बुंदेलखंड इलाके की सभी 19 सीटों पर एक तरफ से खिल गया कमल

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झांसी, 14 मार्च: बुंदेलखंड देश का वह इलाका है, जिसका जिक्र आते ही सूखा, किसान आत्महत्या, पलायन, बदहाली, बेरोजगारी की तस्वीर आंखों के सामने उभर आती है। लेकिन उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इसी सूखे बुंदेलखंड में कमल खिल गया है। कभी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का गढ़ रहा यह इलाका अब पूरी तरह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की झोली में समा गया है। 

बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश के सात और मध्य प्रदेश के छह जिलों को मिलाकर बनता है। उत्तर प्रदेश के हिस्से के सात जिलों -झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, महोबा व कर्बी (चित्रकूट)- में विधानसभा की उन्नीस सीटें आती हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में सभी 19 सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।

वरिष्ठ पत्रकार बंशीधर मिश्र कहते हैं कि उन्हें याद नहीं आता कि कभी किसी राजनीतिक दल ने इस तरह से जीत दर्ज की हो। उन्होंने कहा, "इस इलाके के लोग बड़ा बदलाव चाहते थे। वे सपा, बसपा का शासन देख चुके थे और अब उन्हें इन दलों से उम्मीद नहीं थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर किसी तरह का शक नहीं है, लिहाजा मतदाताओं ने भाजपा का एकतरफा साथ दिया।"

भाजपा को मिली बड़ी जीत के पीछे मिश्र का अपना आंकलन है। वह कहते हैं, "यह ऐसा चुनाव रहा है, जिसमें पिछड़ा वर्ग एकमुश्त भाजपा के साथ गया है। मायावती का वोट बैंक उनके पाले से छिटककर भाजपा की ओर चला गया है। सपा के शासन काल में उनके नेताओं की कारगुजारियों को लेकर बढ़ी खीज के कारण सपा का वोट भी खिसक गया।"

बुंदेलखंड में भाजपा उम्मीदवारों का प्रचार करने गए मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग का कहना है, "बुंदेलखंड की सभी 19 सीटों पर भाजपा की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत है। यह विकास की जीत है, साथ ही यह जीत उन लोगों के मुंह पर तमाचा है, जो समाज में जातिवाद का विष घोलकर अपना स्वार्थ साधना चाहते हैं।"

पिछले विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड के नतीजों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि यहां की 19 सीटों में से सपा-बसपा ने छह-छह, कांग्रेस ने चार और भाजपा ने तीन सीटें जीती थी। लेकिन बाद में दो स्थानों पर हुए उप-चुनाव में दोनों स्थानों पर भाजपा को पराजय हाथ लगी थी और सपा की सीट संख्या बढ़कर आठ हो गई थी।

इस क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह का मानना है, "यहां की बड़ी आबादी में सपा के नेताओं को लेकर एक तरफ नाराजगी थी तो दूसरी ओर उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली पसंद आ रही है। सपा-बसपा के बढ़ते जातिवाद से लोग छुटकारा पाकर विकास की बाट जोह रहे हैं, इन स्थितियों ने भाजपा को पूरे बुंदेलखंड में जीत दिलाई है।"

इस क्षेत्र में हुए बीते पांच विधानसभा चुनावों पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि 1991 में भाजपा को यहां से सर्वाधिक 11 सीटें मिली थीं, और उसके बाद से भाजपा कभी भी दहाई के अंक में नहीं पहुंची। जबकि वर्ष 2002-2007 के चुनाव में बसपा ने यहा बढ़त बनाई थी। इस बार पहला मौका है, जब भाजपा का सभी सीटों पर कब्जा हुआ है।
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