New Delhi, 17 Feb: आजकल राजनीति इतनी गिर गयी है कि कुछ राजनीतिक पार्टियाँ और कुछ नेता नीचता ही हद पार करते हुए कुछ भी बोल देते हैं, ऐसा लगता है कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के लिए देश और देश की सेना का कोई महत्व नहीं है इसलिए सब लोग आर्मी चीफ के उस बयान का विरोध कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि 'आतंकियों के मददगारों से भी सख्ती से निपटा जाएगा और उन्हें भी आतंकियों का साथी समझकर जरूरत पड़ने पर ठोंक दिया जाएगा'।
कांग्रेस नेता शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित ने आर्मी चीफ के इस बयान का सबसे पहले विरोध किया, उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि कश्मीर में सेना को दखल करने का कोई हक ही नहीं है, कानून व्यवस्था पुलिस का काम है, सेना को जरूरत पड़ने पर सिर्फ पुलिस का सहयोग करना चाहिए और आर्मी चीफ को ऐसे बयान नहीं देना चाहिए। मतलब वे यह कहना चाहते हैं कि आतंकियों के मददगारों को खीर-पूड़ी खिलानी चाहिए, कमाल है।
इसके बाद JDU के नेता KC त्यागी का नंबर आया तो उन्होंने भी ऐसा ही बयान दे दिया, उन्होंने कहा कि आर्मी चीफ को ऐसी बातें नहीं बोलनी चाहिए। अब आप बताओ इसमें क्या गलत था आखिर वह आदमी तो आतंकियों की मदद कर रहा है, अपने घर में उन्हें रहने देता है, उनके हथियारों की सुरक्षा करता है तो वह भी एक आतंकी जैसा हुआ, ऐसे लोगों को सबक सिखाने में क्या गलत है।
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