नयी दिल्ली, 25 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट भी लोगों से दोगला व्यवहार करता है आज साफ़ साफ़ दिख गया, संत आसाराम पर भी रेप और यौन शोषण के आरोप लगे हैं और समाजवादी पार्टी के नेता गायत्री प्रसाद प्रजापति पर गैंगरेप का आरोप लगा है, संत आसाराम के मामले में कोई सबूत नहीं मिला है जबकि गायत्री प्रजापति के मामले में माँ और उसकी बेटी चीख चीख कर कह रही हैं कि उनके साथ गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके साथियों ने कई बार गैंगरेप किया है उसके बावजूद भी आज सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को आज जमानत दे दी.
वहीँ आसाराम के खिलाफ जितने भी सबूत थे सब झूठे पाए गए हैं, उनपर रेप का नहीं बल्कि यौन छेड़छाड़ का आरोप लगा है, अब तक कोई सबूत नहीं मिले हैं और कुछ लोग इसे साजिश बता रहे हैं उसके बावजूद भी आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए कई बार अर्जी दी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जज उनकी अर्जी देखते ही उसे ख़ारिज कर देते हैं.
ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की आसाराम के साथ कोई पर्सनल दुश्मनी है, मीडिया ने भी TRP बटोरने के लिए आसाराम के खिलाफ खूब अनाप शनाप चलाई, आज के समय में आप को खुद समझ में आ रहा होगा कि मीडिया के लोग कितने झूठे हैं, किसी भी बात की खबर बनाकर चला देते हैं, झूठी ख़बरें चला देते हैं, बिना सबूत के ख़बरें चला देते हैं, ऐसा ही उस वक्त किया गया था जब आसाराम पर यौन शोषण का आरोप लगा था, मीडिया ने इस बात का भी इन्तजार नहीं किया कि आरोप सही हैं या गलत हैं, उन्हें रेपिस्ट बताना शुरू किया, उनके खिलाफ इतना हौव्वा खड़ा किया आप सोच भी नहीं सकते, उन्हें बिना सबूत के ही रेपिस्ट बाबा बताया गया, उसी की सजा आसाराम आज भी भुगत रहे हैं.
आसाराम से भी बड़े और घिनौने आरोप वालों को सुप्रीम कोर्ट जमानत दे देता है, लेकिन केवल यौन छेड़छाड़ के आरोपी आसाराम को जमानत देने से इनकार कर देता है यह सुप्रीम कोर्ट का दोगलापन नहीं तो क्या है.
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