बिना अनुभव के PM बनना चाहते हैं राहुल गाँधी लेकिन राफेल के लिए अम्बानी को बता रहे हैं फ्रेशर

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राहुल गाँधी पिछले 13 वर्षों से सांसद हैं, वे ना तो किसी राज्य की सरकार में मंत्री रहे हैं और ना ही केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं लेकिन फिर भी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, मतलब बिना अनुभव के ही प्रधानमंत्री बनने का सपना पाले हुए हैं.

राहुल गाँधी खुद तो बिना अनुभव हे ही प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, तीन साल से मोदी प्रधानमंत्री हैं लेकिन उससे पहले वे 13 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उनके पास पूरा अनुभव था लेकिन राहुल गाँधी ने अब तक किसी भी संवैधानिक पर की जिम्मेदारी नहीं संभाली है उसके बावजूद भी सबसे बड़े पद पर बैठना चाहते हैं.

राहुल गाँधी की तरह ही अनिल अम्बानी के रिलायंस ग्रुप को रक्षा क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है उसके बावजूद भी मोदी सरकार ने उन्हें राफेल बनाने के कॉन्ट्रैक्ट में फ्रेंच कंपनी Dassault Aviation के साथ शामिल कर लिया. मतलब फ्रेंच कंपनी Dassault Aviation मुख्य रूप से भारत में राफेल विमान बनाएगी और अनिल अम्बानी का रिलायंस ग्रुप इसमें साझीदार होगा, मतलब दोनों कंपनियों के जॉइंट वेंचर के अंतर्गत राफेल विमान भारत में बनाया जाएगा.

राहुल गाँधी मोदी सरकार पर सवाल खड़ा कर रहे है कि अनिल अम्बानी की कंपनी को रक्षा क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है उसके बाद भी उन्हें राफेल के कॉन्ट्रैक्ट में क्यों शामिल किया है, HAL को यह कॉन्ट्रैक्ट क्यों नहीं दिया गया जिसके पास अनुभव है.

कल राहुल गाँधी ने रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण पर हमला बोला , उन्होंने कहा कि डियर रक्षामंत्री, यह शर्मनाक है कि आपके बॉस आपको चुप करा रहे हैं. कृपया हमें बताएं - राफेल डील का फाइनल प्राइस क्या है, क्या प्रधानमंत्री ने पेरिस में राफेल डील की घोषणा करने से पहले CCS की परमीशन ली थी, प्रधानमंत्री मोदी ने अनुभवी कंपनी HAL को नजअंदाज करके AA रेटेड व्यापारी को इस डील में शामिल क्यों किया जिसे रक्षा क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में HAL के अलावा रक्षा क्षेत्र में किसी भी कंपनी को अनुभव नहीं है लेकिन मोदी चाहते हैं कि भारत में मेक इन इंडिया योजना के तहत रक्षा क्षेत्र में भी प्रतिस्पर्धा बढे, देश के व्यापारी इस क्षेत्र में आगे आयें और इन्वेस्टमेंट करें ताकि धीरे धीरे भारत में ही हथियारों और फाइटर प्लेन का निर्माण होने लगे ताकि विदेशों से ये सब चीजें खरीदने ने अथाह पैसा ना खर्च पड़े. राहुल गाँधी चाहते हैं कि सिर्फ HAL को सभी कॉन्ट्रैक्ट दिए जाएं क्योंकि उनके पास अनुभव है जबकि मोदी चाहते हैं कि फ्रेशर को भी मौका दिया जाए ताकि इस क्षेत्र में निवेश करने वालों का हौसला बढे और प्रतिस्पर्धा बढे. इसी वजह से अनिल अम्बानी की कंपनी को राफेल डील में शामिल किया गया है. 
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