केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज एक प्रेस वार्ता में कहा कि जबसे हमारी सरकार बनी है, पहले दिन से हमने कालेधन पर कार्यवाही करनी शुरू कर दी, सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में ही कालेधन की जांच करने के लिए SIT गठित करने का आदेश दे रखा था लेकिन पूर्व कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया था लेकिन हमने आने के पहले दिन ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानते हुए SIT गठित की.
उन्होंने कहा कि हमले कालेधन वालों को कई मौके भी दिए, हमने उन्हें अंतिम अवसर देते हुए कहा कि 60 परसेंट टैक्स और पेनाल्टी देकर विदेशों में जमा कालेधन को देश में वापस लाएं. इसके लिये देश में एक कानून भी बनाया गया. कानून का पालन ना करने वाले लोगों के लिए 10 साल की सजा का प्रावधान भी रखा गया. इस मामले में जितने लोगों के भी विदेशों बैंकों में नाम पाए गए, उनके नाम मामला दर्ज किया गया.
उन्होंने कहा कि उसके बाद हमारी सरकार ने G20 सहित कई मंचों पर इस मामले को उठाया और दूसरे देशों के साथ कालेधन पर ऐसे समझौते किये ताकि कालेधन का रियल टाइम डेटा हमें मिलता रहे. हमने, स्विट्जर्लैंड, मोरिसस, सिंगापूर, साइप्रस के साथ अग्रीमेंट में सुधार किये.
उन्होंने कहा कि बेनामी संपत्ति पर 1988 में ही कानून बना था लेकिन पास नहीं हुआ, हमने उसे पास किया.
उन्होंने कहा कि कालेधन पर सबसे बड़ी कार्यवाही करने के लिए मोदी सरकार ने नोटबंदी की. हमारा मकसद भारत में कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना था जिसमें हम कामयाब भी हुए हैं. हमारे तीन-चार उद्देश्य थे - कैश का कम उपयोग हो, कामर्सियल लेन-देन अधिकतर डिजिटल माध्यम से हो और देश का टैक्स बेस बढे.
उन्होने कहा कि इसके बाद हमने GST लागू किया जिसका ट्रांजीशन फेज चल रहा है जिसके बाद कैश जनरेशन अपने आप में कठिन हो जाएगा. और भी कई फायदे होने वाले हैं.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हमारी सभी कार्यवाही का विरोध किया, उन्होंने 10 साल में कालेधन को रोकने के लिए कोई एक्शन नहीं लिया, कांग्रेस ने हमारे द्वारा पास किये गए कालेधन कानून का भी मजाक उड़ाया, नोटबंदी का भी मजाक उड़ाया और अब GST का ही मजाक उड़ा रहे हैं.
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