350 रुपये का इंजेक्शन 1600 में बेचता है, खुलेआम मरीजों को लूट लेता है एशियन हॉस्पिटल फरीदाबाद

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फरीदाबाद: अगर आपको पता नहीं है तो बता देते हैं, भारत में सबसे अधिक भ्रष्टाचार, घोटाला और लूट दवाओं के कारोबार में होता है, बहुत बड़ा गैंग चलता है, ड्रग माफिया भरे पड़े हैं, लूटखोर भरे पड़े हैं, अगर आप इनकी लूट का तरीका पढेंगे तो पैरों तले जमीन खिसक जाएगी, हर दिन गरीबों के लाखों करोड़ रुपये लूट लिए जाते हैं और उन्हें मजबूरीवश अपनी मेहनत की कमाई लुटानी पड़ती है। 

 आपने सुना होगा कि पिछले कुछ दिनों से दवाओं में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान शुरू हुआ है लेकिन यह भ्रष्टाचार इतना बड़ा है कि बड़ी से बड़ी ताकत भी इससे लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सकती, मोदी ने जरूर थोडा सा प्रयास किया है लेकिन उससे कुछ भी नहीं होने वाला है, यह भ्रष्टाचार ख़त्म करने के लिए बहुत बड़ा कलेजा चाहिए। 

बड़ी बड़ी दवा कंपनी MRP का खेल खेलती हैं, दवाओं के पत्ते पर लिखा होता है 100 रुपये लेकिन मेडिकल स्टोर वालों को वही दवा मिलती है 10 रुपये में लेकिन वह मरीजों से पूरे 100 रुपये लेते हैं। मेडिकल स्टोर वाले ज्यादातर अपने पास वही दवा रखते हैं जिनपर अधिक MRP लिखा होता है। जिनपर कम MRP होता है उस दवा को मेडिकल स्टोर वाले ना रखते हैं और ना ही डॉक्टर लिखते हैं क्योंकि डॉक्टर को अधिक MRP वाली दवा लिखने के कमीशन मिलते हैं। 

अगर कोई मरीज किसी मेडिकल स्टोर से पक्का बिल मांगता है तो मेडिकल स्टोर वाले डर जाते हैं और MRP भले ही अधिक लिखा होता है लेकिन वह दवा के सही रेट की लगाते हैं, मतलब दवा पर भले ही 100 रूपया लिखा हो मेडिकल स्टोर वाले केवल 10 रूपए लेते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि अगर मरीज ने शिकायत कर दी, पुलिस में FIR कर दी या बिल पर टैक्स रिबेट लिया तो उनकी चोरी पकड़ी जाएगी और उन्हें सजा हो जाएगी इसलिए अगर मरीज पक्का बिल मांगता है तो मेडिकल स्टोर वाले दवा में लूट नहीं करते हैं लेकिन अगर कोई मरीज पक्का बिल नहीं मांगता तो समझ लो वो लुट गया, लूट से बचने का सबसे बढ़िया तरीका है कि मेडिकल स्टोर वाले से पक्का बिल मांगो। 

छोटे मोटे मेडिकल स्टोर पर तो यह तरीका काम आता है और मरीज लुटने से बच जाते हैं लेकिन बड़े बड़े अस्पतालों में यह आइडिया काम नहीं आता है क्योंकि बड़े बड़े अस्पताल खुलेआम लूट करते हैं, अगर इनसे पक्का बिल भी मांगो तो भी यह अगर दवा के पैकेट पर 100 रूपया लिखा रहेगा तो ये 100 रूपया ही लेंगे, एक भी पैसा कम नहीं करेंगे और सीना तानकर लूटेंगे। 

फरीदाबाद का एशियन अस्पताल शहर का सबसे बड़ा अस्पताल है और यहाँ पर खुलेआम लूट चलती है, अगर आप इनसे कहेंगे कि आप हमें लूट रहे हैं तो ये कुछ नहीं कहेंगे। आज हम इनकी लूट का पर्दाफाश कर रहे हैं और ऐसी ही लूट 99 फ़ीसदी प्राइवेट अस्पतालों में होती है। 

