हैं। इस पर वेंकटचलम ने कहा कि फिर लोग बैंक शाखाओं और एटीएम पर कतार क्यों लगाए हुए हैं।

उन्होंने सवाल किया कि यदि व्यवस्था में छोटे नोट नहीं है, तो फिर लोग 2000 रुपये के नोट लेकर क्या करेंगे।

वेंकटचलम ने कहा कि बैंकर अत्यंत परेशान हैं, क्योंकि उन्हें आम जनता के कोप का भाजन होना है, जबकि उनका कोई दोष नहीं है।
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