Lucknow, 25 March: कई टीवी न्यूज़ चैनल इसलिए परेशान हैं कि लखनऊ में भैंसे के गोस्त वाले टुंडे कबाब की दुकान एक दिन के लिए बंद हो गयी और दुकानदार ने मजबूरीवश चिकन और मटन के कबाब बेचने शुरू कर दिए, ऐसे मीडिया चैनल यह नहीं बता रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ ने अब तक 300 अवैध बूचडखाने बंद करवाकर रोजाना 15000 गाय-भैंसों की जान बचा रहे हैं।
एक बूचड़खाने में कम से कम 50 जानवर काटे जाते हैं, अगर साल भर का हिसाब निकालें तो रोजाना के 15000 के हिसाब से योगी एक महीने में 4 लाख 45 हजार गाय-भैंसों की जान बचाएंगे और एक साल में 54 लाख गाय-भैंसों की जान बचाएंगे, मीडिया वाले यह नहीं दिखा रहे हैं कि इससे पर्यावरण को कितना फायदा होगा, प्रदुषण की वजह से लोगों को बीमारियाँ नहीं होंगी, गाय-भैंसों के गोबर की खाद से जल, जंगल और जमीन उपजाऊ और हरे भरे हो जाएंगे, जमीन बंजर होने के बजाय पौष्टिक होती जाएगी।
भारत के जानवर कटते जा रहे हैं, जमीन को जानवरों के गोबर की खाद नहीं मिल पा रही है, जमीन में विदेशी खाद डालने की वजह से जमीन बंजर होती जा रही है और किसान बर्बाद होते जा रहे हैं, अगर हर वर्ष 54 लाख जानवरों की जान बचेगी तो इनके गोबर की खाद से किसानों की जमीनों को कितना फायदा होगा, हमारी जमीन से नाइट्रोजन की मात्रा घटती जा रही है, जमीन में लिए सबसे जरूरी खाद नाइट्रोजन होती है जो सिर्फ जानवरों के मूत्र और गोबर में होती है, जानवरों में भी सबसे अधिक नाइट्रोजन गाय के मूत्र और गोबर में होती है लेकिन हर वर्ष करोड़ों जानवरों को काट दिया जाता है इसलिए धरती को उनके गोबर की खाद और मूत्र का नाइट्रोजन नहीं मिल पाता, इसी वजह से पूरे देश की जमीन बंजर होती जा रही है, उसकी भरपाई के लिए विदेशों से मंहगी खाद खरीदी जाती है लेकिन भी नुकसान होता है।
यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हमारे देश की मीडिया केवल TRP के लिए काम करती है, अगर किसी घोड़े को एक लट्ठ मारकर कोई लंगड़ा करदे, भरे ही यह गलती से हुआ हो, मीडिया वाले एक महीने तक बवाल मचा देते हैं, हाहाकार करने लगते हैं लेकिन जब कोई मुख्यमंत्री हर वर्ष 54 लाख जानवरों की जान बचाने के लिए बूचडखाने बंद करवा देता है तो मीडिया 'टुंडे कबाब' का रोना रोने लगती है, ऐसे में इनका जानवरों के प्रति प्रेम ख़त्म हो जाता है। वाह री भारत की मीडिया, वाह से भारत के टीवी न्यूज़ चैनल।
भारत के जानवर कटते जा रहे हैं, जमीन को जानवरों के गोबर की खाद नहीं मिल पा रही है, जमीन में विदेशी खाद डालने की वजह से जमीन बंजर होती जा रही है और किसान बर्बाद होते जा रहे हैं, अगर हर वर्ष 54 लाख जानवरों की जान बचेगी तो इनके गोबर की खाद से किसानों की जमीनों को कितना फायदा होगा, हमारी जमीन से नाइट्रोजन की मात्रा घटती जा रही है, जमीन में लिए सबसे जरूरी खाद नाइट्रोजन होती है जो सिर्फ जानवरों के मूत्र और गोबर में होती है, जानवरों में भी सबसे अधिक नाइट्रोजन गाय के मूत्र और गोबर में होती है लेकिन हर वर्ष करोड़ों जानवरों को काट दिया जाता है इसलिए धरती को उनके गोबर की खाद और मूत्र का नाइट्रोजन नहीं मिल पाता, इसी वजह से पूरे देश की जमीन बंजर होती जा रही है, उसकी भरपाई के लिए विदेशों से मंहगी खाद खरीदी जाती है लेकिन भी नुकसान होता है।
यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हमारे देश की मीडिया केवल TRP के लिए काम करती है, अगर किसी घोड़े को एक लट्ठ मारकर कोई लंगड़ा करदे, भरे ही यह गलती से हुआ हो, मीडिया वाले एक महीने तक बवाल मचा देते हैं, हाहाकार करने लगते हैं लेकिन जब कोई मुख्यमंत्री हर वर्ष 54 लाख जानवरों की जान बचाने के लिए बूचडखाने बंद करवा देता है तो मीडिया 'टुंडे कबाब' का रोना रोने लगती है, ऐसे में इनका जानवरों के प्रति प्रेम ख़त्म हो जाता है। वाह री भारत की मीडिया, वाह से भारत के टीवी न्यूज़ चैनल।
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