लुटेरे फोर्टिस अस्पताल ने पहले 16 लाख लूटा, बच्ची को मारने के बाद कहा, कफ़न के भी लाओ पैसे

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नई दिल्ली: देश की सरकारी अस्पतालों में कोई जाना नहीं चाहता क्योंकि वहाँ किसी तरह की सुविधा नहीं है और ज़रा भी सेहत ज्यादा खराब हुई तो सरकारी अस्पतालों के डाक्टर कमीशन के चक्कर में मरीजों को किसी लुटेरे प्राइवेट अस्पताल में भेज देते हैं और बदले में प्राइवेट अस्पतालों से मोटा कमीशन डकारते हैं। ये एक कड़वा सच है जिसे कुछ लोग शायद ही हजम कर पाएं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कई तरह की जांच के लिए सरकारी अस्पताल के डाक्टर निजी लैब पर मरीजों को भेजते हैं जहाँ उन्हें लगभग 40 फीसदी कमीशन मिलता है और कई ऐसी जांच भी लिख देते हैं जिसकी जरूरत नहीं होती लेकिन कमीशन ज्यादा मिले इसलिए ये गड़बड़झाला करते हैं, एक तरह से गरीबों का खून चूसते हैं।

प्राइवेट अस्पताल किस तरह से मरीजों को लूटते हैं कल फोर्टिस अस्पताल में हुए खुलासे से पता चल गया होगा, अब पूरी दुनिया समझ गयी है कि प्राइवेट अस्पताल वाले कैसे लूटते हैं, 10 रुपये के एक ग्लव्स के 200 रुपये तक लेते हैं, 2 रुपये की सीरिंज के 200 रुपये लेते हैं, और 20 रुपये की ग्लूकोज की बोतल के 200 रुपये लेते हैं, एक तरह से प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीजों को लूटने का धंधा चल रहा है.

फोर्टिस हॉस्पिटल में डेंगू के 15 दिन के इलाज के लिए 16 लाख रुपये का बिल बनाया गया और अंत में बच्ची भी नहीं बची, मतलब बिल बनाने के चक्कर में अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे मार डाला, अगर उसे सही दवाएं देकर ठीक कर दिया जाता तो अस्पताल की ज्यादा कमाई ना होने पाती इसलिए उसकी बीमारी को लटकाया गया, 16 लाख के बिल बना दिए और अंत में बच्ची की जान चली गयी.

हद तो तब हो गयी जब बच्ची के मरने के बाद उसके कफ़न के भी पैसे मांगे गए, 16 लाख लुटे जाने से बच्ची के माँ-बाप कंगाल हो गए थे, कुछ बचा नहीं था, अस्पताल वालों ने कहा कि पहले कफ़न के पैसे लाओ उसके बाद ही लाश मिल पाएगी. कुल मिलाकात फोर्टिस हॉस्पिटल ने लूट का रिकॉर्ड बनाने के अलावा इंसानियत को भी शर्मशार कर दिया है.
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