अभी 1% लोग देते हैं टैक्स, MODI 50 फ़ीसदी लोगों से टैक्स लेकर भारत को बना देंगे 'सुपर पॉवर'

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नई दिल्ली, 25 दिसम्बर: क्या आपने कभी सोचा है कि सुपर पॉवर देश क्या होते हैं और इन्हें सुपर पॉवर कैसे बनाया जाता है, सुपर पॉवर का मलतब होता है कि ऐसा देश जिसमें निरक्षरता हो, गरीबी ना हो, कुपोषण ना हो, भ्रष्टाचार ना हो या कम हो, सरकारें घोटाले ना करती हैं, रिसर्च एंड डेवलपमेंट में आगे हो, बेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर हो, बेस्ट ट्रांसपोर्ट सिस्टम हो, बेस्ट डिफेंस सिस्टम हो, मौजूदा समय में अमेरिका और रूस को ही सुपर पॉवर देश माना जाता है, अगर भारत की तुलना रूस और अमेरिका से करें तो हमारा देश बहुत ही पीछे है। 

हमारे देश के पीछे होने का सबसे बड़ा कारण है कि यहाँ पर सरकार को टैक्स ही नहीं दिया जाता, हमारे देश में 50 फ़ीसदी लोग गरीब हैं, 50 फ़ीसदी लोग टैक्स देने लायक हैं लेकिन केवल एक फ़ीसदी लोग ही टैक्स देते हैं, अब आप खुद सोचिये, 49 फ़ीसदी लोग टैक्स चोरी करके अपने पास कालाधन जमा कर लेते हैं, रुपयों से कोई प्रॉपर्टी खरीद लेता है, कोई सोना खरीद लेगा है, कोई अपने बिस्तर के नीचे छुपा लेता है और कोई तहखाने में छिपा देता है। 

मतलब सरकार को कमाई ही नहीं होती तो वह इंफ्रास्ट्रक्चर, रिसर्च, शिक्षा, गरीबी, हेल्थ, डिफेंस पर पैसा कहाँ से खर्च करेगी। उदाहरण के लिए - अगर टैक्स से सरकार की कमाई 4 लाख करोड़ रुपये हुई और उसे खर्च करना है 10 लाख करोड़ रुपये तो आप खुद सोचिये कि सरकार के पास बाकी के 6 लाख करोड़ रुपये कहाँ से आयेंगे। 

हमारी सरकार को शिक्षा को आधुनिक बनाने और टूटे फूटे स्कूलों को आधुनिक बनाने के लिए लाखों करोड़ रूपया चाहिए, रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए लाखों करोड़ रूपया चाहिए अभी केवल 1.5 फ़ीसदी पैसा ही रिसर्च पर खर्च किया जाता है। जब तक रिसर्च और डेवलपमेंट पर कम से कम 20 फ़ीसदी पैसा खर्च नहीं किया जाएगा हमारा देश टेक्नोलॉजी डेवेलोप नहीं कर पाएगा, हथियार नहीं बना पाएगा, मिसाइल नहीं बना पाएगा, फाइटर प्लेन नहीं बना पाएगा, मेडिसिन्स नहीं बना पाएगा, मैनपावर नहीं खड़ा कर पाएगा। मतलब सुपर पॉवर बनने का रास्ता रिसर्च और डेवलपमेंट से होकर जाता है, अगर रिसर्च में पैसा नहीं खर्च करोगे तो सुपर पॉवर नहीं बन पाओगे। अभी हमारा देश यह सब चीजें तो बना रहा है लेकिन हमारी रफ़्तार बहुत स्लो है। इस तरह से चलते रहे तो हमें सुपर बनने में 20-30 साल लग जाएंगे और तब तक दूसरे देश हमसे आगे निकल जाएंगे। 

सीधी सी बात है, अभी केवल 1 फ़ीसदी लोग टैक्स देते हैं और इन लोगों से सालाना 4 लाख करोड़ रुपये की आय होती है, मोदी सरकार को ताबड़तोड़ विकास के लिए सालाना 10 लाख करोड़ की जरूरत है। मोदी सरकार का यह लक्ष्य तभी पूरा हो सकता है जब 49 फ़ीसदी टैक्स चोर भी टैक्स दें। इसीलिए नोटबंदी की गयी है। नोटबंदी के बाद टैक्स चोर अपना रूपया बैंकों में डालेंगे, सरकार उनसे पैसों का हिसाब मांगेगी, चोर पकडे जाएंगे और उन्होंने जितना भी टैक्स चोरी किया है उसे जुर्माने के साथ देना पड़ेगा। मोदी सरकार को केवल नोटबंदी से ही 5 लाख करोड़ का अधिक मुनाफ़ा होगा। मतलब टैक्स चोरों ने अब तक जितना भी रूपया चोरी किया है वह सब उन्हें जुर्माने के साथ देना पड़ेगा। 

