नोटबंदी से सेक्स-सेवा में लगे लोगों का धंधा हुआ चौपट, लेकिन मदद के लिए आगे आये आम लोग

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पुणे (महाराष्ट्र), 15 नवंबर: हाल में हुई नोटबंदी से कुछ पेशे सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। इनमें महाराष्ट्र के पुणे और अन्य क्षेत्रों में यौनकर्मियों (सेक्स वर्कर) और ट्रांसजेंडर का पेशा भी शामिल है। पूरी तरह से नकद भुगतान पर आश्रित दुनिया के इस सबसे पुराने पेशे को बधवार पेठ और आस पास के इलाके में पूरी तरह से ग्रहण लग गया है। यह देश का तीसरा सबसे बड़ा देह व्यापार का इलाका है। 

आठ नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों के बंद हो जाने के बाद यौनकर्मियों और ट्रांसजेंडर के आय के सारे स्रोत सूख गए। ऐसे में इन लोगों के सामने भुखमरी की समस्या खड़ी हो गई।

जरूरतमंदों की मदद के लिए अनौपचारिक रूप से परियोजना शुरू करने वाले उद्यमी तहसीन पूनावाला बताते हैं कि चूंकि अधिकांश ग्राहक 500 और 1000 के नोट ही यौनकर्मियों को देते थे, इसलिए उनकी सारी बचत रातोंरात अवैध हो गई।

यौनकर्मियों की और उनके बच्चों की दयनीय स्थिति देखकर पूनावाला और उनके कुछ दोस्त एकजुट हुए और अचानक आए संकट से जूझ रहे इस वंचित समाज के लिए कुछ करने का निर्णय लिया। 

तहसीन ने बताया, "हम लोगों ने स्थानीय होटल, रेस्तरां और अन्य स्थानों से संपर्क किया जहां खाना परोसा जाता है। इन जगहों के मालिकों से इन लोगों को खिलाने के लिए अतिरिक्त या बचा हुआ खाना दान करने का आग्रह किया।" 

पूनावाला ने आईएएनएस से कहा, "इसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा। हम लोग करीब 200 लोगों को प्रतिदिन भोजन के पैकेट मुहैया करा रहे हैं।" 

भोजन एकत्र करने के बाद वे उसे एक वैन में रखते हैं और उन गलियों में लेकर जाते हैं जहां बहुत सारे भूखे बच्चे और विकलांग सर्दी की इस शुरुआत में ठिठुरते मिलते हैं। 

उन्होंने कहा कि सरकार को हर हाल में समाज के इस सर्वाधिक प्रभावित होने वाले वर्ग की दयनीय स्थिति पर विचार करना चाहिए जो विमुद्रीकरण के बाद अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा है। 

सबसे बुरी स्थिति यह है कि इनमें से अधिकांश के पास बैंक खाता या पहचान पत्र नहीं हैं। इनके पेशे से जुड़ी सामाजिक मान्यताओं की वजह से इन्हें समाज ने त्याग दिया है। ये हर चीज के लिए पूरी तरह से नकद लेन-देन पर निर्भर हैं। 

पूनावाला ने कहा कि हमलोग जो कुछ हो सकता है वह कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि अन्य शहरों में भी इस पर विचार किया जाएगा। 

मंगलवार को इन लोगों को खाना खिलाने की तैयारी में जुटे पूनावाला ने कहा, "जब अशक्त वर्ग को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है तो यह आम लोगों का नैतिक कर्तव्य है कि मदद करने के लिए आगे आएं।"
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