पुलिस और बैंक पर आँख मूंदकर भरोसा करके MODI ने कर दी गलती, दोनों देते साथ तो नहीं आती मुश्किल

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New Delhi, 18 November: प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी और नोट परिवर्तन वाले काम में राज्य सरकारों, पुलिस और बैंकों पर भरोसा करके बड़ी गलती की है। अगर ये लोग सहयोग देते तो नोट परिवर्तन का काम केवल 15 दिनों में हो जाता और किसी को परेशानी भी नहीं होती लेकिन आज लोगों को परेशानी हो रही है, कई बैंक वाले नेताओं के साथ मिलकर नोटों की कालाबाजारी कर रहे हैं, बैंक के अन्दर ही रुपये ख़त्म हो रहे हैं और बाहर जनता परेशान हो रही है। 

एक दिन हम भी एटीएम के बाहर लाइन में लगे थे, करीब 100 आदमी मेरे आगे थे, एक एक आदमी पांच पांच कार्ड से पैसे निकाल रहा था और काफी देर हो रही थी। कुछ समय के बार दो पुलिसवाले आये और एटीएम के अन्दर बैठ गए। उन्होंने सभी लोगों से कहा कि कृपया एक आदमी एक ही कार्ड से पैसे निकाले ताकि सभी लोगों को पैसे मिल सके। लोगों से ऐसा ही किया और केवल आधे घंटे में सभी लोगों को पैसा मिल गया। अगर वो पुलिसवाले ना आते तो हर आदमी तीन-चार कार्ड से पैसे निकालता और सभी लोगों को पैसे नहीं मिलते और उन्हें कई घंटे लाइन में भी लगना पड़ता, दुःख ये है कि बेईमान भी हमीं लोगों में हैं, हर आदमी केवल अपने बारे में सोचता है और कई कार्ड से पैसे निकालना चाहता है। 

इस वक्त ना तो कहीं चोरी हो रही है और ना ही डकैती, पुलिस वाले सभी बैंकों और एटीएम में जाकर सहायता कर सकते हैं, बैंकों के बाहर लाइन में खड़े लोगों को व्यवस्थित कर सकते हैं, उनके डॉक्युमेंट देखकर उनकी सहायता कर सकते हैं क्योंकि कई लोग तो ऐसे खड़े होते हैं जिनके पास प्रॉपर डॉक्युमेंट नहीं होते और बाद में उन्हें बिना पैसा बदलवाये ही वापस आना पड़ता है, पुलिस वाले ऐसे लोगों की पहचान भी कर सकते हैं जो बेईमानों से दिहाड़ी लेकर कालाधन सफ़ेद करने के लिए लाइन में लग रहे हैं लेकिन ऐसा कहीं भी नहीं हो रहा है। शायद पुलिसवालों को लगता है कि नोटबंदी से इमानदारी का वातावरण बनेगा और उन्हें घूस मिलना बंद हो जाएगा। 

दूसरी तरफ बैंक वालों पर भी आँख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता, ख़बरें मिल रही हैं कि 100 के नोट अन्दर ही ख़त्म हो रहे हैं, बैंक अधिकारी कालाधन सफ़ेद करने में लगे हुए हैं जिसकी वजह से बाहर बड़ी बड़ी लाइनें लगी रहती हैं और अन्दर ही अन्दर नोटों की कालाबाजारी चलती रहती है। 

सूत्रों से पता चला है कि कई बैंक अधिकारी नेताओं से कमीशन लेकर कालाधन सफ़ेद कर रहे हैं, नेता लोग अपने समर्थकों की 100-200 पहचान पत्र इकठ्ठे करके बैंक अधिकारीयों को दे रहे हैं और उन्हीं पहचान पत्रों के आधार पर 4500 रुपये के पुराने नोटों के बदले नए नोट ले रहे हैं। 

मान लीजिये किसी नेता के पास 1 करोड़ का कालाधन है, सभी विधायकों या बड़े नेताओं के पांच छः सौ समर्थक तो होते ही हैं, अगर वह 500 ID भी इकठ्ठी कर लेता है तो उससे वह एक दिन में 20 लाख कालेधन को सफ़ेद कर सकता है और पांच दिन में 1 करोड़ के कालेधन को सफ़ेद कर सकता है। उसे बस बैंक मैनेजर से साठ-गाँठ बनाने पड़ेगी, उसे 2-3 लाख कमीशन देना पड़ेगा। नेता किसी तरह से 1 करोड़ रुपये बैंक मैनेजर के पास पहुंचाएंगा और साथ में 500 ID भी देगा, बैंक मैनेजर उस नेता को उन्हीं ID के आधार पर 1 करोड़ के नए नोट दे देगा और एक पांच दिन में एक करोड़ का कालाधन सफ़ेद हो जाएगा। ऐसा कई बैंकों में हो रहा है इसलिए बैंक के अन्दर नोट ख़त्म हो रहे हैं और बाहर लाइन बढ़ती जा रही है। बैंक वाले यह काम ज्यादातर रात में करते हैं और बैंक मैनेजर और अन्य अधिकारीयों के केबिन में CCTV भी नहीं लगा होगा। 

मोदी सरकार को बैंकों की भी निगरानी रखनी होगी, ज्यादातर प्राइवेट बैंक गलत काम कर रहे हैं, बैंक के सभी केबिनों को CCTV के दायरे में लाना होगा, सबसे जरूरी बात यह है कि बैंकों को एक स्क्रीन लगानी चाहिए जिसमें बताया जाना चाहिए कि उनके पास कितने नोट आ रहे हैं और वे लोगों को कितने नए नोट दे रहे हैं, पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से काम करना होगा। मोदी सरकार सेना के जवानों को भी निगरानी और व्यवस्था के काम के लगा सकती है और एक एक जवान को 24 घंटे बैंक में रखने चाहियें। 
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