ये SIMI के लिए रोते हैं, ग्रेवाल के लिए रोते हैं लेकिन शहीद मंदीप सिंह के लिए नहीं रोते, क्यों?

Arvind Kejriwal and Rahul Gandhi double standard on Indian Army. They cry for SIMI, they cry for Ram Kishan Grewal but not Mandeep Singh
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New Delhi, 3 November: हमारे देश की राजनीतिक भी क्या खूब है, यहाँ पर सब कुछ वोटबैंक देखकर किया जाता है, हमारे देश के कुछ नेता वोटबैंक देखकर अपना कदम उठाते हैं, हमारे देश में ऐसे ऐसे नेता हैं जो वोटबैंक देखकर SIMI आतंकियों के लिए रोने लगते हैं और आतंकियों का एनकाउंटर करने वाले सिपाहियों के मनोबल को तोड़ते हैं, यही नेता शहीद मंदीप सिंह जिन्होंने पाकिस्तान से लड़ने हुए शहादत दी थी, उनके लिए नहीं रोते क्योंकि अगर वे ऐसा करेंगे तो भारत में रहने वाले पाकिस्तान परस्त उन्हें वोट नहीं देंगे, यही नेता एक ऐसे पूर्व फौजी के लिए रोने लगते हैं जो युद्ध के मुहाने पर खड़े देश के फौजियों का मनोबल तोड़ने के लिए अचानक आत्महत्या कर लेता है। 

अगर आप ध्यान से सोचेंगे तो समझेंगे, अगर राम किशन ग्रेवाल ने केवल पांच हजार रुपये के लिए जानबूझकर आत्महत्या की है तो यह भारतीय सैनिकों के मनोबल को तोड़ने के लिए किया है, अगर उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया गया है तो यह उन लोगों द्वारा किया गया है जो हमारे देश के सैनिकों के मनोबल को तोड़कर पाकिस्तान की मदद करना चाहते हैं। जिस व्यक्ति ने देश के सैनिकों का मनोबल तोड़कर पाकिस्तान की मदद के लिए आत्महत्या की है उसके अंतिम संस्कार में राहुल गाँधी और केजरीवाल गए लेकिन जिस शहीद मंदीप सिंह, जिन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों से लड़ते हुए अपनी जान दी थी, पाकिस्तानी सैनिकों ने उनके शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे, उनके अंतिम संस्कार में ना तो राहुल गाँधी गए और ना ही केजरीवाल गए। 

इससे साबित होता है कि पूर्व सैनिक को आत्महत्या के लिए उकसाया गया था और कुछ नेताओं ने अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए राम किशन ग्रेवाल को बलि का बकरा बना दिया। 

यह घटना एक बड़ी साजिश मानी जा रही है और जिस तरह से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इसका सियासी फायदा लेने की कोशिश कर रही हैं उससे संदेह गहरा गया है। 
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सवाल यह है कि जब रामकिशन अपने साथियों के साथ रक्षामंत्री से मिल कर उन्हें विज्ञप्ति देने जा रहे थे तो रास्ते में ऐसा क्या घटित हुआ कि उन्हें रास्ते में ही जहर खाना पड़ा?
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मीडिया को भी इसकी तह तक पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए कि रक्षामंत्री से मिलने के लिए निकला एक व्यक्ति बिना उनसे मिले बिना अपनी बात कहे रास्ते में एकाएक क्यों जहर खाएगा क्या उसे किसी ने इसके लिए उकसाया था उसने सुसाइड नोट खुद लिखा या किसी ने लिखवाया?
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जिस तरह से दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राहुल गा़धी राममनोहर लोहिया अस्पताल में हंगामा बरपा रहे हैं और जिस तरह से आपा के कार्यकर्ता सड़क से सोशल मीडिया तक शोर मचा रहे हैं वह इशारा कर रहा है कि दाल में कुछ न कुछ काला जरूर है?
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केजरीवाल ने तुरंत इसे मोदी की गुंडागर्दी कहा, उन्होंने इससे पहले ट्वीट भी किया ‘मोदी OROP पर देश से झूठ बोल रहे हैं, यह योजना लागू ही नहीं की गई है, अगर केन्द्र सरकार ने यह योजना लागू की होती तो पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल को खुदकुशी क्यों करनी पड़ती।'
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