नई दिल्ली, 13 अक्टूबर: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) तथा कई अन्य प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने गुरुवार को समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग की प्रश्नावली खारिज कर दी और इसे 'भ्रामक' करार दिया। प्रश्नावली को 'भ्रामक व विभाजनकारी' करार देते हुए एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा कि मुसलमान इसे तवज्जो नहीं देंगे।
महासचिव ने यहां संवाददाताओं से कहा, "इस प्रश्नावली का हम बहिष्कार करेंगे। कोई मुसलमान इसे तवज्जो नहीं देगा, क्योंकि यह भ्रामक व मिथ्यापूर्ण है। समान नागरिक संहिता विभाजनकारी है और इससे सामाजिक अशांति फैलेगी।"
उन्होंने कहा, "समान नागरिक संहिता इस देश के लिए सही नहीं है। इस देश में कई संस्कृतियां हैं और उनका सम्मान किया जाना चाहिए। यह संविधान की भावना के खिलाफ है, जो अपनी संस्कृति और धर्म के पालन के नागरिकों के अधिकार को सुरक्षा प्रदान करता है।"
सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए रहमानी ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने ढाई साल की अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए जानबूझकर इस मुद्दे को उठाया है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का यह कदम केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को यह बताने के कुछ दिनों बाद आया है कि तीन तलाक, निकाह हलाल और बहुविवाह जैसी प्रथाएं इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा या आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं हैं।
इसके बाद, विधि आयोग ने सात अक्टूबर को अपनी वेबसाइट पर प्रश्नावली जारी कर दी, जिसमें नागरिक संहिता मुद्दे पर लोगों की राय के लिए 16 सवाल पूछे गए हैं।
संवाददाता सम्मेलन में अन्य मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों मौलाना अरशद मदनी (जमीयत उलेमा-ए-हिंद), मोहम्मद जफर (जमात-ए-इस्लामी हिंद), मौलाना असगर इमाम मेहदी (मरकाजी जमीयत अहले हदीथ), मौलाना महमूद मदनी (जमीयत उलेमा हिंद), एम.मंजूर आलम (ऑल इंडिया मिली काउंसिल), नावेद हामिद (ऑल इंडिया मजलिए-ए-मुशवरत) तथा मौलाना अब्दुल कासिम नौमानी (कुलाधिसचिव, दारूल उलूम देवबंद) ने हिस्सा लिया।
एआईएमपीएलवी के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि इसके अलावा, इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के बरेलवी धर्म गुरुमौलाना तौकीर रजा खान तथा शिया धर्मगुरु मोहसिन ताकवी भी संवाददाता सम्मेलन में आने वाले थे, लेकिन वे नहीं आ सके।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा, "मुस्लिम पर्सनल लॉ कुरान और हदीस पर आधारित है और हम इसे बदल नहीं सकते।"
उन्होंने कहा, "मोदी जी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही थोपना चाहते हैं।"
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