हाजी अली दरगाह महिलाओं के मजार में प्रवेश पर राजी

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर: मुंबई के हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि महिला श्रद्धालु हाजी अली दरगाह के पवित्र स्थल तक जा सकेंगी। ट्रस्ट ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि वह सूफी संत की मजार पर महिला श्रद्धालुओं के जाने के लिए एक पृथक मार्ग का निर्माण कर रहा है।

हाजी अली दरगाह ट्रस्ट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम ने महिलाओं के लिए मार्ग बनाने हेतु दो सप्ताह का समय मांगा। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने इसे सकारात्मक प्रगति बताया। 

पीठ ने कहा, "अगर आप उच्च न्यायालय (बम्बई) के आदेश का पालन करने जा रहे हैं, तो आपको चार सप्ताह का समय मिल सकता है।"

सुह्ममण्यम ने दरगाह के नक्शे का सहारा लेते हुए न्यायालय को बताया कि दरगाह ने उन दानपात्रों को किसी और जगह रखने का फैसला किया है, जिसमें श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान को रखा जाता है।

उन्होंने न्यायालय से यह भी कहा कि अतीत में महिलाओं को दरगाह के पवित्र स्थल तक जाने की अनुमति थी, लेकिन कुछ लॉजिस्टिकल कारणों से इस पर पाबंदी लगा दी गई। उन्होंने कहा, "ट्रस्ट ने पवित्र स्थल में महिलाओं के प्रवेश पर साल 2012 में पाबंदी लगाई थी।"

हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में ट्रस्ट को महिला श्रद्धालुओं को दरगाह पर जाने की अनुमति देने का निर्देश दिया था।

बंबई उच्च न्यायालय ने 26 अगस्त को प्रसिद्ध सूफी संत हाजी अली की मजार के प्रतिबंधित क्षेत्र में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी।

बंबई उच्च न्यायालय ने महिलाओं को दरगाह के पवित्र स्थल तक जाने की अनुमति से संबंधित अपने फैसले पर रोक लगाते हुए हाजी अली ट्रस्ट को सर्वोच्च न्यायालय जाने का समय दिया था। 

नूरजहां नियाज, जकिया सोमान और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया था।

हाजी अली दरगाह एक मस्जिद और दरगाह है, जो मुंबई में वर्ली के अपतटीय क्षेत्र में एक छोटे-से टापू पर स्थित है। यह एक मुस्लिम संत पीर हाजी अली शाह बुखारी को समर्पित है।
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