BJP के कालेधन चोरों को भी नहीं बख्श रही मोदी सरकार, वरिष्ठ मंत्री का 91 लाख का कालाधन जब्त

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मुंबई, 18 नवंबर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लज्जित कर सकने वाली एक घटना में महाराष्ट्र सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री और भाजपा नेता ने शुक्रवार को 91,50,000 हजार रुपये मूल्य के 500 और 1000 के नोटों को रखने की बात स्वीकार की। सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख ने एक निजी समाचार टीवी चैनल से कहा, "मैं हमेशा सोचता था कि मेरे नियमित व्यापारिक लेनदेन में इन नोटों से सुविधा होगी। लेकिन, गत 8 नवम्बर को ये नोट अचानक अमान्य घोषित कर दिए गए। इस संबंध में मैं कोई भी परिणाम भुगतने को तैयार हूं।"

पुराने नोट एक निजी वाहन से जब्त किए गए थे। यह वाहन देशमुख द्वारा नियंत्रित सोलापुर की एक गैर सरकारी संस्था लोक मंगल समूह का था। इस घटना से लोग अचंभित रह गए हैं।

जब्ती की पुष्टि करते हुए गुरुवार को उस्मानाबाद के कलेक्टर प्रशांत नरनावरे ने संवाददाताओं से कहा कि जिले के निर्वाचन विभाग के एक उड़न दस्ते द्वारा उमरगा शहर के निकट वाहनों की नियमित जांच के दौरान इस धनराशि का पता चला था।

वाहन को जब्त कर लिया गया और नकद राशि को जांच लंबित रहने तक जिला कोषागार में जमा कर दिया गया।

पहले लोक मंगल समूह के एक कर्मचारी ने कहा था कि नकद राशि लोक मंगल बैंक की है और समूह की चीनी फैक्ट्री के कर्मचारियों के भुगतान के लिए है।

लेकिन, एक ही दिन बाद देशमुख ने कहा कि नकद राशि उनकी है। उन्होंने कहा कि यह अवैध नहीं है और न ही इनका चुनावों में इस्तेमाल होना है।

कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने देशमुख को राज्य मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।

कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि आयकर विभाग को विगत छह महीने के दौरान भाजपा नेताओं द्वारा किए गए सभी हस्तांतरणों की जांच करनी चाहिए।

सावंत ने कहा, "500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य करने के निर्णय की सूचना भाजपा के कुछ चुनिंदा वरिष्ठ नेताओं को लीक की गई थी। उद्योगपतियों को पहले से ही इस बारे में मालूम था।"

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि सर्वाधिक काला धन भाजपा नेताओं के घर में छिपा हुआ है। उन्होंने कहा कि देशमुख को मंत्री पद से हटाया जाए और आयकर अधिकारी सभी भाजपा नेताओं के घरों और दफ्तरों की जांच करें।

जिले के अधिकारियों ने कहा कि आगामी चुनावों और देश में नकदी की कमी के मद्देनजर उन्होंने पुलिस और आयकर अधिकारियों से मामले की विस्तृत जांच करने को कहा है।

अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि प्रतिबंधित मुद्रा में इतनी बड़ी राशि रखने को सही ठहराने में यदि समूह विफल रहा तो वह प्रासंगिक कानून के तहत मुकदमा का सामना कर सकता है।
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