भारत, श्रीलंका ने तंबाकू सेवन से निपटने का संकल्प लिया

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ग्रेटर नोएडा, 7 नवंबर: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सातवें संस्करण में तंबाकू नियंत्रण के फ्रेमवर्क कन्वेंशन (एफसीटीसी)पर-तंबाकू विरोधी नीतियों पर दुनिया के सबसे बड़ा सम्मेलन यहां सोमवार को शुरू हुआ। इसमें भारत और श्रीलंका ने तंबाकू सेवन को जड़ से खत्म करने का संकल्प लिया। सम्मेलन में श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने दुनिया से तंबाकू उद्योग के सामने नहीं झुकने का आग्रह किया। उन्होंने उद्योगों द्वारा ज्यादातर जोड़तोड़ किए जाने और नीति निर्माताओं को प्रभावित करने की कोशिश करने की भी बात कही।

उद्योग के खिलाफ नए प्रयास के तौर पर सिरिसेना ने कहा कि एक नए कदम के तौर पर श्रीलंका सभी तंबाकू उत्पादों को सादे पैकिंग में करना शुरू करेगा। इससे खपत और अवैध व्यापार में कमी आएगी। उन्होंने धुएं रहित तंबाकू को देश में एक नया खतरनाक मुद्दा बताया।

भारत के स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने सम्मेलन की शुरुआत की। उन्होंने युवाओं से तंबाकू से बचने का आह्वान किया। इससे करीब हर साल दस लाख लोगों की मौत हो जाती है।

नड्डा ने कहा, "हमें भारत और दुनिया भर में तंबाकू से होने वाली मौतों को रोकने के लिए अभी बहुत लंबी दूरी तय करनी है। तंबाकू सेवन से लोगों में बड़ा आर्थिक पड़ रहा है इसे रोकने की जरूरत है।"

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में 7.5 करोड़ तंबाकू के उपयागकर्ता हैं। हर साल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.2 प्रतिशत तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम पर खर्च होता है। इसमें तंबाकू के सेवन से होने वाले कैंसर के मरीजों का इलाज भी शामिल है।

तंबाकू के बढ़ती हुई खपत के पीछे सामाजिक संस्कृति के कारण का उल्लेख करते हुए नड्डा ने कहा, "हम निश्चित तौर पर इस मुद्दे को जड़ से खत्म करने के प्रयास में हैं।"

इस मौके पर सदस्य देशों ने कहा कि डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी के नियम तंबाकू इस्तेमाल को खत्म करने के लिए मजबूत औजार हैं।

तंबाकू नियंत्रण के फ्रेमवर्क कन्वेंशन के छह दिन चलने वाले इस कार्यक्रम में विश्व के 180 देश भाग ले रहे हैं।

इसे लेकर डब्ल्यूएचओ और स्वास्थ्य मंत्रालय, तंबाकू किसानों का बीत छह महीने से एफसीटीसी कॉप 7 आलोचना का सामना कर रही है। इसके साथ तंबाकू उद्योग के खिलाफ कड़े कानूनों, तंबाकू उत्पादों पर चित्रों की चेतावनी में बढ़ोतरी पर भी आलोचना की गई है।
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