हमने एक मरीज को एशियन हॉस्पिटल में दिखाया और डॉक्टर ने पर्चे पर दवा लिख दी, चूंकि हमने पहले भी मेडिकल के क्षेत्र में काम किया था इसलिए हमें MRP का खेल मालूम था, हमें पता था कि दवा के पत्ते पर दाम अधिक लिखा होता है और कई बार कई गुना अधिक लिखा होता है। हमें डॉक्टर ने ये दवाएं लिखी थीं -
जब हम अस्पताल के ही मेडिकल स्टोर से दवा लेने गए तो हमने मेडिकल वाले से पहले सभी दवाओं के रेट पूछे तो उसने मुझे सभी दवाओं के उतने ही रेट बताये जितना पत्ते पर लिखा था, चूंकि मै पहले भी बाहर से ये दवाएं खरीद चुका था इसलिए मुझे रेट मालूम था, मैं यह सोचकर गया था कि मोदी ने कहा है कि 700 दवाइयों के रेट हमने कम करवा दिए हैं, हो सकता है कि अब MRP का खेल ख़त्म हो गया हो लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है, अस्पताल वाले अभी भी लूट रहे हैं। 

किडनी की बीमारी में जब खून कम हो जाता है तो एक इंजेक्शन लगता है Zyrop 4000 जिसमें Erythropoietin साल्ट मिला होता है, जब हमनें इस इंजेक्शन का दाम पूछा तो उसनें 1300 रुपये बताया जबकि यह इंजेक्शन 800 रुपये के आसपास मिलता है लेकिन लूटने वाले कभी 1000 लेते हैं, कभी 1200 लेते हैं लेकिन एशियन हॉस्पिटल जैसे लुटेरे पूरा 1300 लेते हैं। 

एक दूसरी कंपनी का भी इंजेक्शन आता है जिसका नाम है Eporise 4000 जिसमें यही साल्ट मिला होता है और काम भी वही करता है, लेकिन उसका दाम 1600 रुपये लिखा होता है और मिलता है 350 रुपये में। हमने सोचा कि हो सकता है कि एशियन अस्पताल ने भी लूट बंद कर दी हो और हमें 350 रुपये में इंजेक्शन दे दे लेकिन उसनें मुझे 1600 रुपये ही दाम बताया। हमने कहा वाह भाई.. ये तो खुलेआम लूट है। खैर हमने एशियन हॉस्पिटल से सिर्फ एक दवाई ली और सोचा कि बाहर जाकर इसका दाम पूछूँगा, मैंने वहां से Ketosteril का एक पत्ता लिया, पत्ते पर 698 रुपये लिखा था और एशियन हॉस्पिटल वाले ने मुझसे 698 ही लिया लेकिन जब मैंने इसका बाहर दाम पूछा तो उसने मुझे 550 रुपये बताया यानी कि मुझसे करीब 150 रुपये लूट लिए। ये देखिये बिल। सरकार इसकी जांच भी करा सकती है।  
ये तो एशियन हॉस्पिटल की लूट का पक्का सबूत है, अब आप देखिये जिस इंजेक्शन का दाम एशियन अस्पताल से मुझे 1600 रुपये बताया था, वही इंजेक्शन मैंने बाहर लिया और मेडिकल स्टोर वाले से पक्का बिल माँगा तो उसने मुझे दो इंजेक्शन के 700 रुपये लिए यानी कि 350 रुपये एक इंजेक्शन के लिए। 
इसके अलावा हमने एशियन हॉस्पिटल में एक इंजेक्शन Magnex Forte 1.5 GM का दाम पूछा तो उसनें मुझे 603 रुपये बताया, इतना ही इंजेक्शन पर लिखा था लेकिन यही इंजेक्शन मुझे बाहर 512 रुपये में मिला, अगर मैं यही इंजेक्शन एशियन अस्पताल में लेता तो मुझसे हर इंजेक्शन के 91 रुपये लूट लेते। यह भी सच है कि अगर मैं पक्का बिल ना मांगता तो ये मेडिकल स्टोर वाला भी मुझे लूटने की कोशिश करता लेकिन मैंने पक्का बिल मांगकर कम से कम 3000 रुपये बचा लिए। 
अगर मैं ये सभी दवाएं एशियन हॉस्पिटल से खरीदता और पक्का बिल भी मांगता तो भी अस्पताल वाले मेरा कम से कम 3050 रूपया लूट लेते, खैर मैंने सबूत जुटाने के लिए एक दवा खरीद ली और 150 रुपये लुटवा लिया।

अब सवाल यह है कि जब एशियन अस्पताल के बाहर के मेडिकल स्टोर पक्का बिल मांगने पर दवा के सही दाम ले रहे हैं तो बड़े बड़े अस्पताल पक्का बिल देने के बाद भी खुलेआम क्यों लूट रहे हैं, क्या इन्हें नियम कानून का कोई डर नहीं है, क्या इन्हें सरकार का भी कोई डर नहीं है, अगर ऐसा है तो यह बहुत ही बड़ा दुर्भाग्य है। 
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