नई दिल्ली, 30 जनवरी: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को आरोप लगाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयलाइंस को संकट से उबारने के लिए उद्योगपति विजय माल्या को भारी कर्ज दिलाने में मदद की थी। बीजेपी के प्रवक्ता संवित पात्रा ने संवाददाताओं के सामने माल्या का पत्र पढ़ते हुए कहा,"मनमोहन के दबाव में किंगफिशर एयरलाइंस को राहत पैकेज दिया गया था।"
उन्होंने कहा, "एक छोटा ऋण लेने के लिए एक आम आदमी को काफी कागजी काम करने होते हैं और पूछताछ की प्रक्रिया से गुजरना होता है, लेकिन माल्या को 9,000 करोड़ रुपये मूल्य के ऋण बिना पर्याप्त दस्तावेज या समुचित खातों के मिल गए थे।"
भाजपा प्रवक्ता ने कहा, "अक्सर सवाल पूछे जाते हैं कि क्या कुछ हाथ पीछे से मदद कर रहे थे? क्या डूबती जहाज (कांग्रेस) डूबते एयरलाइंस की मदद कर रही थी? अब हमारे पास कुछ ई-मेल और पत्र हैं, जो खुलासा करते हैं कि वे हाथ तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम के थे।"
पात्रा ने यह भी आरोप लगाया, "प्रधानमंत्री के दबाव डालने पर आयकर विभाग ने माल्या के साथ नरमी बरती और उनके खातों को फ्रीज नहीं किया।"
पत्र पढ़ते हुए पात्रा ने कहा, "माल्या ने चरणबद्ध ढंग से कहा है कि नाजुक स्थिति में खास राशि बैंकों द्वारा जारी की जा सकती है और मनमोहन सिंह की कृपा अति महत्वपूर्ण है।"
भाजपा प्रवक्ता ने कहा, "मनमोहन सिंह को एक के बाद एक लिखे पत्र में माल्या कहते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री की कृपा की जरूरत है और निश्चित राशि जारी की गई है।"
पात्रा ने दावा किया कि माल्या ने चिदम्बरम को एक पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा था कि तरजीही आधार पर शेयर जारी कर 2000 करोड़ रुपये की राशि जुटाने हेतु मंजूरी के लिए उनकी कंपनी युनाइटेड स्प्रिट्स लिमिटेड (यूएसएल) को भारतीय स्टेट बैंक अनापत्ति प्रमात्र पत्र दे (एनओसी)।
पात्रा ने आरोप लगाया, "भारतीय स्टेट बैंक बकाएदार के साथ नरमी नहीं बरतना चाहता था, लेकिन उसने माल्या से कहा कि वह यूएसएल को अनापत्ति प्रमाण पत्र केवल चिदम्बरम की डांट के कारण दे रहा है।"
पात्रा ने आगे कहा, "सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों को लोगों के सामने आकर बताना चाहिए कि किसके कहने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री ने माल्या को ऋण जारी करने की स्वीकृति दी। इस मुद्दे पर उन्हें अपराध स्वीकार करना चाहिए।"
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