अब विपक्षी पार्टियाँ केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी से लड़ने के सक्षम नहीं हैं इसलिए जातिवाद की राजनीति पर उतर आयी हैं, कल लगातार दूसरी बार इसका नजारा देखने को मिला जब महाराष्ट्र में दलितों और मराठों के बीच में खूनी झड़प हुई जिसमें एक युवक की मौत हो गयी. युवक की मौत के बाद कांग्रेस को तुरंत ही आरएसएस, बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ मुद्दा मिल गया, राहुल गाँधी ने बीजेपी और आरएसएस पर इस घटना का इल्जाम लगाने में देरी नहीं की.
आपने देखा होगा कि कुछ वर्ष पहले आजादी गैंग के सरदार उमर खालिद और अन्य लोगों ने नारा लगाया था - भारत तेरे टुकड़े होंगे इशां अल्लाह इंशा अल्लाह. ये लोग भारत के तो टुकड़े नहीं कर पाए लेकिन भारतीय समाज के टुकड़े जरूर करना चाहते हैं. कल भीमा कोरेगांव में 5 लाख दलितों की रैली बुलाई गयी थी जिसका नेतृत्व आजादी गैंग के सरदार उमर खालिद और हाल ही में गुजरात से दलित विधायक जिग्नेश मेवानी कर रहे थे.
अब इन दोनों पर आरोप लग रहे हैं कि इन्होने ही भड़काऊ भाषण देकर दलितों को भड़का दिया जिसके बाद दलितों की भीड़ मराठा समाज के लोगों से भिड गयी. अब इन दोनों के खिलाफ पुणे के डेक्कन पुलिस थाने में भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया गया है.
Complaint against Jignesh Mevani & Umar Khalid received at Pune's Deccan Police Station, complainant alleges they made provocative statements that led to tension b/w two communities. (File Pics) pic.twitter.com/qaZOej3iX1— ANI (@ANI) January 2, 2018
क्यों हुई थी दलितों-मराठा के बीच में हिंसा
जानकारी के अनुसार यह हिंसा भीमा कोरेगांव युद्ध के 200 वर्ष पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम की वजह से हुई, दलित समाज ने इस मौके पर एक रैली का आयोजन किया था जिसमें पांच लाख दलित इकठ्ठे हुए थे, कहा जा रहा है कि इस रैली में जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद ने भड़काऊ भाषण दिया जिसके बाद दलित लोग भड़क गए और मराठियों से भिड गए.
क्या है भीमा कोरेगांव युद्ध
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भीमा कोरेगांव युद्ध अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा के पेशवा के बीच हुआ था, यह युद्ध 1 जनवरी 1818 को लड़ा गया था जिसमें अंग्रेजों की विजय हुई थी, अंगेजों ने पेशवा के सामने जनरल जोसेफ के नेतृत्व में बड़ी सेना उतार दी थी जिसे देखकर मराठा लोगों ने अपने पैर पीछे हटा दिए, एक तरह से युद्ध में मराठा लोगों की हार हुई.
अंग्रेजों की सेना में भारत के ही महर दलित शामिल थे इसलिए भारत के दलित समाज के लोग इसे अपनी विजय मानते हैं, मतलब दलित लोग इसे मराठा समाज पर अपनी विजय मानते हैं, कल इस युद्ध के 200 वर्ष पूरे होने पर दलितों ने विजयोत्सव का आयोजन किया था जो मराठा लोगों को पसंद नहीं आया, ऐसा इसलिए क्योंकि वे इसे अपना अपमान समझ रहे थे, इसी बात को लेकर दोनों समुदायों में झड़प और हिंसा हुई जिसमें दलित समाज के एक युवक की मौत हो गयी.
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