सरकार के खजाने को पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष नोटबंदी से पहले 15 फ़ीसदी की अधिक इनकम हुई है, नोटबंदी से ही करीब पांच लाख करोड़ रुपये का लाभ होगा, इसके अलावा कैशलेस अर्थव्यवस्था खड़ी होने से अगले वर्ष मोदी सरकार को टैक्स में कई लाख करोड़ रुपये की कमाई होगी। मतलब मोदी सरकार को इस वर्ष 10 लाख करोड़ की कमाई अधिक होगी और उन्हें देश के विकास के लिए पूरा पैसा मिल जाएगा। 

अगर मोदी सरकार का कैशलेस मिशन पूरा हो गया, मतलब अगर 50 फ़ीसदी लोग टैक्स देने लगे तो सरकारी खजाने में हर साल 10 लाख करोड़ रुपये की कमाई होने लगेगी, रिसर्च और डेवलपमेंट पर पैसा खर्च किया जाएगा, शिक्षा को आधुनिक बनाया जाएगा, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होने लगेगा, हेल्थकेयर सिस्टम का सुधार होगा, हर तरफ विकास ही विकास। 

जब हर तरफ विकास शुरू हो जाएगा तो गरीबों को भी रोजगार मिलेगा, नौजवानों का स्किल डेवलपमेंट होगा, उनका रिसर्च में जाने का मन करेगा, मैनपावर पढ़ेगा, धीरे धीरे गरीबी ख़त्म होगी तो 50 फ़ीसदी के ऊपर के लोग भी टैक्स के दायरे में आयेंगे, मान लीजिये हर साल अगर 5 फ़ीसदी लोग भी टैक्स के दायरे में आते गए तो केवल 10 साल में भारत से गरीबी हट जाएगी। जब गरीबी हट जाएगी या कम हो जाएगी तो सभी लोग टैक्स देंगे, सरकार के खजाने में हर साल बहुत रुपये आयेंगे और उन रुपयों से बहुत तेजी से विकास होगा। केवल 10 वर्षों में भारत सभी देशों को पीछे छोड़ते हुए सुपर पॉवर बन जाएगा।

अगर भी भी ना समझें हो तो उदाहरण के साथ समझिये: 

मान लीजिये एक गाँव में 200 परिवार रहते हैं और कोई सरकार नहीं है। गाँव वालों के लिए सड़कें चाहिए होंगी, बच्चों के लिए स्कूल चाहियें होंगे, बिजली चाहिए होगी, पानी चाहिए होगा, नालियाँ चाहिए होंगी, पार्क चाहिए होंगे। इन सब चीजों को बनाने के लिए पैसे कहाँ से आयेंगे ना तो कोई सरकार है और ना ही कोई भगवान उन्हें पैसे देने वाला है।

यह सब चीजें बनाने और मेनटेन करने के लिए सभी गाँव वाले अपनी कमाई का 10 फीसदी टैक्स देते हैं। जब सभी लोग इमानदारी से पैसे देंगे तो सड़कें, बिजली, पानी, पार्क की सुविधा, अस्पताल उन्हें मिलता रहेगा लेकिन मान लीजिये कुछ लोग बेईमान हो गए और चालाकी से अपनी कमाई छिपा ली और टैक्स देना बंद कर दिया, उन्होंने उन पैसों को तिजोरी में छिपा लिया तो क्या होगा - सड़कें, स्कूल, बिजली, पानी, पार्क की सुविधा, अस्पताल को मेनटेन करने के लिए पैसे की कमी हो जाएगी, गाँव का विकास रुक जाएगा। अब बेईमानों से पैसा निकालने के लिए उस गाँव की सरकार नोटबंदी कर देगी और नया नोट छापकर गाँव वालों से नोट बदलने के लिए कहेगी।

अब अपनी कमाई कम दिखाकर टैक्स का रूपया पानी तिजोरी में छिपाया था वह भी रूपया बदलने के लिए आएगा, तब उसे बताना पड़ेगा कि उसके पास इतना रूपया कहाँ से आया, उसके बाद उसे जुर्माना देगा पड़ेगा, सभी चोर पकडे जाएंगे, सरकार जुर्माना लेगी, फिर से सभी लोग टैक्स देना शुरू कर देंगे और गाँव का विकास फिर से शुरू हो जाएगा, यही सब देश के लिए भी होने वाला है लेकिन यह काम बहुत बड़ा है और इसके लिए जिगर वाले मर्द की जरूरत होती है। 
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