लखनऊ, 13 मार्च: आपने चुनाव प्रचार में देखा होगा कि अखिलेश और राहुल गाँधी प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाते थे कि उन्होंने ढाई साल में यूपी में कुछ नहीं किया, वे लोग यूपी के चुनाव को मोदी-बीजेपी के लिए एंटी-इनकम्बेंसी में बदलना चाहते थे और मोदी से पूछते थे कि उन्होंने यूपी में ढाई साल में क्या किया, अगर नौजवानों को रोजगार नहीं मिलता तो राहुल गाँधी इसके लिए मोदी को जिम्मेदार बताते थे, बिजली नहीं मिलती तो इसके लिए मोदी को जिम्मेदार बताते थे, जबकि ये सब काम राज्य सरकारों के होते हैं।
अखिलेश यादव मोदी से पूछते थे - यूपी में अच्छे दिन कब आयेंगे हालाँकि अच्छे दिन लाना उनकी जिम्मेदारी थी, वे कहते थे मोदी ने वाराणसी में गंगा साफ़ नहीं की, वाराणसी में मेट्रो नहीं चलाया, रिवरफ्रंट नहीं बनवाया, वाराणसी को क्योटो नहीं बनाया और दूसरी तरह इन कामों पर अडंगा लगाते थे, अगर मोदी रिंग रोड के लिए काम करना चाहते तो अखिलेश अडंगा लगा देते, अगर गंगा सफाई के लिए मोदी सरकार प्रयास करती और अखिलेश सरकार से परमीशन मांगती तो ये NOC नहीं देते थे और अपने सभी अधिकारीयों को आदेश देते थे कि मोदी को गंगा सफाई के किसी भी काम के लिए NOC ना दिया जाय, अगर मोदी वाराणसी का विकास करने की कोशिश करे तो अखिलेश अपने अधिकारीयों को उसमें टांग अड़ाने, काम को रोकने का आदेश देते थे, यह सब बातें मोदी ने खुद बतायी हैं।
अब आप सोचिये, उत्तर प्रदेश में 20 करोड़ लोग रहते हैं और अधिकतर आबादी गरीबी रेखा से नीचे है, अगर अखिलेश सरकार आती तो वे मोदी को काम नहीं करने देते, अगर मोदी 20 करोड़ लोगों के लिए काम नहीं कर पाते तो 2019 में भी अखिलेश और कांग्रेस मोदी पर आरोप लगाते कि उन्होंने यूपी का कोई विकास नहीं किया, एक तरफ तो ये मोदी को काम नहीं करते देते और दूसरी तरफ यह भी आरोप लगाते कि मोदी ने कोई काम नहीं किया। इसलिए यूपी में बीजेपी की सरकार बनना जरूरी था।
आपने देखा होगा, कांग्रेस ने मोदी सरकार को 1 फ़रवरी को बजट पेश नहीं होने दिया था, किसानों के लिए कोई बड़ा एलान नहीं करने दिया था और दूसरी तरफ रैलियों में राहुल गाँधी कहते थे कि मोदी ने बजट में किसानों के लिए कुछ नहीं किया, बजट बेकार था आदि।
मोदी के लिए उत्तर प्रदेश का चुनाव जीतना बहुत जरूरी था क्योंकि अगर काम करने की जरूरत है तो वह उत्तर प्रदेश में है, अगर विकास की जरूरत है तो वह उत्तर प्रदेश में है, अगर नौजवानों को रोजगार देने की जरूरत है तो वह उत्तर प्रदेश में है, अगर शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने की जरूरत है तो वह उत्तर प्रदेश में है, अगर बिजली, पानी, सिंचाई, स्वास्थय, शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अधिक काम करने की जरूरत है तो वह उत्तर प्रदेश में।
उत्तर प्रदेश में अगर विकास नहीं होगा तो उसकी जिम्मेदारी 2019 में मोदी पर डाली जाएगी, अगर बीजेपी सरकार ना होती तो मोदी वहां पर सिवाय सड़कें बनाने के कोई विकास ना कर पाते, अगर विकास के लिए पैसा भेजते तो वह दूसरी भ्रष्ट सरकार खा जाती और उसके बाद बोलती, मोदी ने कोई काम नहीं करवाया।
सबसे जरूरी बात, मोदी के विरोधी GDP पर मोदी को घेरने की कोशिश करते हैं, जानकारी के लिए बता दें कि बड़े राज्यों को GDP यानी विकास दर में अधिक योगदान करना चाहिए लेकिन यूपी केवल 2-3 फ़ीसदी की दर से विकास कर रहा है, अगर यही यूपी 7-8 फ़ीसदी की दर से विकास करता तो अब तक देश की विकास दर 10 फ़ीसदी से अधिक होती और भारत दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश होता।
विकास दर बढाने के लिए यूपी को 24 घंटे बिजली देनी होगी, निवेश बढ़ाना होगा, शिक्षा, स्वास्थय और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत ध्यान होता और युवाओं को रोजगार के साधन खड़े करने होंगे।
सबसे जरूरी बात, मोदी के विरोधी GDP पर मोदी को घेरने की कोशिश करते हैं, जानकारी के लिए बता दें कि बड़े राज्यों को GDP यानी विकास दर में अधिक योगदान करना चाहिए लेकिन यूपी केवल 2-3 फ़ीसदी की दर से विकास कर रहा है, अगर यही यूपी 7-8 फ़ीसदी की दर से विकास करता तो अब तक देश की विकास दर 10 फ़ीसदी से अधिक होती और भारत दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश होता।
विकास दर बढाने के लिए यूपी को 24 घंटे बिजली देनी होगी, निवेश बढ़ाना होगा, शिक्षा, स्वास्थय और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत ध्यान होता और युवाओं को रोजगार के साधन खड़े करने होंगे।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश का चुनाव जीतने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने दिन-रात एक कर दिया, अथाह परिश्रम किया, कई तरह की रणनीति बनायी, रलियाँ की, रोड शो किये, रात भर जाग जागकर काम करते रहे, अगर आप मोदी के चेहरे की तरफ देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि मोदी का चेहरा डेढ़ महीने में ढल गया है, ये उनकी दिन रात की मेहनत की वजह से हुआ है। अब बीजेपी की जीत हो गयी है इसलिए राज्य और केंद्र के दोनों इंजन मिलकर यूपी को गड्ढे से निकाल लेंगे। आशा है कि अब अच्छे दिन जरूर आ जाएंगे, अखिलेश के भी और राहुल गाँधी के भी।
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