नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: भारत में हिन्दू के नाम से रह रहे पाकिस्तानी जासूस महमूद अख्तर को बाईज्जत पाकिस्तान भगा दिया गया है, महमूद अख्तर दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में महमूद राजपूत के नाम से रहता था और इसी नाम से उसने आधार कार्ड भी बनवा रखा था, यही नहीं वह पाकिस्तानी उच्चायोग में वीजा अधिकारी के तौर पर काम करता था।
इस मामले में दो भारतीयों को भी गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से भारतीय सेना की तैनाती संबंधी गोपनीय जानकारी प्राप्त हुई है। पाकिस्तान ने जासूसी के आरोपों से इनकार किया और इसे झूठा और निराधार बताया और भारतीय पुलिस पर पाकिस्तान उच्चायोग के एक वीजा अधिकारी महमूद अख्तर के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। इस निष्कासन से दोनों देशों के बीच कश्मीर और सीमा-पार आतंकवाद के बाद तनाव गहरा सकता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि विदेश सचिव एस. जयशंकर ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को यह बताने के लिए समन भेजा कि पाकिस्तान उच्चायोग के एक कर्मचारी को जासूसी की गतिविधियों में लिप्त पाया गया है और देश में उसकी मौजूदगी निषिद्ध कर दी गई है।
स्वरूप ने कहा, "पाकिस्तान उच्चायोग को यह सूचित कर दिया गया है कि अख्तर और उसका परिवार 29 अक्टूबर (शनिवार) तक पाकिस्तान वापस लौट जाना चाहिए। आज ही महमूद अख्तर परिवार सहित पाकिस्तान चला गया।"
दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त रविंद्र यादव ने कहा कि अख्तर को बुधवार को हिरासत में लिया गया था, उसे राजनयिक छूट की वजह से छोड़ दिया गया। उच्चायोग में उसने दो साल से ज्यादा समय तक काम किया। इस दौरान उसने पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) के लिए जासूसी करने के लिए भारतीयों की भर्ती की।
यादव ने कहा कि अख्तर को दिल्ली में चिड़ियाघर के पास से हिरासत में लिया गया था। वह दो भारतीयों मौलाना रमजान और सुभाष जांगीर से रक्षा से संबंधित जानकारी लेने के लिए आया था। रमजान और जांगीर पर आईएसआई के लिए काम करने का आरोप है।
दोनों राजस्थान के निवासी हैं, इनसे पूछताछ की जा रही है।
यादव ने कहा, "इन्होंने गुजरात और राजस्थान में रक्षा, बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) की तैनाती से जुड़ी जानकारी एकत्र की थी और साथ ही ये कुछ भारतीय सीमा चौकियों के नक्शे और सैनिकों की तैनाती विवरण लाए थे। "
उन्होंने कहा कि इन दस्तावेजों में भारत के कई सेवानिवृत्त कर्मियों और सीमा पर सेवाएं दे रहे बीएसएफ अधिकारियों से जुड़ी जानकारियां भी थीं। इन जानकारियों के लिए वह अख्तर से धन ले रहे थे।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी ने शुरुआत में कहा कि वह भारतीय नागरिक है। उसने पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक के महमूद राजपूत नाम का एक फर्जी आधार कार्ड भी दिखाया।
यादव ने कहा कि लगातार पूछताछ ने बाद उसने कबूल किया कि वह पाकिस्तान सेना के 40 बलूच रेजिमेंट का 1997 से सैनिक रहा और उसे आईएसआई ने 2013 में भारत में प्रतिनियुक्ति दी।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि 18 महीने से सक्रिय जासूसी नेटवर्क का 'वह एक सरगना था।' अधिकारी ने कहा कि इसमें दूसरे कर्मचारी सदस्यों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता।
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजनयिक को तीन घंटे के लिए झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया गया था, जब वह उच्चायोग के लिए लौट रहा था।
एक बयान में कहा, "हम अपने राजनयिक अधिकारी की गिरफ्तारी और दुर्व्यवहार की निंदा करते हैं। "
भारत ने साफ तौर से आरोपी अधिकारी से दुर्व्यवहार नहीं किए जाने की बात कही। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, "उसके कूटनीतिक दर्जे को ध्यान में रखकर उसके साथ शिष्ट व्यवहार किया गया। "
स्वरूप ने कहा, "वास्तव में, यह अख्तर था जो अपनी असली पहचान छिपाने के लिए छल का सहारा ले रहा था। पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसका कोई सदस्य भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त नहीं हो।"
Post A Comment:
0 comments: