योगी ने चौंकाया, नहीं दिया सांसद पद से इस्तीफ़ा: पढ़ें क्यों

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लखनऊ, 22 मार्च: कल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली गए थे और उन्होंने संसद में भाषण भी दिया था, ऐसा माना जा रहा था कि कल योगी आदित्यनाथ सांसद पद से इस्तीफ़ा दे देंगे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, पार्टी की तरफ से कहा गया कि वे 6 महीने तक सांसद बने रहे, ऐसा ही आदेश केशव प्रसाद मौर्य को दिया गया, वे भी अगले 6 महीने तक इस्तीफ़ा नहीं देंगे। 

क्यों नहीं दिया इस्तीफ़ा

ऐसा माँना जा रहा है कि जुलाई में राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनजर दोनों सांसदों को इस्तीफ़ा देने से रोका गया है, इन दोनों के अलावा पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर भी उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सांसद हैं, उन्हें भी इस्तीफ़ा देने से रोका गया है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए तीनों का वोट बीजेपी के लिए बहुत मायने रखता है, अगर ये तीनों इस्तीफ़ा दे देंगे तो इनके विकल्प के रूप में फिर से चुनाव कराया जाएगा जो कि सितम्बर के बाद ही होगा, 6 महीने तक दोनों की सीटें खाली रहेंगी इसलिए बीजेपी नेताओं ने कहा कि सीट खाली हो जाएं इससे बढ़िया है 6 महीने तक सांसद बने रहो और उसके बाद जब चुनाव का वक्त आए तो इस्तीफ़ा दे दो। 

क्या है नियम

नियम के अनुसार लोकसभा और राज्य सभा का सदस्य ही केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री या मंत्री बन सकता है और विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य ही राज्य सरकार में मुख्यमंत्री या मंत्री बन सकता है। अगर कोई नेता विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य नहीं है तो उसे मुख्यमंत्री या मंत्री बनाए जाने के बाद 6 महीने के भीतर विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य बनना होता है। ठीक इसी तरह से अगर कोई नेता लोकसभा या राज्य सभा का सदस्य नहीं है तो उसे केंद्र में प्रधानमंत्री या मंत्री बनाये जाने के बाद 6 महीने के भीतर लोकसभा या राज्य सभा का सदस्य बनना होता है। मनोहर पर्रिकर को रक्षा मंत्री बनाए जाने के 6 महीने के अन्दर उन्हें उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सदस्य बनाया गया था। 

योगी और केशव के पास अब क्या हैं विकल्प

योगी गोरखपुर से सांसद हैं तो केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर से सांसद हैं, दोनों के इस्तीफ़ा देने के बाद फिर से चुनाव होंगे, इसी 6 महीने के अन्दर इन्हें विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य बनना होगा, विधानसभा में जाने के लिए फिर से इन्हें इलेक्शन लड़ना होगा लेकिन यह तभी संभव है जब कोई सीट खाली हो या कोई विधायक इस्तीफ़ा दे। दूसरा विकल्प है विधानपरिषद जिसके लिए चुनाव नहीं होता है बल्कि नॉमिनेशन किया जाता है, अखिलेश यादव और मायावती विधानपरिषद के सदस्य थे और मुख्यमंत्री बनने के लिए इन्हें विधायक का चुनाव नहीं लड़ना पड़ा था। 

ऐसा लगता है कि 6 महीने के भीतर कोई विधानसभा सीट खाली नहीं होगी इसलिए दोनों को विधानपरिषद का सदस्य बनना होगा, इन दोनों के अलावा दूसरे उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को भी विधानपरिषद का सदस्य बनना पड़ेगा क्योंकि उन्होंने भी चुनाव नहीं लड़ा था, मतलब तीनों को विधानपरिषद का सदस्य बनाया जाएगा और यह काम 6 महीने के भीतर करना होगा। 

माना जा रहा है कि योगी और केशव को 6 महीने के भीतर विधानपरिषद का सदस्य बनाया जाएगा और उसके 14 दिन के भीतर ये सांसद पद से इस्तीफ़ा दे देंगे। 
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