PM MODI ख़त्म कर रहे हैं हिन्दू धर्म से भेदभाव, अब ब्राह्मण भी बनना चाहते हैं दलित

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New Delhi, 20 June: आपने देखा होगा कि दलितों से भेदभाव का आरोप सबसे अधिक ब्राह्मणों और चौधरियों पर लगता है, दलित लोग अपने साथ भेदभाव के लिए ब्राह्मणों से सबसे अधिक नफरत करते हैं, एक समय था जब दलितों को मंदिरों में प्रवेश ही नहीं करने दिया जाता था, धर्म-कर्म के काम में उन्हें अलग रखा जाता था, भोजन करते वक्त उन्हें अलग बिठाया जाता था, उन्हें अछूत समझा जाता था जिसकी वजह से धीरे धीरे उन्हें सवर्णों से नफरत हुई, उन्हें हिन्दू धर्म से ही नफरत होने लगी, इसके बाद दलित मुस्लिम को एक करने की राजनीति खेली जाने लगी.

लेकिन अब ज़माना बदल रहा है, अब ब्राह्मण भी कह रहे हैं कि 'काश हम भी दलित होते', मतलब अब ब्राह्मण भी दलित बनना चाहते हैं, अगर देखा जाए तो हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा बदलाव हो रहा है, दलितों से भेदभाव ख़त्म हो रहा है, अगर ऐसा हो गया तो हिन्दू धर्म में एकजुटता बढ़ेगी, जाति और समाज के नाम पर भेदभाव ख़त्म हो जाएगा. 

बीजेपी ने जैसे ही दलित नेता रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया वैसे ही ब्राह्मण और क्षत्रिय लोग कहने लगे कि 'काश हम भी दलित होते', सच में बहुत अच्छा हो रहा है क्योंकि अगर हिन्दू धर्म को एकजुट होना है तो ना किसी को क्षत्रिय होना चाहिए, ना ब्राह्मण होना चाहिए और ना ही दलित होना चाहिए, वेदों के अनुसार समाज के हर तबके के लोगों को उनके कर्म के अनुसार पहचाना जाना चाहिए, कर्म से ही लोगों को ब्राह्मण होना चाहिए, कर्म से ही क्षत्रिय होना चाहिए, कर्म से दलित या सूद्र होना चाहिए और कर्म से बनिया होना चाहिए, अगर ऐसा हो गया तो हिन्दू धर्म से जाति-वाद और भेदभाव समाप्त हो जाएगा, सभी लगो एक दूसरे से शादियाँ करने लगेंगे और बंट रहा हिन्दू समाज फिर से एक हो जाएगा.

आज के जमाने में देखा जाए तो भारतीय सेना ही क्षत्रिय है क्योंकि उनका काम दुश्मनों से लड़ना है, स्कूलों के अध्यापक, शिक्षक और ट्रेनर ब्राह्मण हैं क्योंकि इनका काम ज्ञान बांटना हैं, क्योंकि अध्यापक-ट्रेनर किसी भी जाति के हो सकते हैं तो आज सभी जातियों में ब्राह्मण हैं. जो व्यापार करते हैं वो बनिया यानी सेठ हैं, बनिया सभी जातियों में होते हैं, व्यापार सभी जातियों के लोग करते हैं इसलिए बनिया सभी जातियों में हैं. इसी प्रकार सफाई का काम सभी जातियों के लोग करते हैं इसलिए सूद्र-दलित सभी जातियों में हैं. पहले के जमाने में ऐसा ही होता था, लोगों को कर्म के आधार पर बांटा गया था लेकिन अंग्रेजों ने हिन्दू धर्म को जातियों में बाँट दिया ताकि हम एक दूसरे से लड़ते रहें.
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