राम मंदिर मुद्दे पर फिर से पुराने रास्ते पर मुस्लिम धर्मगुरु और सुप्रीम कोर्ट, 25 साल बर्बाद

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नई दिल्ली, 22 मार्च: राम मंदिर मुद्दे पर कोई कुछ भी कहे लेकिन अगर गहराई से देखें तो सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लटकाकर 25 साल खराब कर दिया है क्योंकि अगर यह मुद्दा कोर्ट से बाहर ही निपटना था तो सुप्रीम कोर्ट में गया क्यों और अगर सुप्रीम कोर्ट को यही आदेश देना था तो बहुत पहले क्यों नहीं दे दिया, आखिर क्यों इस मामले को 25 साल लटकाए रखा। 

कल सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह संवेदनशील मामला है इसलिए हिन्दू मुस्लिम मिलकर बात कर लें, सबसे पहली बात तो जान लीजिये कि पहले भी दोनों पक्षों में बातचीत हो चुकी है, बातचीत असफल हुई थी इसीलिए यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था, बातचीत के हर तरह से प्रयास हो चुके हैं हर कोशिश बेकार गयी क्योंकि मुस्लिम किसी भी बात पर राजी नहीं थे, मुस्लिम ही इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गए थे। 

अब सुप्रीम कोर्ट और मुस्लिम धर्मगुरु दोनों कह रहे हैं कि इस मामले का समाधान कोर्ट से बाहर होना चाहिए, जानकारी के लिए बता दें कि आज आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेता मौलाना खालिद रशीद ने भी राम मंदिर मुद्दे का समाधान कोर्ट से बाहर करने की वकालत की, कल तक यही लोग केवल सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे का समाधान चाहते थे लेकिन आज इनके सुर बदल गए हैं। 

ऐसा लगता है कि मुस्लिम धर्मगुरु और सुप्रीम कोर्ट दोनों मिलकर इस मामले को फिर से लटकाना चाहते हैं क्योंकि इस मामले का समाधान बातचीत से हो ही नहीं सकता, फिर से बातचीत करने के लिए फिर से पूरा तामझाम इकठ्ठा करना पड़ेगा, हिन्दू लोग अपनी संसद बुलायेंगे और मुस्लिम लोग अपनी संसद बुलायेंगे, ऐसा करने में दो-तीन साल निकल जाएगा, बातचीत असफल हुई तो फिर से मामला सुप्रीम कोर्ट में जाएगा, वहां भी दो-तीन साल लटका दिया जाएगा। 

बीजेपी के लिए राम मंदिर सबसे बड़ा मुद्दा है क्योंकि विरोधी लोग जानते हैं कि अगर राम मंदिर बन गया तो बीजेपी को इसका क्रेडिट मिलेगा इसलिए विरोधी पार्टियाँ खासकर कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि राम मंदिर बने इसलिए कोई ना कोई नेता मुस्लिम धर्मगुरुओं को भड़काकर काम खराब करने की कोशिश करेगा, इसके अलावा अगर यह मुद्दा २-३ साल लटक गया तो कांग्रेस इसे अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की असफलता बताएगी और राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करेगी। 
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