नोटबंदी पर मोदी पर राष्ट्रपति का आशीर्वाद है, कुछ नहीं कर सकते 'सुप्रीम कोर्ट और विपक्षी दल'

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नई दिल्ली, 18 नवंबर: कल सुप्रीम कोर्ट ने भी नोटबंदी पर मोदी विरोधी बयान देते हुए कहा कि नोटबंदी के बाद देश में दंगे के हालत बन रहे हैं और अगर लोगों को पैसे नहीं दिए गए तो दंगे हो सकते हैं, बता दें कि केजरीवाल और अन्य विरोधी पार्टियाँ भी दंगे का हवाला दे रही हैं लेकिन आज तक ऐसी कोई भी घटना सामने नहीं आयी है, ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट भी नोटबंदी से नाराज है, इसलिए उन्होंने कल उन याचिकाओं पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया जिन्हें रोकने की केंद्र सरकार ने अपील की थी।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आवेदन किया था कि नोटबंदी के खिलाफ जितनी भी याचिकाएं आ रही हैं उन्हें तत्काल रोका जाय क्योंकि नोटबंदी देश के हित से जुड़ा मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने जवाब में कहा कि हम तो किसी को भी कोर्ट में आने से नहीं रोकेंगे, अगर हम उन्हें कोर्ट में आने से रोकेंगे तो दंगे हो जाएंगे।

बता दें कि विपक्षी पार्टियाँ नोटबंदी रुकवाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, ऐसा लग रहा है कि सारा कालाधन इन पार्टियों के पास भी जमा है, सभी के सभी पागल हुए जा रहे हैं और कल सुप्रीम कोर्ट ने भी इन्हीं की भाषा बोल दी।

बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट और विपक्षी पार्टियाँ मोदी को नोटबंदी पर नहीं झुका सकती और ना ही कोई इसे रोक सकता है क्योंकि मोदी पर सीधा राष्ट्रपति का आशीर्वाद है, राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने शुरू में ही मोदी की तारीफ की थी और उन्हें भी पता है कि देश के सभी बेईमान और कालेधन चोर परेशान हैं, जब तक मोदी पर राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी का आशीर्वाद है कोई भी नोटबंदी पर रोक नहीं लगा सकता, सुप्रीम कोर्ट भी नहीं।

कल प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी पर राष्ट्रपति से मिले और उन्हें पूरी रिपोर्ट दी, प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति का बड़ा आदर करते हैं और हर काम उनसे विचार विमर्श के बाद ही करते हैं, प्रणब मुख़र्जी भी मोदी की हर बात मानते हैं, भले ही वे कांग्रेस के नेता रहे हैं लेकिन वे अब अपनी पिछली लाइफ भूल चुके हैं, अब वे मोदी सरकार को ही अपनी सरकार मानते हैं और सभी निर्णयों में साथ देते हैं।

इसलिए नोटबंदी पर मोदी का ना तो सुप्रीम कोर्ट कुछ कर सकता है और ना ही विपक्षी दल। क्योंकि जब मियां बीवी राजी तो क्या करेगा क्या। मलतब जब प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति राजी हैं तो सुप्रीम कोर्ट क्या कर सकता है। राष्ट्रपति तो सुप्रीम कोर्ट के भी बॉस होते हैं।
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