PM MODI ने कर दिया खुलासा, राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी से क्यों हो गयी इतनी गहरी दोस्ती: पढ़ें

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देश में हर कोई यह सोचकर परेशान रहता है कि आखिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी से इतनी बनती क्यों थी, एक दूसरे की धुर विरोधी पार्टियों से होने के बावजूद भी पिछले तीन वर्षों में दोनों के बीच कोई कटुता, कोई खटास, कोई मनमुटाव नजर नहीं आया, दोनों ही नेता दो जिश्म एक जान की तरह देश की सेवा करते रहे और अपनी अपनी भूमिकाएं निभाते रहे. आज नरेन्द्र मोदी ने प्रणब मुख़र्जी से साथ अपनी गहरी दोस्ती का खुलासा कर दिया.

नरेन्द्र मोदी ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी से राष्ट्रपति भवन को लोकभावन बना दिया. उन्होंने कहा कि मनुष्य का एक स्वभाव होता है अपने भूतकाल के साथ वर्तमान का आकलन करने से बच नहीं सकता है. हर घटना को, हर निर्णय को, हर शुरुआत को अपने जीवन के कार्यकाल से तुलना करना बड़ा स्वाभाविक होता है.

उन्होंने कहा कि मेरे तीन साल के कार्यकाल में मेरे लिए अचरज था कि वे इतने साल तक दूसरी पार्टी की सरकार में रहे, महत्वपूर्ण पदों पर रहे लेकिन उन्होंने कभी भी वर्तमान सरकार के किसी भी निर्णय का विरोध नहीं किया. उन्होंने हर निर्णय का समर्थन किया और सरकार का साथ दिया.

मोदी ने बताया कि सरकार कई इनिशिएटिव लेती थी और मुझे हर पल उनसे मिलने का अवसर मिलता था, खुल करके बात करने का मौका मिलता था, वे हर बात को ध्यानपूर्वक सुनते थे, कहीं सुधार की जरूरत होती थी तो सुझाव देते थे और ज्यादातर प्रोत्साहन देते थे मलतब वे एक गार्जियन के रूप में अपनत्व और प्यार से काम करते थे.

उन्होंने कहा कि इस पूरे राष्ट्र जीवन के मुखिया के रूप में जिस प्रकार का उनका मार्गदर्शन रहता था, मुझ जैसे नए व्यक्ति को जिसके पास इस स्तर का कोई अनुभव नहीं था, मैं राज्य में काम करके आया था, उन्हीं की वजह से मुझे चीजों को समझने में, निर्णय करने में बहुत मदद मिलती थी और उसी के कारण कई महत्वपूर्ण काम हम पिछले तीन वर्षों में कर पाए.

उन्होंने कहा कि ज्ञान का भण्डार, सहजता और सरलता ये किसी भी व्यक्ति को आकर्षित करती हैं लेकिन हम दोनों का लालन पालन अलग विचारधारा में हुआ, अलग कार्य संस्कृति में हुआ, अनुभव के मामले में भी मेरे और उनके बीच बहुत बड़ा फासला है लेकिन उन्होंने कभी भी मुझे ये फील नहीं होने दिया. 

मोदी ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणब जी हमेशा एक बात कहते थे, भाई देखिये, मैं राष्ट्रपति बना तब बना, आज राष्ट्रपति हूँ लेकिन लोकतंत्र कहता है कि देश ने तुमपर भरोसा किया है इसलिए तुम्हारा दायित्व है काम करना और मेरा काम है कि तुम इस काम को अच्छे ढंग से करो, राष्ट्रपति पद, राष्ट्रपति भवन और प्रणब मुख़र्जी स्वयं उसके लिए जो भी कर सकते हैं करेंगे. ये अपने आप में बहुत बड़ा सिम्बल था इसलिए मैं राष्ट्रपति जी का ह्रदय से बहुत आभारी हूँ. उनकी हर बात मेरे जीवन में एक पथ प्रदर्शक के रूप में साथ रहेगी. ये मेरे लिए एक बहुत बड़ी अमानत है और व्यक्तिगत पूँजी है.
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