New Delhi, 25 May: CBSE के 12वीं बोर्ड के रिजल्ट के इन्तजार में करीब 10 लाख छात्र दिल पर हाथ धरे बैठे हैं लेकिन बोर्ड कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़कर रिजल्ट अनाउंस करने की तारीख पर तारीख दे रहा है, नतीजा ये है कि कई विश्वविद्यालयों ने एडमिशन प्रक्रिया शुरू कर दी है, अन्य बोर्ड के छात्र एडमिशन लेना शुरू कर दिए हैं लेकिन CBSE के छात्र अपने रिजल्ट के इन्तजार में परेशान हैं.
आज ग्रेस मार्क्स पॉलिसी के विरोध में CBSE बोर्ड सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया, कल हाई कोर्ट ने बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा था कि आप ग्रेस मार्क्स पॉलिसी ऐसे ही ख़त्म नहीं कर सकते, आपको छात्रों को पहले सूचना देनी चाहिए थी. आपको इस वर्ष ग्रेस मार्क्स पॉलिसी को जारी रखना होगा, अगले वर्ष आप इसे बंद कर सकते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि CBSE ने परीक्षा से एन वक्त पहले एकाएक ग्रेस मार्क्स पॉलिसी बंद करने का ऐलान कर दिया और छात्रों की कॉपी भी चेक कर दी, शायद CBSE ने इस वर्ष किसी भी छात्र को ग्रेस मार्क्स नहीं दिया है, ग्रेस मार्क्स पॉलिसी के तहत बहुत कथित प्रश्नों पर ग्रेस मार्क्स देने का प्रावधान है बशर्ते छात्र ने प्रश्न को सोल्व करने की कोशिश की हो.
जब CBSE ने एकाएक ग्रेस मार्क्स पॉलिसी बंद करने का ऐलान किया और छात्रों को ग्रेस मार्क्स भी नहीं दिए तो किसी ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका डाल दी, दिल्ली हाई कोर्ट ने तुरंत ही याचिका पर सुनवाई करते हुए CBSE को ग्रेस मार्क्स पॉलिसी जारी रखने का आदेश दिया लेकिन CBSE हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चला गया. अब दिक्कत यह है कि अगर CBSE दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश मानेगा तो उसे फिर से कॉपी चेक करनी पड़ेगी और इस काम के लिए समय और पैसे खर्च होंगे, अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दी तो CBSE बोर्ड का रिजल्ट कम से कम 10 दिन और लेट होगा.
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